अमेरिका की पहल पर हिंद–प्रशांत क्षेत्र के १३ एशियाई देशों का नया आर्थिक सहयोग मंच चीन को घेरने की रणनीति है। चीन की विस्तारवादी और आक्रामक कारोबारी रणनीति पर चोट करने के लिए सोमवार को टोक्यो में १३ देश एक साथ एक मंच पर आए। इस मंच को हिंद–प्रशांत आर्थिक ढांचा यानी इंड़ो–पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रास्पेरिटी (आईपीईएफ) का नाम दिया गया है। सीधे तौर पर इस मंच का मकसद आपूर्ति श्रृंखला की राह में आने वाली या कहें चीन की तरफ से गड़़बड़़ी को दूर करना और सहयोग बढ़ाना है। पिछले कई वर्षों से हिंद–प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीति से इस क्षेत्र के तकरीबन हर मुल्क परेशान हैं। चीन न तो अपने पड़़ोसी देशों के साथ दोस्ताना व्यवहार निभाता है न उनकी मदद को आगे बढ़ता है। हमेशा से उसके मन में मदद करने की आड़़ में उस देश को पंगु बना देने की खुराफात चलती रहती है। श्रीलंका की जो आज जर्जर हालत है‚ उसके पीछे चीन की आक्रामक नीति ही जिम्मेदार मानी जा रही है। संयुक्त घोषणा पत्र के मुताबिक आईपीईएफ का उद्देश्य सदस्य देशों की आर्थिकी को आपस में जोड़़ना‚ मजबूत सप्लाई चेन की स्थापना‚ महंगाई को रोकना‚ महत्वपूर्ण खनिज पदार्थों के उत्खनन में सहयोग करना‚ डि़जिटल धोखाधड़़ी को रोकना‚ स्वच्छ ऊर्जा से निपटने में सहयोग आदि है। दरअसल‚ रूस–यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए हालात और कोरोना काल में चीन से आपूर्ति बाधित होने का खामियाजा कई देशों को भुगतना पडा। फलस्वरूप कई देश गहन विचार–विमर्श के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि एक ठोस विकल्प का होना बेहद जरूरी है। चीन की घेरेबंदी नया आर्थिक मंच बनाकर ही की जा सकती है। प्रशांत–हिंद क्षेत्र हमेशा से आर्थिक गतिविधि और निवेश का केंद्र रहा है। खासकर यहां समुद्र के भीतर बेशकीमती धातुओं और अन्य पदाथो का विपुल भंड़ार है‚ जिस पर चीन किसी भी तरह कब्जा करना चाहता है। इस क्षेत्र में अपनी बादशाहत जमाने के लिए वह आसपास के देशों पर दबाव भी ड़ालता है। यही वजह है कि चीन को इस मंच का हिस्सा नहीं बनाया गया है। निश्चित तौर पर इस फ्रेमवर्क में शामिल १३ देशों के बीच समन्वय‚ पारदर्शिता और सामयिकता से समृद्धि के नये आयाम खुलेंगे। भारत चूंकि इस क्षेत्र में सदियों से कारोबारी गतिविधियों के केंद्र में रहा है‚ इस नाते इसकी भूमिका ज्यादा प्रभावशाली होगी। देखना है‚ चीन की प्रतिक्रिया किस रूप में सामने आती है।
चुनाव के बाद सभी विपक्षी दल साथ आएंगे. …
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए चुनाव-प्रचार जोरों पर है. लोकसभा चुनाव में NDA और I.N.D.I.A अलायंस के बीच...