जिस प्रकार गुजरात में आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) और इंडियन कोस्ट गार्ड (आईसीजी) ने अपने समुद्री एक्शन में पाकिस्तानी नाव से 350 करोड़ की ड्रग्स और 6 तस्कर पकड़े। उससे पता चलता है कि किस प्रकार हमारे सैनिक नशे के कारोबार पर सख्त निगाहें रखी हुई हैं।
बीते 1 साल में एटीएस और आईसीजी का यह छठा संयुक्त ऑपरेशन रहा‚ जिसमें ड्रग्स से लदी नाव को पकड़ा गया है‚ जिसके मूल्य करोड़ों रु पये में है। इससे पहले १४ सितम्बर को २०० करोड़ रु पये के ४० किलोग्राम हेरोइन पाकिस्तानी नाव से ही पकड़ी गई थी। इस दौरान भी छह से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए थे जिन्हें पाकिस्तानी बताया गया था। केरल के कोच्चि में एनसीबी और आईसीजी ने मिलकर इस पाकिस्तानी नाव को पकड़ा था जिसमें करोड़ों के ड्रग्स थे। मुंबई के एक गोदाम से ५० किलोग्राम में मेफेड्रोन यानी मादक पदार्थ को जब्त किया गया था‚ जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में १२० करोड़ रुपये कीमत है। इस सिलसिले में एनसीबी ने एयर इंडिया के एक पूर्व पायलट समेत २ लोगों को गिरफ्तार किया था। यह गुजरात के जामनगर की घटना है।
तमाम घटनाओं में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ज्यादातर नागरिक पकड़े जाते हैं। देश भर में नशे के कारोबार का एक बहुत बड़ा जाल है जो देश के कई सीमावर्ती इलाके में एक्टिव हैं। हालांकि सीमाओं पर तैनात हमारे सैनिक ड्रग्स की खेप को पकड़ने के लिए बेहद मुस्तैदी दिखाते हैं। इसके बावजूद देश के अंदर करोड़ों रु पये के नशे का कारोबार खूब फल–फूल रहा है। नशे के काला धंधा देश भर में इस कदर फैला हुआ है कि हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मियों के लिए भी यह खासा मुशिकल भरा बन गया है। बहरहाल‚ केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से इस कारोबार पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है और जिस प्रकार ड्रग्स बरामद हो रहे हैं‚ उससे एक बात तो स्पष्ट है कि सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियां इस मामले में आर–पार की लड़़ाई लड़़ने को मानसिक रूप से तैयार हो गई है। केंद्रीय जांच एजेंसियां बेहद मुस्तैदी से अपना काम कर रही है जो यह साबित करता है कि नशाखोरी के खिलाफ मोदी सरकार इस धंधे पर नकेल कसने के लिए कितनी संजीदा है। अलबत्ता‚ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी नशे के खेप पकड़े जा रहे थे। लाखों–करोड़ों रु पये के ड्रग्स की बरामदगी भी होती थी‚ लेकिन पहले इस तरह की जब्ती की खबरें इक्का–दुक्का ही आती थी। लेकिन जबसे मोदी सरकार आई है‚ जितनी भी जांच एजेंसियां हैं अलग–अलग तरीके से बेहतरीन काम कर रही हैं। हालांकि जब पहली बार गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से ड्रग्स की बड़ी खेप जब्त की गई थी तो सोशल मीडि़या पर कई तरह के आरोप–प्रत्यारोप भी लगाए गए थे। वहीं अगर राज्य सरकारों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। राज्य में नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों की संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दे रखा है। वहीं मध्य प्रदेश की सरकार ने भी अलग–अलग जिलों में ‘नशा मुक्ति अभियान’ चला रखा है। कई लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। पिछले दिनों मुंबई में ड्रग्स के कई मामलों को देखें तो पता चलता है कि किस प्रकार नारकोटिक्स विभाग या हमारी अन्य सुरक्षा एजेंसियां सक्रियता निभा रही हैं। किस प्रकार देश के कुछ सेलिब्रिटीज को पकड़ा गया या उनसे पूछताछ की जा चुकी है। कई ऐसे मामले हैं‚ जिनका खुलासा हाल के दिनों में हुआ है जो मीडिया में जगजाहिर है। इन तमाम एक्शन से यह पता चलता है कि इस गंदे धंधे को रोकने के लिए हमारी केंद्रीय एजेंसियां एक तरह से अलग ऊर्जा और क्रियाशीलता दिखा रही है। सरकार की निगाहें देश के मेट्रोपोलिटन शहरों पर भी है जहां नशे का कारोबार होने की सूचना है। वहां पर स्थानीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से उनकी पकड़–धकड़ तेज कर दी गई है।