दिल्ली के कंझावला में एक युवती की मौत के मामले में भारी जनाक्रोश के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस ने विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
कंझावला इलाके में हुई घटना में युवती को करीब 12 किमी. तक कार से घसीटा गया था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बीस वर्षीय युवती की स्कूटी को एक कार ने टक्कर मार दी और सुल्तानपुरी से कंझावला तक घसीटते हुए ले गई। पांच आरोपियों को पुलिस रिमांड पर सौंप दिया गया है।
घोर असंवेदनशील घटना से आम जन स्तब्ध है, लेकिन राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुट गए हैं। कुछ लोगों ने इतनी दुखद घटना को एक अवसर समझते हुए अफवाह और झूठी जानकारियां फैलानी शुरू कर दीं। इसे देखकर लगता है कि एक समाज के तौर पर हम निश्चित ही अपनी संवदेनशीलता खोते जा रहे हैं।
जरूरत इस बात की है कि घटना के दोषी साबित होने पर अनुकरणीय सजा दी जाए। उन पर भारतीय दंड संहिता की सख्त से सख्त संगत धाराओं में कार्रवाई की जानी चाहिए। घटना दुखद है, लेकिन लोगों में सर्वाधिक गुस्सा पुलिस की शुरुआती निष्क्रियता को लेकर। हैरत होती है कि कोई लड़की 12 किमी. तक सड़क पर घसीटी जाती रही लेकिन पुलिस को भनक भी नहीं मिली।
हालांकि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने तत्काल मामले की जानकारी पुलिस को दी थी, लेकिन पुलिस ने तत्परता से अपने काम को अंजाम नहीं दिया। यहां कर्त्तव्य निष्ठा पर सवाल उठाने की मंशा नहीं है, लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि सूचना मिलने काफी देर बाद तक पुलिस घटनास्थल पर नहीं पहुंची थी। जागरूक नागरिकों ने कई-कई बार पुलिस को फोन करके बताया कि एक कार में फंसी लड़की को कुछ कार सवार घसीटे लिए जा रहे हैं, लेकिन पुलिस ने तत्परता नहीं दिखाई। अब जिस तरह से कार्रवाई हो रही है, उससे लीपापोती का अंदेशा कुछ लोग जता रहे हैं।
बताया गया है कि एक आरोपी एक राजनीतिक पार्टी का स्थानीय स्तर का नेता है। इसलिए कुछ अन्य राजनीतिक दल घटना को लेकर विरोध में उतर आए हैं। जबकि घटना पर राजनीति करने का मौका नहीं समझना जाना चाहिए। ऐसी किसी भी घटना के समय बेशक, कुछ खामियां दिखलाई पड़ती हैं। इस मामले में भी पता चलता है कि इस व्यस्त महानगर में कई ऐसे स्पॉट हैं, जहां अंधेरा रहने के साथ ही पुलिस पेट्रोलिंग भी पर्याप्त नहीं होती। इस तरफ ध्यान अपेक्षित है।