जदयू से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा बिहार में नए मोड़ से गुजर रही है। कोई साथ नहीं है और सत्ता में वापसी के दूर-दूर तक आसार भी नहीं हैं। इस विकट घड़ी में उपचुनाव के रूप में बड़ी समस्या भी आने वाली है। विधानसभा की दों सीटों मोकामा और गोपालगंज में भाजपा के नए नेतृत्व की अग्निपरीक्षा होनी है। गोपालगंज पर पिछली बार भाजपा और मोकामा पर राजद को जीत मिली थी। भाजपा अगर गोपालगंज सीट हारती है तो विधानसभा में उसका कद थोड़ा और छोटा हो जाएगा। महागठबंधन की नई सरकार की कोशिश मोकामा सीट बचाते हुए गोपालगंज से भाजपा के सफाए की होगी। ऐसे में यह उपचुनाव दिलचस्प होने वाला है और बिहार की राजनीति की दिशा भी तय करेगा।
अकेली भाजपा बनाम महागठबंधन की संयुक्त शक्ति का होगा आकलन
उपचुनाव की तिथि की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। राजद के बाहुबली नेता अनंत सिंह की सजा होने के कारण मोकामा सीट खाली हुई है, जबकि भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री सुबाश सिंह के असमय निधन के कारण गोपालगंज की सीट रिक्त है। दोनों का प्रयास अपनी सीट बचाकर दूसरे की हथियाने का है। जदयू के साथ गठबंधन करने के बाद राजद अभी मजबूत स्थिति में दिख रहा है। भाजपा के लिए राजद की यह ताकत बड़ी चुनौती है। ऐसे में गोपालगंज सीट पर वापसी के लिए भाजपा को अपनी ताकत के साथ महागठबंधन में दरार-तकरार की भी जरूरत होगी, जो अभी संभव नहीं दिख रहा। इस सीट को भाजपा के लिए सुबाश सिंह लगातार चार बार से जीत रहे थे। हर बार प्रतिद्वंद्वी बदल जा रहा था। कभी राजद तो कभी कांग्रेस से उन्हें चुनौती मिल रही थी। बार-बार की हार से तंग राजद ने 2020 में इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाल दी थी। फिर भी जीत सुबाश सिंह की ही हुई। भाजपा ने अगर सुबाश के परिवार से किसी को टिकट दिया तो सहानुभूति की लहर से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस की भी दावेदारी प्रबल होगी। किंतु तेजस्वी की इच्छा पर निर्भर करेगा कि किसके हिस्से में सीट जाएगी।
मोकामा रहा है अनंत सिंह का गढ़
मोकामा की सीट राजद के लिए भले नई है, लेकिन अनंत सिंह के लिए पिछली चार बार से अनुकूल है। कभी जदयू तो कभी निर्दलीय तो कभी राजद। पार्टी कोई भी हो, जीत अनंत की ही होती रही है। ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा की तरफ से कोई दमदार प्रत्याशी अगर नहीं आया तो मोकामा की लड़ाई राजद के लिए बहुत कठिन नहीं है। एके-47 रखने के जुर्म में अनंत सिंह ने सजायाफ्ता होकर सदस्यता खो दी है। राजद से संबंध यथावत हैं। उनकी पत्नी को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। भाजपा ने अभी कुछ भी तय नहीं किया है।