नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जुब्बा सहनी की तुलना लालू प्रसाद और खुद से की। जुब्बा सहनी ने 16 अगस्त 1942 को मीनापुर थाने के अंग्रेज इंचार्ज लियो वालर को आग में जिंदा झोंक दिया था। पकड़े जाने पर उन्हें 11 मार्च 1944 को फांसी दे दी गई थी। जुब्बा सहनी के शहादत दिवस के अवसर पर राजद कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ने ये बातें कहीं।
कहा कि जो काम 42 के दौर में जुब्बा सहनी ने किया और देश की आजादी की जरुरत बतायी, वही काम 90 के दौर में लालू प्रसाद ने किया और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी। जुब्बा सहनी को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी और लालू प्रसाद को जेल की सजा मिली। उन्होंने कहा कि जुब्बा सहनी अभी होते तो युवाओं के रोजगार की बात करते। हम उन्हीं के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी का दौर आर्थिक आजादी पाने का दौर है।
तेजस्वी ने सवालिया लहजे में कहा कि देश में 1990 के बाद कोई घोटाला ही नहीं हुआ? कहा कि लालू प्रसाद ने चारा घोटाला को सामने लाया था। मैं सुनता रहा हूं कि एक जुर्म की एक सजा होती है लेकिन लालू प्रसाद को तो बिना जुर्म के लिए ही कई बार सजा दी जा रही है।

इन सभी को सिर्फ अपने बुढ़ापे की चिंता
जुब्बा सहनी के शहादत दिवस को राजद के मत्स्यजीवी प्रकोष्ठ ने मनाया था। इनके शहादत दिवस को अतिपिछड़ा राजनीति से जोड़कर मनाया गया। वक्ताओं के भाषण में भी यह सब खूब दिखा। अपने भाषण में तेजस्वी ने कहा कि मुझे तेजस्वी यादव कहिए या तेजस्वी निषाद कहिए, कोई फर्क नहीं पड़ता। चुनाव में जनता ने हमें एजेंडा पर वोट दिया। नीतीश कुमार सहित भाजपा के नेताओं पर कटाक्ष करते हुए तेजस्वी ने कहा कि इन सबों को किसी की चिंता नहीं है। सिर्फ अपने बुढ़ापे की चिंता है कि कैसे अच्छे से कट जाए। कैसे जोड़-तोड़ करके बने रहें कुर्सी पर।

लालू का दरबार सब के लिए खुला था, नीतीश ऑनलाइन आवेदन मांगकर उसमें से चुनते हैं
नीतीश कुमार पर तेजस्वी ने कहा कि नेता के पास आने के लिए लोग एप्वाइंटमेंट लेगा। ई जनता दरबार लगाते हैं तो कहते हैं कि ऑनलाइन भेजो, उसमें से चुनेंगे तब बुलाएंगे मिलने। लालू जी के लिए दरबार खुला रहता था। कभी जनता के बीच देखा है नीतीश कुमार को जाते? मुख्यमंत्री समाज सुधार यात्रा पर निकलते हैं लेकिन जहां महिलाओं के साथ रेप हो रहा है, अफसरशाही है, वहां अफसरों के लिए सुधार यात्रा निकालनी चाहिए। मेन एजेंडा न आया चर्चा में इसलिए सिर्फ शराब पर जोर है। वे जनता के बीच जाते भी है तो चारों तरफ पुलिस छावनी होती है, काला छाता ले जाने पर भी बैन रहता है।
मुकेश सहनी याद तो आए पर तेजस्वी ने कहा- हम नाम नहीं लेना चाहते
तेजस्वी यादव ने सन ऑफ मल्लाह नाम से राजनीति करने वाले मुकेश सहनी को विधान सभा में टिकट नहीं दिया था जिससे वे प्रेस कांफ्रेस में बिफर पड़े थे। कहा था कि तेजस्वी ने अतिपिछड़ा के बेटे के पीठ में खंजर भोंका। सहनी अभी नीतीश सरकार में मंत्री हैं। तेजस्वी ने कहा कि वे कुछ दिन पहले मछली बाजार गए थे जिसके बाद एक दूसरे नेता भी वहां गए। कहा कि मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता। तेजस्वी का इशारा मुकेश सहनी की ओर था। उपचुनाव में भी खेत में जमे पानी में मछली मारकर तेजस्वी ने मछुआरा समाज को अपनी तरफ करने की कोशिश की थी।
जुब्बा सहनी के शहादत दिवस कार्यक्रम में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, अनिल सहनी, भरत सिंह, शिवचंद्र राम, आलोक मेहता, आजाद गांधी, एजाज अहमद, रणविजय साहू, मुन्ना यादव, लखन निषाद, शंकर चौधरी आदि मौजूद रहे।