बिहार विधान परिषद की बैठक शुक्रवार से शुरू हो गयी हुई। इस बजट सत्र में २५ फरवरी से ३१ मार्च तक कुल २२ बैठकें होंगी। सत्र की शुरुआत कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह के प्रारंभिक संबोधन के साथ हुई। कार्यकारी सभापति ने कहा कि यह गौरव की बात है कि आज से आरंभ हो रहे २०० वें सत्र के इस स्वर्णिम और ऐतिहासिक अवसर के हम सब साक्षी बनने जा रहे हैं। लंबी अवधि के इस सत्र में जनता के हितों से जुडे महत्वपूर्ण मामले एवं प्रदेश के विकास से जुडे ज्यादा–से–ज्यादा विषय सदन के पटल पर लाये जाएं‚ ऐसा हमारा प्रयास हो। कार्यकारी सभापति ने कहा कि बिहार के लोकतांत्रिक इतिहास के निर्माण में बिहार विधान परिषद् का गौरवााली योगदान रहा है। ड़ॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा एवं अन्य के अथक प्रयास के बाद १२ दिसम्बर‚ १९११ को दिल्ली दरबार में हुई उद्घोषणा के पश्चात बिहार राज्य का निर्माण हुआ और बिहार विधान परिषद् की स्थापना हुई। परिषद् की कार्यवाही इसका प्रमाण है कि पटना कॉलेज के सेमिनार हॉल में २० जनवरी‚ १९१३ को हुई प्रथम बैठक से लेकर आज आरंभ हो रहे २००वें सत्र तक हम अपने राज्य के विकास को लेकर‚ जनता की समस्याओं के समाधान एवं उनके कल्याण के लिए जनतांत्रिक ढंग से विमर्श करते आए हैं। बिहार विधान परिषद् की वर्तमान सत्र श्रृंखला की गणना २२ जुलाई‚ १९३७ से ४ सितम्बर‚ १९३७ तक हुए प्रथम सत्र से प्रारंभ होती है। इस सत्र में भी सदस्यों के जनपक्षीय व्यवहार के कारण सरकार को निर्णय लेने में सहायता पहुंचाई गई है। ३१ अगस्त‚ १९३७ को गंगानन्द सिंह ने गैर सरकारी प्रस्ताव लाया कि राज्य में बाढ की बारंबारता को रोकने को कारगर प्रयास किया जाए ताकि जनता को परेशानी से बचाया जा सके। पटना के कंकडबाग‚ लोहानीपुर और पृथ्वीपुर मोहल्लों में बाढ से उत्पन्न परेशानी की चर्चा सदन में हुई थी। इसी सत्र में कृषि योग्य भूमि पर सरकार द्वारा सिंचाई व्यवस्था किए जाने का प्रस्ताव सैम्युअल पूर्ति द्वारा लाया गया था। सदन के मलेश्वरी मंडल ने इसी सत्र में प्रस्ताव लाया था कि लडकियों की शिक्षा के लिए सभी अनुमंडलों में मध्य विद्यालय की स्थापना की जाए। प्रारंभिक शिक्षा को निःशुल्क एवं अनिवार्य बनाने‚ किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने‚ कोसी की धारा में हुए परिवर्तन के कारण एवं समाधान‚ पशुओं के लिए चारा एवं चरागाह की व्यवस्था‚ डेहरी–दीघा सोन नहर में पानी की कमी आदि से संबंधित जनहित के विषयों पर विधान परिषद् के प्रथम सत्र में ही चर्चा हुई थी। २१ मार्च‚ १९३८ को इस वेश्म में आने के पूर्व परिषद् की बैठक कौंसिल चौम्बर में होती थी। हमारे लिए यह अत्यंत गौरव का विषय है कि इस भवन के शताब्दी समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति‚ मुख्यमंत्री सहित अनेक महानुभाव उपस्थित हुए थे। ३० मई‚ १९६९ को बिहार विधान परिषद् में कैलाश सिंह द्वारा लाए गए गैर सरकारी संकल्प के कारण राम बिलास शर्मा की अध्यक्षता में गठित गंगा पुल समिति के १ जुलाई‚ १९६९ को सदन में पेा किए गए प्रतिवेदन में गुलजारबाग में गंगा नदी पर पुल बनाने का निर्णय लिया गया था। इस प्रतिवेदन में यह आशा भी व्यक्त की गई थी कि यह पुल उत्तर एवं दक्षिण बिहार को जोडने में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। इसी सदन की समिति ने जनप्रतिनिधियों के लिए मानक आचार तय करने की संस्तुति दी थी। समिति अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठित इस समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन की काफी सराहना हुई। लोकतांत्रिक विकास की प्रक्रिया में विधान परिषद् के योगदान के ये कुछ उदाहरण मात्र हैं। महात्मा गांधी‚ बाबा साहब भीमराव राजेन्द्र प्रसाद‚ जयप्रकाश नारायण‚ राम मनोहर लोहिया‚ पंडित दीन दयाल उपाध्याय‚ कर्पूरी ठाकुर एवं अटल बिहारी वाजपेयी जैसे युगद्रष्टाओं द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को आत्मसात् कर हम बिहार की अंतहीन गौरवशाली परंपरा को समृद्ध करने रहेंगे‚ साथ ही‚ अपनी विकास यात्रा के नए–नए सोपान तय करते रहेंगे।
हमें स्मरण रखना होगा कि महात्मा बुद्ध ने विव शांति का उपदेश इसी धरती से दिया था। हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति हमेशा सजग रहना चाहिए। क्योंकि परिषद् की कार्यवाही पर शोध एवं विमर्श कर आगे आनेवाली पीढी हमारा मूल्यांकन भी करेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आरंभ किए गए समाज सुधार कार्यक्रम यथा नााबंदी‚ बाल विवाह एवं दहेज प्रथा आदि के प्रत्यक्ष लाभ समाज को मिल रहे हैं।युवा शक्ति‚ महिला साक्तीकरण‚ सिंचाई‚ स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि के क्षेत्र में सरकार द्वारा किए जा रहे अच्छे कायोंर् के विषय में भी विधान परिषद् में समय–समय पर चर्चा होती रही है।
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