बिहार की राजनीति में राजनीतिक हनुमान की चर्चा खूब होती है। नीतीश कुमार के हनुमान माने जाने वाले RCP सिंह अपनी पार्टी जदयू में अलग-थलग किए जा चुके हैं। लालू प्रसाद के हनुमान भोला यादव को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। उनके ठिकानों पर फाइलें खंगाली जा चुकी हैं और उन्हें रिमांड पर लिया गया है। खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान का हाल चुनाव और उसके बाद सभी ने देखा ही। बिहार की राजनीति के तीनों चर्चित हनुमान के सितारे गर्दिश में हैं! पढ़िए कैसे…
लालू परिवार और राजद के गुणा-भाग सुलझाते रहे भोला
लालू प्रसाद जब रेलमंत्री थे, तब भोला यादव उनके निजी सहायक थे। वे इतने करीबी हैं कि लालू ने उन्हें अपना निजी सहायक ही बनाकर नहीं रखा, बल्कि उन्हें बिहार के उच्च सदन तक पहुंचाया। यही नहीं, विधान सभा चुनाव में टिकट भी दिया। 2015 में वे दरभंगा के बहादुरपुर से विधायक हुए। 2020 में भी उन्हें टिकट दिया गया लेकिन वे हायाघाट से चुनाव हार गए। भोला यादव, लालू प्रसाद के बड़े राजदारों में हैं।
लालू परिवार और अन्य के बीच जमीन के ज्यादातर लेन-देन में गवाह के रूप में भोला यादव के हस्ताक्षर हैं। वे लालू प्रसाद का इतना ख्याल रखते हैं कि बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को एम्स में गीता पाठ करने से रोक दिया था। इसके बाद तेजप्रताप का गुस्सा खूब भड़का और उन्होंने ट्वीटर कर लिख दिया कि- गीता पाठ से रोकनेवाले उस अज्ञानी को ये नहीं पता कि इस महापाप की कीमत उसे इसी जन्म में चुकानी होगी। उन्होंने कपटी और पाखंडी जैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया था।
गणित में एमए भोला यादव, लालू, राजद और लालू परिवार के बीच का गणित देखते रहे।जब-जब मामला उलझा, सुलझाते रहे। इसलिए भोला यादव पर दबिश बढ़ने का असर लालू परिवार से लेकर राजद तक पर पड़ना तय माना जा रहा है।
RCP सिंह ढ़ाई दशक तक नीतीश कुमार के साथ रहे
जदयू में स्थिति खराब होने के बाद RCP सिंह ने कहा कि वे किसी के हनुमान नहीं हैं उनका नाम तो रामचंद्र है। हालांकि, उनकी बड़ी पहचान नीतीश कुमार के हनुमान के रुप में ही होती रही। विपक्षी नेता अपने बयानों में ‘RCP टैक्स’ की चर्चा खूब करते रहे हैं। वे कभी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। अभी ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। RCP सिंह IAS रह चुके हैं और नीतीश कुमार की जाति कुर्मी से आते हैं। जब नीतीश रेल मंत्री थे उस समय वे उनके OSD थे। बाद में वे जदयू में आए और दो बार राज्य सभा सदस्य बनाए गए। मोदी सरकार में जदयू कोटे से वे केन्द्रीय इस्पात मंत्री बन गए।
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद से ही उनकी स्थिति पार्टी के अंदर खराब होने लगी। सच यह है कि मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के समय नीतीश कुमार चाहते थे कि जदयू के दो कैबिनेट और दो राज्य मंत्री का पद दिया जाए। इस बातचीत के लिए नीतीश कुमार ने अपने पॉलिटिकल हनुमान को आगे किया, लेकिन सिर्फ RCP को मंत्रिमंडल में जगह दी गई या उन्होंने पा लिया। इसके बाद पार्टी उनके और ललन सिंह के बीच बंटने लगी। इसके बाद राज्यसभा की सदस्यता खत्म होने से एक दिन पहले RCP सिंह ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद जदयू के अंदर पहले ही ललन सिंह को दे दिया गया था। ढ़ाई दशक तक नीतीश के राजदार की तरह रहे RCP सिंह को किनारे कर दिया गया। उनके करीबी को भी चुन-चुन कर जदयू से बाहर किया गया। भाजपा के साथ RCP सिंह की नजदीकियां जदयू के शीर्ष नेताओं को खटकने लगी थी। अब जदयू कोटे से बिहार सरकार में मंत्री से लेकर पार्टी के आम कार्यकर्ता भी आरसीपी सिंह के खिलाफ बयान दे रहे हैं। शायद ही पहले ऐसा हुआ हो कि RCP ने कहा हो- वे किसी के हनुमान नहीं हैं।
खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान कह नीतीश कुमार को चिराग ने कमजोर किया
रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहते रहे हैं। यही कहते हुए उन्होंने विधानसभा चुनाव में लगभग दो दर्जन सीटों पर एनडीए के अंदर बड़े भाई की भूमिका निभानेवाली पार्टी जदयू को नुकसान पहुंचाया। अकेले लोजपा ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारा लेकिन बेगूसराय की मटिहानी से ही एक उम्मीदवार की जीत हो पाई। राजकुमार सिंह ने वहां से जदयू के बाहुबली बोगो सिंह को हराया था।
चिराग पासवान ने खुद कहा भी कि भाजपा को लाभ पहुंचाना और जदयू को नुकसान पहुंचाना उनका उद्देश्य था। मोदी के इस हनुमान की वजह से ही जदयू की सीटें विधान सभा चुनाव में घटीं और भाजपा की बढीं। भाजपा एनडीए के अंदर बड़े भाई की भूमिका में आ गई। इससे नीतीश कुमार और उनकी पार्टी पर भाजपा का दबाव बनने लगा। इस कथित हनुमान ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार बनाएंगे तो नीतीश कुमार को जेल भेंजेगे। लेकिन राजनीति की चाल ऐसी बदली की उनकी पार्टी उनके चाचा ने ही तोड़वा दी। लोजपा दो हिेस्सों में बंट गई। चाचा पशुपति कुमार पारस केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाए गए और चिराग को मंत्री नहीं बना गया।
यही नहीं, उनकी मां को राज्य सभा नहीं भेजा गया। पिता के उस आवास को भी खाली कराया गया जिसमें पिता के नाम पर संग्रहालय बनवाना चाहते थे। चिराग की पार्टी के एक मात्र विधायक राजकुमार सिंह को नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू में शामिल कर लिया। अब चिराग पासवान अपनी पार्टी को आगे के लिए मजबूत करने में लगे हैं।