बिहार में जन सुराज यात्रा कर रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार और लालू यादव पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि समाजवाद का ढोंग करने वाले लोगों ने बिहार को अशिक्षित और मजदूरों का राज्य बना दिया है। बिहार के लोग अनपढ़ और वेबकूफ़ नहीं हैं। लेकिन यहां के सिस्टम ने उन्हें ऐसा बना दिया है। अगर मिलकर बेहतर विकल्प बनाया गया तो जो लड़के बाहर मजदूरी कर रहे हैं, वे बिहार में आकर फैक्ट्री लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो मोबाइल आज उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बन रहा है, शायद ही इससे जुड़ी कोई भी नई फैक्ट्री बिहार में लगी हो। पीके ने कहा कि नीतीश-लालू के राज में बिहार को मजदूर सप्लायर के अवसर के रूप में ही देखा जाता है। उन्होंने कहा कि आज यहां के लड़के इंजीनियर, डॉक्टर न बन कर मजदूर बन रहे हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि पहले बाबूजी ने ठगा और अब आपको बेटा भी ठग रहा है। यह ठगने का सिलसिला एक बार नहीं बल्कि चार पांच बार हुआ है। आप लोगों की आंखें भी इन सब को देखकर खुल नहीं रही है। अगर वक़्त के साथ आप नहीं जागेंगे तो जिस गरीबी में जिंदगी जीते आए हैं, वही जिंदगी आने वाले 20 सालों तक जीना पड़ेगा।
मैं आपको करेले का जूस पिलाने आया हूं: प्रशांत किशोर
जन सुराज यात्रा के 70वें दिन आज चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर घोडासहन प्रखंड के कदमवा गांव से करीब 50 किलोमीटर चल कर ढाका प्रखंड के बैरिया गांव पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा कि नेताओं की मीठी-मीठी बातें सुनकर आपको ‘डायबिटीज’ हो गया है, नेता आकर आपको और चीनी पिला रहे हैं। आप भी खुशी से पी रहे हैं और मर रहे हैं। मैं आपको करेले का जूस पिलाने आया हूं। समझ में आपको आया तो ठीक वरना जिस पार्टी का झंडा लेकर आप घूम रहे हैं, घूमते रहिये।
आपसे की जा रही शराबबंदी से होने वाले नुकसान की भरपाई: पीके
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और लालू यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि शराबबंदी के कारण हर साल 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसकी भरपाई लोगों का करनी पड़ रही है। इतने पैसे की भरपाई सरकार आपसे डीज़ल और पेट्रोल से कर रही है। आज बिहार सरकार आपसे पेट्रोल डीज़ल की कीमत उत्तर प्रदेश के मुकाबले 9 से 13 रुपये ज्यादा वसूल रही है।
पीके ने बताया लालू और नीतीश की सरकार में फर्क
पदयात्रा के दौरान ग्रामीणों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि लालू और नीतीश की सरकार में फर्क बस इतना है कि लालू के राज में हजामत अपराधी बनाता था। नीतीश कुमार के राज में हजामत अधिकारी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि लालू जी के राज में अपराधी रात में गन लगा कर लूटा करते थे और नीतीश कुमार के राज में अधिकारी कलम लगा कर दिन में ही लूट रहे हैं। आप समझिए यह सुशासन की सरकार आपको बर्बाद कर रही है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि आपको बिहार के आंकड़ों को थोड़ा पीछे देखने पड़ेगा. साल 1965 से लेकर 1990 तक बिहार ने एक बहुत बड़ी राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखा है. इस दौरान लालू यादव मुख्यमंत्री थे. कहा कि 1966 से लेकर 1990 तक इन 23 साल में बिहार में 25 अलग अलग सरकारें बनीं. पांच बार गवर्नर रूल और साथ ही अलग-अलग 20 मुख्यमंत्री. इस दौरान कोई छह दिन के लिए मुख्यमंत्री बना तो कोई कुछ महीने के लिए सीएम बना. इसके कारण बिहार के विकास को हाशिए पर रख दिया. यही कारण था कि बाकी राज्य आगे बढ़ते गए और बिहार पीछे होते चला गया. साल 1990 में स्थिरता लौटी तो लालू प्रसाद यादव के फॉर्म में लौटी. उन्होंने कहा कि हम आर्थिक विकास के बदले सामाजिक न्याय करेंगे.
लालू के कार्यकाल का घेराव
प्रशांत किशोर आगे बोले कि सामाजिक न्याय में लालू यादव ने लोगों को आवाज दी. समाज के कुछ वर्गों को मानने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी कि सच में लालू यादव ने उनके लिए बहुत कुछ किया है. सामाजिक न्याय सिर्फ आवाज नहीं है. उन वर्गों को शिक्षा नहीं मिली, पूंजी नहीं मिली, जमीन नहीं मिली. उनकी स्थिति कुछ बदली नहीं थी. लालू यादव ने सामाजिक न्याय के जरिए अपनी राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाया. साल 2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आए. उनका नारा रहा सामाजिक न्याय संग विकास. इस दौरान बिहार में कुछ विकास कार्य जरूर हुआ है, लेकिन नीतीश कुमार का दौर भी दो भाग में बंट गया.
नीतीश कुमार के कार्यकाल का घेराव
किशोर ने कहा कि इस दौर में बिहार की जनता को राजनीतिक अस्थिरता का बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है. नीतीश कुमार के 17 साल के दौर में साल 2012 से लेकर 2017 तक का दौर जिसमें राजनीतिक स्थिरता थी. वो चाहे जिस भी लोग के साथ थे वे लोग मिलकर बिहार के विकास के लिए लगे हुए थे. बिहार में उस दौरान काम हुआ. बिहार में इतना अंधकार था कि छोटे दीए के भी जलने से बड़ा प्रकाश दिखा. वहीं 2012 से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय लेवल पर आए उसके बाद फिर कायापलट हो गई. बिहार फिर से राजनीतिक अस्थिरता की कगार पर आ गया. जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में आए तो नीतीश कुमार उनसे अलग हो गए. इसके बाद कई प्रयोग किए और पांच से छह बार वह चुनाव करते रहे. नीतीश कुमार अपनी सरकार बदलते बदलते 10 साल में छठवें तरह की सरकार बना रहे तो जाहिर सी बात है कि विकास हाशिए पर ही रहेगा. यही कारण रहा कि बिहार इतना पीछे हो गया.