नवम्बर १९ को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करते हुए कहा कि मैं अपने सभी आंदोलनरत किसान साथियों से आग्रह कर रहा हूं कि गुरु पर्व के पवित्र दिन अपने–अपने घर लौटें‚ अपने खेतों में लौटें‚ अपने परिवार के बीच लौटें। उन्होंने देशवासियों से क्षमा मांगते हुए कहा कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी‚ जिसके कारण दीए के प्रकाश जैसा सत्य‚ कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। पीएम ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया भी इसी संसद सत्र में पूरी कर दी जाएगी।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कृषि को प्रभावी बनाने‚ विकास की नई रणनीति और जीरो बजट खेती की तरफ प्रभावी कदम बनाने के लिए एक कमिटी के गठन का फैसला भी घोषित किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने‚ देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न के वैज्ञानिक तरीके‚ एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर भविष्य को ध्यान में रखते हुए नई कमेटी द्वारा प्रभावी निर्णय लिए जाने की बात कही। निस्संदेह अब तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद कृषि के विकास के लिए देश के सभी किसानों की सहभागिता और कृषि के विकास के लिए गठित होने वाली नई कमेटी को जो विषय सौंपे जा रहे हैं‚ उनकी प्रभावी रणनीति से देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास का नया अध्याय लिखा जा सकेगा। इसमें कोई दो मत नहीं कि कोविड–१९ की चुनौतियों के बाद इस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार का परिoश्य दिखाई दे रहा है।
इस समय जहां देश के रोजगार सूचकांक ग्रामीण भारत में तेजी से रोजगार बढ़ने का ग्राफ प्रस्तुत कर रहे हैं‚ वहीं ग्रामीण उपभोक्ता सूचकांक भी लगातार ऊँचाई पर पहुंचते दिखाई दे रहे हैं। मानसून के अनियमित रहने और बुआई में देरी के बावजूद खरीफ सत्र में अच्छी फसल की संभावना से ग्रामीण भारत का आशावाद भी >ंचाई पर है। इस समय देश में कृषि एवं ग्रामीण विकास की मजबूती के साथ–साथ किसानों की आय बढ़ाने के चार महत्वपूर्ण आधार उभर कर दिखाई दे रहे हैं। एक‚ जन–धन योजना के माध्यम से छोटे किसानों और ग्रामीण गरीबों का सशक्तिकरण। दो‚ कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रम। तीन‚ कृषि संबंधी नवाचार एवं शोध से कृषि उन्नयन तथा चार‚ ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए नई स्वामित्व योजना की शुरुआत। सचमुच देश ही दुनिया में भी रेखांकित हो रहा है कि जन धन योजना के माध्यम से सरकार ने आक्रामक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम चलाया है‚ जिसकी वजह से सरकार छोटे किसानों और ग्रामीण भारत में गरीबों की मदद करने में सफल रही है। २५ सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के ७६वें सत्र को संबोधित करते हुए दुनिया को जन धन योजना के महत्व से परिचित कराया था। कहा गया है कि देश के छोटे किसानों की मुट्ठियों में वित्तीय समावेशन की खुशियां तेजी से बढ़ी हैं। पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त‚ २०२१ तक ११.३७ करोड़ किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए १.५८ लाख करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं।
विगत ११ अक्टूबर को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने १५ राज्यों के ३४३ चिह्नित जिलों में किसानों को मुफ्त ८.२० लाख हाइब्रिड बीज मिनी किट कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि पिछले ६–७ वर्षों में कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रमों के अच्छे परिणाम दिखाई देने लगे हैं। हाल ही में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी खरीफ सत्र के प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक देश में इस बार खरीफ सत्र में करीब १५.०५ करोड़ टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन होने की संभावना है। पिछले वर्ष खरीफ सत्र में करीब १४.९५ करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था। यह भी महत्वपूर्ण है कि वर्ष २०२०–२१ में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब ३०.८६ करोड़ टन की रिकॉर्ड ऊँचाई पर रहा है।
निस्संदेह कृषि एवं ग्रामीण विकास के इन नये आयामों के साथ अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए स्वामित्व योजना नई आर्थिक शक्ति के रूप में दिखाई दे रही है। विगत ६ अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के हरदा में आयोजित स्वामित्व योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होते हुए देश के ३००० गांवों के १.७१ लाख ग्रामीणों को जमीनों के अधिकार पत्र सौंपते हुए कहा कि स्वामित्व योजना गांवों की जमीन पर बरसों से काबिज ग्रामीणों को अधिकार पत्र देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने वाली महत्वाकांक्षी योजना है।
गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण और गांवों में नई खुशहाली की इस महत्वाकांक्षी योजना के सूत्र मध्य प्रदेश के वर्तमान कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा वर्ष २००८ में उनके राजस्व मंत्री रहते तैयार की गई मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास अधिकार योजना से आगे बढ़ते हुए दिखाई दिए हैं। इसी परिपेक्ष्य में ८ अक्टूबर‚ २००८ को पटेल के गृह जिले हरदा के मसनगांव और भाट परेटिया गांवों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में १५५४ भूखंडों के मालिकाना हक के पट्टे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ग्रामीण आवास अधिकार पुस्तिका के माध्यम से दोनों गांवों के किसानों और मजदूरों को सौंपे गए थे। इस अभियान से ग्रामीणों के सशक्तिकरण की आशा के अनुरूप सुकून भरे परिणाम प्राप्त हुए हैं। ऐसे में देश भर के गांवों में स्वामित्व योजना के लागू होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था की चमकीली स्थिति दिखाई दे सकेंगी।
हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा तीन नये कृषि कानूनों की वापसी के बाद जहां सभी किसान सामूहिक रूप से कृषि विकास के लिए हर संभव योगदान देंगे‚ वहीं सरकार भी विभिन्न कृषि विकास कार्यक्रमों और खाद्यान्न‚ तिलहन व दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए लागू की गई नई योजनाओं के साथ–साथ डिजिटल कृषि मिशन के कारगर क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी।