कोरोना के बाद से देश में बैंक कर्ज लेने वालों की संख्या में खासा इजाफा देखा गया है। कोरोना में काफी लोगों की नौकरी जाने‚ कारोबार ठप होने से लोगों के लिए लोन की ईएमआई देना मुश्किल होने लगा। इससे लोन डि़फाल्ट के केस बढ़ने लगे। हर वर्ष कर्ज लेने वालों की तादाद लगभग २० फीसद की दर से बढ़ रही है। एक तरफ जहां कर्ज लेने वालों की तादाद में इजाफा हो रहा है वहीं लोन डि़फाल्ट करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हालांकि रिजर्व बैंक आफ इंडि़या द्वारा लोन डि़फाल्टर्स की संख्या को बढ़ने से रोकने के लिए समय–समय पर उपाय किए जाते हैं लेकिन मौजूदा हालात में डि़फाल्टर्स की संख्या को रोक पाना मुश्किल हो रहा है। सरकारी बैंकों में लोन डि़फाल्ट के मामले इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि सरकार को बीते पांच वर्षों में ५० अरब ड़ालर से ज्यादा की पूंजी बैंकों में ड़ालनी पड़़ी। लोन डि़फाल्ट के केस बढ़ने से बैंकों के एनपीए में भी इजाफा हो जाता है जिसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़़ता है। लोन डि़फाल्ट के मामले कम करने के लिए बैंकों ने अब लोन देने से पहले क्रेडि़ट हिस्ट्री मुहैया कराने वाली संस्थाओं की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है। आइए देखते हैं कि वे कौन सी संस्थाएं हैं जो लोन देने से पहले बैंकों को लोन लेने वाले व्यक्ति की क्रेडि़ट हिस्ट्री मुहैया कराती हैं।
सिबिल के अलावा भी हैं कई संस्थाएं॥ बैंकों द्वारा ग्राहक को कर्ज देने से पहले उसकी क्रेडि़ट हिस्ट्री उपलब्ध कराने का काम सिबिल पहले से ही कर रही है। इसके अलावा कुछ वर्षों पहले आरबीआई ने एक्सपेरियन‚ हाई मार्क और इक्विफैक्स नाम की कुछ अन्य एजेंसियों को भी इस काम की अनुमति प्रदान कर दी। इन एजेंसियों के काम शुरू करने के बाद भी लोन डि़फाल्टर्स की संख्या लगातार बढ़ती रही और बैंकों का एनपीए भी बढ़ता रहा। हालांकि यह एजेंसियां प्रत्येक बैंक ग्राहक व पैनधारक की पूरी क्रेडि़ट हिस्ट्री अपने पास रखती हैं और किसी भी बैंक द्वारा मांगे जाने पर उसको मुहैया भी कराती हैं। इसकी वजह से बैंकों के कई लोन आवेदकों को क्रेडि़ट हिस्ट्री खराब होने की वजह से लोन नहीं मिल पाता। इससे बैंकों को थोड़़ा फायदा तो हुआ है।
अपना वित्तीय रिकार्ड़ रखें दुरुस्त
इन एजेंसियों द्वारा वाहन ऋण‚ आवासीय ऋण‚ वैयक्तिक ऋण और क्रेडि़ट कार्ड़ से से लोन लेने वालों पर नजर रखी जाती है कि वित्तीय लेनदेन के प्रति उनका रवैया कैसा है। अभी तक सिर्फ बैंक लोन लेने वालों पर इन एजेंसियों की नजर होती थी लेकिन अब मोबाइल बिल व अन्य बिलों और मकान के किराए का भुगतान करने वाले लोग भी इन एजेंसियों की नजर में आ गए हैं। कई मोबाइल सेवा प्रदाताओं ने इन एजेंसियों की सेवाएं लेना भी शुरू कर दिया है और जिन लोगों का ‘वित्तीय स्वभाव’ अच्छा नहीं है उन्हें पोस्टपेड़ कनेक्शन देने से मना भी कर रही हैं।
क्या होता क्रेडि़ट हिस्ट्री में
क्रेडि़ट हिस्ट्री में किसी भी व्यक्ति का नाम‚ पता‚ मोबाइल नंबर‚ आयु‚ पैन‚ पासपोर्ट संख्या आदि दर्ज होती है। यह सेवाएं देने वाली एजेंसियां बैंक शाखा में जाकर ट्रांजेक्शन करने वाले या आनलाइन तरीके से वित्तीय लेनदेन करने वाले किसी भी व्यक्ति के वित्तीय स्वभाव का पता काफी आसानी से लगा लेती है। इससे बैंकों को यह फैसला लेने में आसानी होती है कि उक्त व्यक्ति को लोन देना चाहिए अथवा नहीं।
बेहतर क्रेडि़ट हिस्ट्री के फायदे
क्रेडि़ट हिस्ट्री के आधार पर लोन देने का फैसला किएजाने से अब बैंक से लोन लेना आसान नहीं रहा। अगर व्यक्ति ने अपना क्रेडि़ट स्कोर साफ सुथरा नहीं रखा तो जाहिर है कि उसकी क्रेडि़ट हिस्ट्री अच्छी नहीं होगी। इससे उसको भविष्य में किसी भी बैंक से लोन हासिल करने में मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। दूसरी तरफ अगर व्यक्ति की क्रेडि़ट हिस्ट्री बेहतर है तो बैंक ऐसे व्यक्ति को प्राथमिकता के आधार पर लोन देते हैं। इसके अलावा बेहतर क्रेडि़ट हिस्ट्री रखने वालों को क्रेडि़ट कार्ड़ भी आसानी से जारी हो जाता है साथ ही हर साल क्रेडि़ट कार्ड़ की उधारी सीमा भी बढ़ जाती है। बेहतर क्रेडि़ट हिस्ट्री रखने वालों को एक फायदा यह भी होता है कि वह लोन लेते वक्त बैंक से ब्याज दरों को लेकर मोल–भाव भी कर सकते हैं। मोबाइल सेवा प्रदाता भी अपने यूजर्स की क्रेडि़ट हिस्ट्री अच्छी होने पर पोस्टपेड़ ग्राहकों उधारी सीमा और काल लिमिट भी बढ़ा देती हैं।
क्रेडि़ट स्कोर अच्छा नहीं तो भी मिलता है लोन
ऐसा कोई नियम नहीं है कि क्रेडि़ट स्कोर अच्छा न होने पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता ही नहीं। ऐसे तमाम लोन होते हैं जो क्रेडि़ट स्कोर अच्छा न होने के बावजूद प्रदान किए जाते हैं। ऐसे मामलों में बैंक ग्राहक से लिक्विड़ गारंटी जैसे इंश्योरेंस पालिसी या बांड़ जैसे कागजात गारंटी के तौर पर मांग सकते हैं।
कुछ बातों का रखें ध्यान
अगर आपको अपना क्रेडि़ट स्कोर या क्रेडि़ट हिस्ट्री बेहतर रखनी है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। आपको बैंकों के साथ अपने वित्तीय लेनदेन को एकदम सही रखना होगा‚ आनलाइन ट्रांजेक्शन और ईएमआई ट्रांजेक्शन में भी कोई ऐसी गलती नहीं करनी होगी जिससे क्रेडि़ट स्कोर खराब होता हो जैसे ईएमआई चुकाने में देरी इत्यादि से बचना चाहिए। इसके अलावा कर्ज चुकाने के बाद क्रेडि़ट हिस्ट्री रखने वाली वेबसाइट पर यह सुनिश्चित कर लें कि उन्होंने आपका रिकार्ड़ अपडे़ट किया है या नहीं। कई बार बैंक इन एजेंसियों को सूचनाएं भेजने में देरी करते हैं तो रिकार्ड़ अपडे़ट नहीं हो पाता है। इसके अलावा लोन सेटेलमेंट के मामलों की जानकारी बैंक क्रेडि़ट हिस्ट्री रखने वाली कंपनियों को नहीं देते हैं। आप यह सुनिश्चित कर लें कि उक्त जानकारी बैंक ने इन एजेंसियों को भेज दी है अथवा नहीं। अगर नहीं भेजी है तो आप बैंक से इसके लिएकह भी सकते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान काफी लोगों की नौकरियां जाने और कारोबार ठप होने से बड़़ी संख्या में बैंकों के लोन डि़फाल्ट हो गए थे। इससे बैंकों के एनपीए में इजाफा भी हुआ था। डि़फाल्ट से बचने के लिए बैंक अब बेहतर क्रेडि़ट हिस्ट्री रखने वाले लोगों को ही लोन देने में प्राथमिकता देने लगे हैं। बैंकों को उम्मीद है कि इससे वे जो लोन बांटेंगे उसकी वापसी भी सुनिश्चित हो सकेगी। मौजूदा समय में बेहतर क्रेडि़ट हिस्ट्री रखने वालों को बैंक लोन आसानी से मिलने लगा है। अगर आप भी आसानी से बैंक लोन हासिल करना चाहते हैं तो अपनी क्रेडि़ट हिस्ट्री को एकदम साफ सुथरा रखें॥