स्थानीय निकाय कोटे से बिहार विधानपरिषद की 24 सीटों के लिए होने वाले चुनाव प्रचार का काम शनिवार की शाम संपन्न हो गया। इसके बाद अब सूबे के सभी प्रमुख दलों का ध्यान बिहार विधानसभा की इकलौती बोचहां सीट पर टिक गई है। यहां होने जा रहे उपचुनाव को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार और तेज हो जाएगा। कई बड़े नेताओं व स्टार प्रचारकों की सभाएं हो सकती हैं। खासकर भाजपा ने जिस स्तर पर यहां चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है उससे तो यही लग रहा है कि आने वाले सप्ताह में चुनावी गहमागहमी के केंद्र में मुजफ्फरपुर ही रहने वाला है। बोचहां उपचुनाव से पहले बिहार की राजनीतिक स्थिति बदल गई। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस उपचुनाव के बाद भी सूबे की राजनीति के समीकरण बदले हुए दिखेंगे। कम से कम वर्तमान वाली स्थिति तो नहीं ही रहेगी। उनका दावा है कि इस चुनाव के परिणाम से नेताओं के कद तय किए जाएंगे।
बोचहां विधानसभा उपचुनाव 2022 को लेकर जारी चर्चा व विश्लेषण के बीच अब एक और बात पर बहस तेज होती जा रही है कि इस चुनाव का ट्रिगर प्वाइंट क्या होगा या कौन होगा? तात्पर्य यह कि क्या कोई नेता, अभिनेता या फिर स्टार प्रचार इस चुनाव को एक खास दिशा में मोड़ देगा या फिर कोई और फैक्टर। क्षेत्र में जारी चर्चाओं पर गौर करने पर एक बात तो साफ दिख रही है कि भले ही सभी दल व राजनीतिक पंडित जातियों के वोट बैंक के आधार को मानकर विश्लेषण कर रहे हों, लेकिन इसका ट्रिगर प्वाइंट बिहार एमएलसी चुनाव साबित होने वाला है। खासकर एमएलसी की मुजफ्फरपुर सीट के परिणाम। एमएलसी चुनाव परिणाम बोचहां चुनाव से पहले ही घोषित कर दिया जाएगा। उसमें किस दल के समर्थित प्रत्याशी की जीत होगी, यह बोचहां चुनाव की दिशा को तय कर सकता है। यदि महागठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में परिणाम गया तो उसका एक अलग नैरेटिव सामने आएगा। क्योंकि राजद ने जिस जाति के प्रत्याशी को एमएलसी चुनाव में उतारा है वह बोचहां में काफी प्रभावकारी है। परिणाम एनडीए के पक्ष में जाने की स्थिति में माना जा रहा है कि स्विंग वोटर बोचहां के एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जा सकते हैं। यदि यह विश्लेषण काम करता है तो निश्चय ही बोचहां का बड़ा खिलाड़ी कोई नेता या स्टार प्रचार नहीं होकर एमएलसी चुनाव का परिणाम होगा।