20 विश्व की प्रमुख विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाला बहुपक्षीय रणनीतिक मंच है। भविष्य में विश्व के आर्थिक विकास और समृद्धि को सुरक्षित रखने में जी 20 की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक साथ मिलकर जी 20 के सदस्य दुनिया की जीडीपी का 80 प्रतिशत से अधिक‚ अंतरराष्ट्रीय व्यापार का ७५ प्रतिशत और दुनिया की आबादी के 67 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जी२० सदस्य देशों के सर्वोच्च लेखा परीक्षण संस्थानों का एक समूह एसएआई२० (सुप्रीम ऑडि़ट इंस्टीट¬ूशंस) कार्य समूह शासन से जुड़ी संस्थाओं को मौजूदा समय में सामने आ रही समस्याओं का बेहतर‚ तेज और विश्वसनीय तरीके से हल निकालने में समर्थ बनाने के साथ ही नागरिकों को उच्च कोटि का जीवन प्रदान करने के लिए सरकारों को सक्षम बनाने की दिशा में काम करता है। 1 दिसम्बर‚ 2022 को भारत द्वारा जी२० की अध्यक्षता ग्रहण करने के साथ भारत का सीएजी यानी एसएआई इंडिया एसएआई २० की अध्यक्षता करेगा। जी२० में भारत की अध्यक्षता के मार्गदर्शक सिद्धांत यानी वसुधैव कुटुम्बकम‚ जिसमें पूरे विश्व को ‘एक पृथ्वी‚ एक परिवार‚ एक भविष्य’ के रूप में देखा जाता है‚ के तहत भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक प्राथमिकता वाले दो क्षेत्रों–ब्लू इकोनॉमी और जिम्मेदार आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस–पर जी२० एसएआई के सहयोग का प्रस्ताव रख रहे हैं।
ब्लू इकोनॉमी ऐसी आर्थिक प्रणाली है‚ जिसमें समुद्री और ताजे पानी के पर्यावरण के संरक्षण‚ उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देने‚ खाद्य और ऊर्जा का उत्पादन करने‚ आजीविका में मदद करने और आर्थिक उन्नति में सहायक के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से नीति और परिचालन–संबंधी आयामों की विस्तृत श्रेणी शामिल हैं। कॉप२६ में भारत द्वारा प्रस्तुत लाइफ यानी लाइफस्टाइल ऑफ इन्वायरमेंट की अवधारणा को ब्लू इकोनॉमी आगे ले जाती है। प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में‚ यह यूएन २०३० एजेंडा‚ विशेष रूप से (लेकिन अनन्य रूप में नहीं)‚ लक्ष्य १४ अर्थात जलीय जीवन की उपलब्धिओं पर एसएआई का ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इसका उद्देश्य लेखा परीक्षण नीतियों और कार्यक्रमों पर इस तरह से सहयोग करना है‚ जो ब्लू इकोनॉमी पर प्रभावशाली तरीके और प्रगतिशाली रूप में असर डाले और समुदायों‚ क्षेत्रों के साथ–साथ राष्ट्रों तक फैले मजबूत अंतसबंधों में और वृद्धि करे। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़ा अधिकांश वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर है‚ एसएआई को समाज में अधिक समावेशिता और लोगों के प्रति उनकी तत्काल प्रासंगिकता के हित में अधिक प्रभावी ढंग से अपने निरीक्षण का प्रयोग करने के लिए मजबूर करता है। भारत के नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक सर्वसम्मत और व्यापक रूप से लागू मानकों या दिशा–निर्देशों को तैयार करने का प्रयास करेंगे जो सभी एसएआई को उनके संबंधित अधिदेशों के भीतर नीतियों और कार्यक्रमों के विकास और प्रभावी कार्यान्वयन का मूल्यांकन और मार्गदर्शन करने में सक्षम बनाएंगे जो निरंतरता और आर्थिक प्रगति के साथ संतुलन बनाता है।
दूसरी प्राथमिकता वाला क्षेत्र यानी जिम्मेदार आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की नागरिकों के जीवन पर असर डालने वाली उस भूमिका के अनुसार है‚ जिसमें छोटे कदम के बड़े असर देखने को मिल रहे हैं। ब्लू इकोनॉमी की तरह‚ उत्तरदायी एआई से संबंधित समस्याएं सामयिक‚ बहुआयामी और अन्योन्याश्रित हैं। चिंताएं वैधता‚ नैतिकता के साथ–साथ मानव बनाम गैर–मानवीय एजेंसी को लेकर दार्शनिक विकल्पों के मुद्दों पर फैली हुई हैं। सरकारों‚ व्यवसायों और नागरिक समाज संगठनों में जिम्मेदार आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के उपयोग पर जागरूकता पैदा करने को लेकर व्यापक मान्यता और मजबूत सिफारिश की गई है। जून‚ २०१९ में व्यापार और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जी२० मंत्रीस्तरीय वक्तव्य के दौरान और नवम्बर‚ २०२१ में यूनेस्को द्वारा आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर सिफारिशों के अनुसार यह स्पष्ट करने की दिशा में शुरुआत की गई है कि सभी हितधारकों के बीच विश्वास पर ही डिजिटल समाज का निर्माण किया जाना चाहिए जबकि एआई के एप्लीकेशन हमारे जीवन के अधिक से अधिक क्षेत्रों में शामिल हो रहे हैं‚ यह एआई के जिम्मेदारी भरे उपयोग को सुनिश्चित करने में सरकारों के साथ–साथ एसएआई‚ दोनों की समझ‚ विनियमन और लेखा परीक्षा से जुड़ी जटिल चुनौतियों को सामने रख रहा है।
एसएआई के लिए महत्वपूर्ण है कि वे एआई सिस्टम के इस्तेमाल से जुड़े मूल प्रश्नों को हल करने के लिए कारगर क्षमताओं को विकसित करें ताकि प्रभावी निरीक्षण के प्रतिनिधि के रूप में खुद को अनिवार्य रूप से स्थापित किया जा सके। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का प्रयास उठाए जाने वाले कदमों की प्रकृति और उनकी सीमा पर व्यापक सहमति बनाना होगा जो सभी एसएआएई अपने संबंधित शासनादेशों के भीतर रहते हुए उत्तरदायी एआई के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उठा सकते हैं।
हम संयुक्त रूप से लेखा परीक्षण में मदद के लिए रचनाएं विकसित करने का प्रयास करेंगे और उन तरीकों का भी पता लगाएंगे जिनमें जी२० एसएआई आपसी क्षमता निर्माण और अनुभवों को साझा कर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। एक सामान्य सिद्धांत‚ जो हमारी दिशा का मार्गदर्शन करेगा‚ एआई सिस्टम के विकास और उपयोग को इस तरह से विनियमित करने की आवश्यकता होगा जो इसके जीवन को बदलने वाले फायदों को पूरी तरह से हासिल करने में सक्षम बनाता है जबकि उसी समय में जान बूझकर होने वाले दुरु पयोग या यहां तक गलतियों पर नजर रखता है। अत्यधिक प्रासंगिकता वाले प्राथमिकता के क्षेत्रों को आगे बढ़ाते हुए एसएआई२० के अध्यक्ष के रूप में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक एक प्रभावशाली और बेजोड़ जी२० अध्यक्षता के लिए जी२० एसएआई के मजबूत‚ सफल और व्यापक रूप से भागीदारी वाले सहयोग का इरादा रखते हैं।
जी२० सदस्य देशों के सर्वोच्च लेखा परीक्षण संस्थानों का समूह एसएआई२० कार्य समूह शासन से जुड़ी संस्थाओं को मौजूदा समय में दरपेश समस्याओं का बेहतर हल निकालने में समर्थ बनाने के साथ ही नागरिकों को उच्च कोटि का जीवन प्रदान करने के लिए सरकारों को सक्षम बनाने की दिशा में काम करता है। १ दिसम्बर‚ २२ को भारत द्वारा जी२० की अध्यक्षता ग्रहण करने के साथ भारत का सीएजी यानी एसएआई इंडिया एसएआई २० की अध्यक्षता करेगा- –महात्मा गांधी