हर किसी को सोहना (अच्छा) लगता है। महिलाओं को इसे पहनना अच्छा लगता है तो पुरुषों को इसमें निवेश करना अच्छा लगता है। भारत में सोने को सौंदर्य और सुहाग का प्रतीक भी माना जाता है इसीलिए तो शादी–ब्याह में हर मां–बाप चाहे वे अमीर हों या गरीब अपनी बेटियों को सोने के बने कुछ न कुछ आभूषण अवश्य देते हैं। सोना सुख‚ समृद्धि‚ विलासिता और वैभव का प्रतीक भी माना जाता है। इसीलिए तो सोने के आयात के मामले में भारत दुनियाभर में सबसे आगे है। एक तरफ यह पीली धातु जहां सुख‚ समृद्धि और वैभव की प्रतीक है वहीं दूसरी तरफ बहुत से लोग इसमें निवेश करना भी अच्छा समझते हैं। यूं तो निवेश के बहुत से विकल्प होते हैं जैसे म्यूचुअल फंड़‚ शेयर बाजार‚ इंश्योरेंस पालिसी और रियल एस्टेट लेकिन सोने में निवेश को लोग इसलिए बेहतर मानते हैं क्योंकि निवेश का यह विकल्प सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है और लंबी अवधि में कुछ न कुछ रिटर्न देकर ही जाता है। भले ही वह रिटर्न शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड़ की तुलना में कुछ कम हो। वर्ष २०१७ से २०२१ के बीच पांच वर्षों में सोने ने लगभग ५५ फीसद का रिटर्न दिया है। यही वजह है कि लोग सोने में निवेश करना बेहतर समझते हैं। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि सोने में निवेश कैसा होता है‚ इसके क्या फायदे हैं‚ क्या नुकसान हो सकते हैं‚ कितनी अवधि के लिए निवेश बेहतर है और पिछले कुछ वर्षों में इसने निवेशकों को कितना रिटर्न दिया है। इससे आपको भी यह अंदाजा लगाना आसान हो जाएगा कि सोने में निवेश करना चाहिए या नहीं‚ अगर करना चाहिए तो कितनी अवधि के लिए करना चाहिए और किस विकल्प के जरिए करना चाहिए।
कैसे करते हैं सोने में निवेश
सोने में निवेश के कई तरीके हैं। इनमें से एक तरीका इसमें भौतिक रूप से निवेश करने का है‚ दूसरा तरीका गोल्ड़ बांड़ के जरिए निवेश करने का है‚ तीसरा तरीका ईटीएफ के जरिए निवेशकरने का है और चौथा तरीका डि़जिटल रूप में निवेश करने का है। भौतिक रूप से सोने में निवेश करना सबसे पुराना तरीका है। प्राचीन काल में भी लोग आभूषण या बिस्कुट के रूप में सोना खरीद कर रखते थे। उनका मानना था कि इस कीमती धातु की कीमत तो बढ़ेगी ही‚ साथ ही पैसों की जरूरत पड़़ने पर इसे नकदी में बदलने में भी आसानी होगी। दूसरा तरीका गोल्ड़ बांड़ के जरिए सोने में निवेश का है। रिजर्व बैंक द्वारा गोल्ड़ बांड़ आठ साल के लिएजारी किए जाते हैं और इसमें पांच साल का लॉकइन पीरियड़ भी होता है। इन बांड्स में एक ग्राम से लेकर ४ किलो तक सोने में निवेश कर सकते हैं। ट्रस्ट या संस्थाओं के लिए यह सीमा ज्यादा है। तीसरा तरीका गोल्ड़ ईटीएफ के जरिए सोने में निवेश करने का है। गोल्ड़ ईटीएफ चूंकि कमोडि़टी या शेयर बाजार से जुड़े़ होते हैं अतः इसमें रिटर्न की अच्छी संभावना रहती है। चौथा तरीका मोबाइल ऐप के जरिए डि़जिटल फार्मेट में सोने में निवेश का है। इसमें भी न्यूनतम एक ग्राम और अधिकतम कितने भी सोने में निवेश कर सकते हैं। हालांकि यह विकल्प ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता। हाल ही में ऐसे ऐप के लिए सरकार की तरफ से कुछ सख्तियां भी बरती गई हैं ताकि निवेशक का धन सुरक्षित रहे।
कौन सा विकल्प ज्यादा बेहतर॥
अब सवाल यह उठता है कि सोने में निवेश के ऊपर दिये विकल्पों में से कौन सा विकल्प ज्यादा बेहतर है। तो इसका अनुमान लगाने के लिए आपको इसके गणित को समझना होगा। भौतिक रूप से सोना खरीदकर रखना तो सभी को मालूम है। रेट कम होने पर इसे रोक कर रखें और जब भी दाम बढ़ें इसे बेच दें। खरीद और बिक्री के दामों के बीच का अंतर इसका प्राफिट या रिटर्न कहलाएगा। जहां तक सवाल है सावरेन गोल्ड़ बांड़ का तो इस तरह के बांड़ में सरकार बाजार मूल्य से कम दाम पर सोना देती है और इसपर सालाना बहुत ही मामूली ब्याज देती है। बांड़ की मैच्योरिटी अवधि पूरी होने पर आपका सोना मौजूदा बाजार मूल्य पर आपको वापस मिल जाता है। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें रिटर्न की दर कितनी हो सकती है। अब बात करते हैं गोल्ड़ ईटीएफ की गोल्ड़ ईटीएफ ने पिछले कई वर्षों में अच्छा रिटर्न दिया है। शेयर या कमोडि़टी बाजार से जुड़े़ होने के कारण इसमें अक्सर अच्छा रिटर्न निकल कर सामने आता है। मोबाइल ऐप के जरिए डि़जिटल गोल्ड़ खरीदना हो सकता है ज्यादा सुरक्षित न हो क्योंकि सरकार की तरफ से इन ऐप पर कुछ सख्तियां बरते जाने से यह संकेत मिलता है कि इसमें कहीं ज्यादा जोखिम तो नहीं है। यहां पर हमने आपको हमने आपको सोने में निवेश के चारों तरीकों का गणित समझा दिया अब आप खुद फैसला कर सकते हैं कि निवेश के किस विकल्प का इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद हो सकता है।
कितना फायदेमंद है निवेश
अगर आप अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने को शामिल ही करना चाहते हैं तो ज्यादा रकम निवेश करना बेहतर नहीं होता। इसमें आप अपने कुल निवेश का सिर्फ दस से पंद्रह फीसद रकम ही निवेश करें तो बेहतर है। सोने में निवेश चाहे लांग टर्म का हो या शार्ट टर्म का। बहुत बढ़िया रिटर्न की संभावना कम ही रहती है। ऐसा नहीं है कि इसमें बढ़िया रिटर्न मिलता ही नहीं है। बल्कि कभी–कभी बहुत बढ़िया रिटर्न मिल जाता है। इसके रिटर्न को आप हर साल निकालें तो बेहतर है। इसके बाद बाजार की स्थिति का आकलन करके और निवेश सलाहकारों से राय लेकर दुबारा फिर निवेश करें।
कितना रिटर्न संभव
इस साल २४ कैरेट सोने के दाम ५६५०० रुपए प्रति दस ग्राम के नए रिकार्ड़ स्तर तक जा पहंुचे थे। पिछले काई माह से सोना ५० हजार के ऊपर ही ट्रेड़ कर रहा है। इससे पहले इसके दाम ५६ हजार २०० के रिकार्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। अगर देखा जाए तो पिछले ११ वर्षों में यानी २०११ से २०२१ के बीच तीन बार ऐसा मौका आया जब सोने ने नकारात्मक रिटर्न दिया। इस अवधि में सर्वाधिक नकारात्मक रिटर्न २७.७९ फीसद वर्ष २०१३ में रहा जबकि सर्वाधिक सकारात्मक रिटर्न २४.४३ फीसद का वर्ष २०२० में रहा।
क्या एक लाख पर पहंचेगा सोना
स्पेन के ‘क्वाड्रिगा फंड’ ने हाल ही में अनुमान जाहिर किया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगले पांच साल में सोने के दाम तीन से पांच हजार ड़ालर तक पहंुच सकती है। अगर रुपए में इसकी कीमत का अंदाज लगाया जाए तो लगभग ८० हजार रुपए से एक लाख रुपए से ज्यादा तक दाम पहंुच सकते हैं।
सोने में निवेश की परंपरा काफी पुरानी है। देश में जब शेयर बाजार‚ म्यूचुअल फंड़‚ बीमा आदि जैसे निवेश के विकल्प नहीं थे तो लोग सोने में निवेश किया करते थे। भारत के शहरों और गांवों में लोग सोना खरीद कर इसलिए रखते थे कि पैसों की आकस्मिक जरूरत पड़़ने पर इसे नकदी में बदलना आसान होता था। मौजूदा समय में सोने में निवेश के कई विकल्प हैं।