देश के नए राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सोमवार को वोट डाले जायेंगे. देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 4,800 निर्वाचित सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान करेंगे. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू एवं विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बीच सीधा मुकाबला है. हालांकि माना जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी यशवंत सिन्हा की तुलना में स्पष्ट रूप से बहुत ज्यादा मजबूत है. मुर्मू के पक्ष में कुल वोटों के 60 प्रतिशत से अधिक वोट पड़ने की संभावना है. निर्वाचन आयोग की ओर से बिहार के विधायकों को मतदान कराने की पूरी तैयारी कर ली गई है. विशेष सुरक्षा में ‘मिस्टर बैलेट बॉक्स’ पहले ही बिहार पहुंच चुका है. दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में जिस मतपेटी का उपयोग किया जाता है उसे ‘मिस्टर बैलेट बॉक्स’ कहा जाता है. 13 जुलाई को ही विमान से ‘मिस्टर बैलेट बॉक्स’ को पटना लाया जा चुका है.
बिहार के सांसद जहाँ दिल्ली स्थित संसद भवन में मतदान करेंगे वहीं राज्य के विधायक पटना स्थित बिहार विधानसभा परिसर में बनाए गए मतदान केंद्र में मतदान करेंगे. निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, राष्ट्रपति चुनाव के तहत मतदान के दौरान सांसदों और विधायकों को अलग-अलग रंग के मतपत्र दिये जायेंगे. सांसदों को हरे रंग के और विधायकों को गुलाबी रंग के मतपत्र मिलेंगे.
बिहार के भी सांसद जहाँ हरे रंग के मतपत्र का उपयोग करेंगे वहीं विधायकों के लिए गुलाबी रंग का मतपत्र पटना पहुंच चुका है. दरअसल सांसद और विधायकों के लिए अलग अलग रंग के मतपत्र का प्रावधान शुरू है. अलग-अलग रंग के मतपत्र होने से निर्वाचन अधिकारियों को मतों की गिनती करने में आसानी होगी. मतदान की गोपनीयता बरकरार रखने के लिए निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों को मतदाताओं को अपने मत पत्रों पर निशान लगाने के लिए बैंगनी स्याही वाली एक खास तरह की कलम उपलब्ध कराई हैं.
मतदान संसद भवन और राज्य विधानसभाओं के भवनों में होगा, जिसके लिए मतपेटियां पहले ही अपने गंतव्यों तक पहुंच चुकी हैं. मतगणना 21 जुलाई को. नये राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करेंगे. मुर्मू को समर्थन देने वाले दलों में भाजपा के अलावा एनडीए के सभी घटक दल शामिल हैं. बीजू जनता दल (बीजद), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक), जनता दल (S), तेलुगु देशम पार्टी (TDP), शिरोमणि अकाली दल (शिअद), शिवसेना और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों और विधायकों के मतों का मूल्य होता है. संसद के एक सदस्य का मत मूल्य 708 से घटकर 700 हो गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है. तमिलनाडु और झारखंड के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 176 है. इसके बाद महाराष्ट्र का 175, बिहार का 173 और आंध्र प्रदेश के हरेक विधायक का मत मूल्य 159 है. छोटे राज्यों में सिक्किम के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य सात है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का मत मूल्य आठ-आठ, नगालैंड का नौ, मेघालय का 17, मणिपुर का 18 और गोवा का मत मूल्य 20 है. केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी के एक विधायक का मत मूल्य 16 है.
देश के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव कल होना है. इसके लिए भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि संयुक्त विपक्ष ने पूर्व वित्त व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को प्रत्याशी बनाया गया है. 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ लेंगे. ऐसा नहीं है कि पहली बार कोई राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ लेंगे, बल्कि भारत में वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही शपथ लेते हैं. चलिए जानते हैं इस परंपरा के बारे में और वह पहले राष्ट्रपति कौन थे जिन्होंने 25 जुलाई को शपथ ली थी.
रामनाथ कोविंद ने कब ली शपथ (When did 14th President Ram Nath Kovind take oath) ?
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उनसे पूर्व प्रणब मुखर्जी और उनसे भी पूर्व प्रतिभा पाटिल ने भी 25 जुलाई को ही शपथ ली थी. इन सबके पूर्व राष्ट्रपतियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन्होंने 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. Also Read – राष्ट्रपति चुनाव: राज्यवार देखें विधायकों के मत का मूल्य, यूपी टॉप पर, सबसे नीचे सिक्किम
अब तक कितने राष्ट्रपतियों ने ली 25 जुलाई को शपथ (How many Indian Presidents take oath on 25th July) ?
अब तक देश के कुल 9 राष्ट्रपतियों ने 25 जुलाई को शपथ ली है. बता दें कि भारत में राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है और हर पांच साल में एक बार लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मिलकर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक खास किस्म की चुनाव प्रक्रिया का पालन किया जाता है. इसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहा जाता है. इसके तहत मतदाता अपनी पसंद के अनुसार 1, 2, 3, 4 के क्रम में उम्मीदवारों को चुनता है, लेकिन किसी भी स्थिति में उसका एक ही वोट गिना जाता है. Also Read – रिटायर होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद को मिलेंगी ये सुविधाएं और भत्ते
कितने राष्ट्रपतियों ने 25 जुलाई को शपथ नहीं ली (Which Other’s not take oath on 25th July)
अब तक कुल पांच राष्ट्रपति ऐसे रहे हैं, जिन्होंने 25 जुलाई को शपथ नहीं ली. इनमें सबसे पहला नाम पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का है. उन्होंने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और अब तक इकलौते ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो एक से ज्यादा कार्यकाल के लिए चुने गए. देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 13 मई 1962 को शपथ ली थी, जबकि जाकिर हुसैन ने 13 मई 1967 को तीसरे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. जाकिर हुसैन का उनके कार्यकाल के दौरान ही निधन हो गया. उनके बाद चौथे राष्ट्रपति वीवी गिरी ने 24 अगस्त 1969 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और पांचवे राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने 24 अगस्त 1974 को शपथ ली थी. पांचवे राष्ट्रपति का भी अपने कार्यकाल के दौरान ही निधन हो गया था.
इस दौरान तीन अवसर ऐसे भी आए, जब देश में कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे. पहली बार तब तब जाकिर हुसैन का निधन हुआ तो उस समय वीवी गिरी 3 मई 1969 से 78 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे, उनके बाद 20 जुलाई 1969 से अगले 35 दिनों के लिए मोहम्मद हयातुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. पांचवे राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के निधन के बाद बीडी जत्ती भी 11 फरवरी 1977 से अगले 164 दिन तक कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे.
किस राष्ट्रपति ने पहली बार 25 जुलाई को शपथ ली (Who was first President to take oath on 25th July) ?
देश के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी वह पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 25 जुलाई को शपथ ली. देश में आपातकाल के बाद जब पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ तो पूर्व में जनता पार्टी के नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी देश के राष्ट्रपति चुने गए. नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को देश के राष्ट्रपति पद की शपथ ली.
25 जुलाई को ही राष्ट्रपति पद की शपथ क्यों होती है? (Why did president take oath on 25th July)
सीधे शब्दों में कहें तो इसका कोई कारण नहीं है. छटे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी और उनके बाद के अब तक के सभी राष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया है. राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है. इस तरह से नीलम संजीव रेड्डी और उनके बाद के अब तक 7 राष्ट्रपतियों यानी कुल 8 ने अपना कार्यकाल पूरा किया, इसलिए हर बार उनका कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा होने के साथ ही 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ लेते हैं. मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल भी 24 जुलाई को पूरा हो रहा है और इस बार राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू व यशवंत सिन्हा में से जो भी चुनाव जीतेगा, वह 25 जुलाई को शपथ लेगा.