दोनों सीटों पर २०२० में हुए चुनाव की तुलना में इस बार पांच फीसद कम हुआ मतदान, बिहार विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में सत्ताधारी जदयू और विपक्षी राजद–कांग्रेस–लोजपा (रामविलास) ने पूरी ताकत झोंक दी। मुंगेर और दरभंगा के छोटे से लेकर बड़़े होटल‚ रिसॉर्टसभी १६ से २८ अक्टूबर तक राजनीतिक पार्टियों के बड़े़–बड़े़ नेताओं के नाम पर बुक थे। आम आदमी को दोनों जिला मुख्यालय में खोजने पर भी ठहरने के लिए होटल नहीं मिल रहा था। चुनाव प्रचार में जमकर हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। राज्य सरकार के मंत्री‚ सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सभी सांसद–विधायक और विभिन्न आयोग–निगमों के अध्यक्ष सहित सभी पार्टियों के पदाधिकारी चुनाव वाले क्षेत्रों में जमे हुए थे। इसके बावजूद मतदान फीसद में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई‚ उल्टे २०२० में हुए बिहार विधानसभा चुनाव की तुलना में उपचुनाव में पांच फीसद कम मतदान हुआ है। कम मतदान फीसद चुनाव परिणाम पर भी असर ड़ालेगा। कहा जाता है कि कम मतदान फीसद सत्ताधारी दल के पक्ष में जाता है तो अधिक मतदान सरकार के खिलाफ जाता है। हालांकि किस करवट बैठेगा यह तो दो नवम्बर को ही पता चलेगा।
बिहार विधानसभा उपचुनाव में तारापुर और कुशेश्वरस्थान में चल रहा मतदान खत्म हो गया है। मतदान के दौरान वोटरों का सर्वे किया। रूझान के मुताबिक, दोनों सीटें जदयू के पास ही बरकरार रहने की उम्मीद है। मतदाताओं ने बड़ी गंभीरता के साथ फैसला लिया है। इन दोनों जगहों पर मुकाबला कांटे का रहा। JDU सत्तारुढ़ दल जरूर है, लेकिन RJD ने कड़ी टक्कर दी है।
NDA के सभी दलों ने मिलकर इस चुनाव को लड़ा। महागठबंधन के अंदर मचे घमासान ने उपचुनाव पर खासा असर किया। कांग्रेस और RJD का अलग-अलग चुनाव लड़ना नुकसान कर गया। इस चुनाव में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने काफी मेहनत की थी। उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने भी इस चुनाव के अंतिम दिनों में आकर माहौल बनाने की कोशिश की थी। NDA के सभी दलों ने मिलकर तारापुर में जमकर चुनाव प्रचार किया। BJP, HAM और VIP के नेताओं ने तारापुर में कैंप किया।
कुशेश्वरस्थान और तारापुर में हमने जाना मतदाताओं का मिजाज
कुशेश्वरस्थान और तारापुर के मतदाताओं के मिजाज जाना तो उनकी बातों से यह लगा कि वह विकास को प्राथमिकता देते हुए वर्तमान सरकार के साथ हैं। यानी, उन्होंने JDU को वोट किया है।
पहले बात तारापुर की
तारापुर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राजनीति के सारे दांव-पेंच अपनाते हुए जिस तरह अपने परंपरागत यादव समुदाय को टिकट न देते हुए वैश्य समाज के अरुण साह को टिकट दिया, उसका असर मतदाताओ पर भी नजर आया।
वैश्य समाज के लोगों ने खुलकर NDA के पक्ष में वोट नहीं किया है। JDU को तारापुर में वोटरों को मोबिलाइज करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। JDU ने हर बार की तरह कुशवाहा समाज से राजीव कुमार सिंह को टिकट देकर अपनी दावेदारी को मजबूत तरीके से रखा है। कांग्रेस और चिराग पासवान के उम्मीदवार इस लड़ाई में तीसरे और चौथे नंबर के लिए मशक्कत कर रहे हैं।
अब कुशेश्वरस्थान की बात
कुशेश्वरस्थान में महादलित और यादव समुदाय के बीच में अदावत रही है। RJD इससे पहले कभी वहां चुनाव नहीं लड़ी है। RJD ने महागठबंधन में टूट करते हुए कांग्रेस को अलग कर वहां अपना उम्मीदवार दिया। RJD ने मुसहर समुदाय से गणेश भारती को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार अशोक राम के पुत्र अतिरेक कुमार को टिकट देकर इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया। JDU ने अपने दिवंगत विधायक शशिभूषण हजारी के पुत्र अमन हजारी को टिकट देकर सहानुभूति वोट लेने की पूरी कोशिश की, जिसमें वह सफल होती दिख रही है।
तारापुर में JDU और RJD के बीच कांटे की टक्कर है। भले ही यह सीट पहले JDU की थी, लेकिन तेजस्वी यादव ने बराबर का मुकाबला किया है। तारापुर में तेजस्वी ने कुछ प्रयोग जरूर किए हैं। उसमें वो कितने सफल होते हैं, यह परिणाम ही बताएगा। कुशेश्वरस्थान सीट JDU के पक्ष में जाती दिख रही है। उपचुनाव में दिवंगत परिवार से चुनाव लड़ने वाले को 10 फीसदी वोटों का फायदा मिलता है। शशिभूषण हजारी के निधन के बाद उनके बेटे अमन हजारी को टिकट देकर JDU ने इस सीट को बचा लिया है।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव २०१५ में कुशेश्वरस्थान (सुरक्षित) में ५१.१७ फीसद और तारापुर में ५२.६६ फीसद मतदान हुआ था। यानी दोनों विधानसभा क्षेत्रों में ५१.९२ फीसद मतदान हुआ था। वह २०२० के बिहार विधानसभा चुनाव में बढ़ गया। बिहार विधानसभा चुनाव २०२० में इन दोनों क्षेत्रों में कुल ५४.७६ फीसद मतदान हुआ था जिसमें कुशेश्वरस्थान में ५४.४३ और तारापुर में ५५.०८ फीसद मतदान हुआ था। वहीं‚ बिहार विधानसभा उपचुनाव २०२१ में दोनों विधानसभा क्षेत्रों में पांच–पांच फीसद कम वोट पड़े़ हैं। उपचुनाव में कुशेश्वर स्थान (सुरक्षित) में ४९ और तारापुर में ५०.०५ फीसद मतदान हुआ है जो २०२० की तुलना में कुशेश्वरस्थान में ५.४३ और तारापुर में ५.०३ फीसद कम हैं।
कुशेश्वरस्थान में दो लाख ५७ हजार २६२ और तारापुर में तीन लाख २८ हजार ६९९ मतदाता हैं। २०२० के बिहार विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान में १६ उम्मीदवार चुनावी दंगल में खम ठोक रहे थे। इस बार आठ उम्मीदवार ही मैदान में हैं। २०२० में एक लाख ३६ हजार ४८१ वोट पड़े़ थे जिसमें जदयू के शशिभूषण हजारी को ५३९८०‚ कांग्रेस के ड़ॉ. अशोक राम को ४६‚७५८‚ लोजपा की पूनम कुमारी को १३३६२‚ रालोसपा के लक्ष्मी पासवान को २०६०‚ निर्दलीय कामेश्वर राम को ३८६४‚ योगी चौपाल को ३४८९‚ नोटा पर ३१४२‚ लाल मोहर सदा को २११७‚ मुरारी पासवान को १८०५‚ गणेश कुमार को १३९२‚ रेणु राज को ११५२‚ अवधेश पासवान को ८७७‚ आनंद कुमार को ७३८‚ द्रौपदी देवी को ६८४‚ चांद देवी को ५९० और जयजय राम को ४७१ वोट मिले थे।
तारापुर की बात की जाये तो २०२० में २६ उम्मीदवार चुनावी दंगल में उतरे थे। इस बार नौ उम्मीदवार मैदान में हैं। २०२० में एक लाख ७४ हजार ५४७ वोट पड़े़ थे जिसमें जदयू के मेवालाल चौधरी को ६४४६८‚ राजद की दिव्या प्रकाश को ५७२४३‚ लोजपा की मीणा देवी को ११२६४‚ निर्दलीय राजेश मिश्रा को १०४६६‚ रालोसपा के जीतेंद्र कुमार को ५११०‚ अनिता देवी को १९९९‚ प्रमोद कुमार सिंह को १८५०‚ डे़जी देवी को १७९९‚ ओमप्रकाश रजक को १७९१‚ जयराम सिंह को १६३८‚ नोटा पर १५३४‚ सुशांत कुमार को १५३४‚ बलराम चौधरी को १३९९‚ धर्मवीर कुमार पासवान को १३८४‚ रविरंजन कुमार सूरज को १३६४‚ राज कुमार दास को १२४८‚ कर्मवीर कुमार भारती को ११९६‚ रिंकू कुमार को १०७१‚ अरविंद कुमार सिंह को १०१५‚ कन्हैया लाल मिश्रा को ९७९‚ रंजीत राम को ९१५‚ सुनील कुमार बिंद को ७९६‚ सर्वेश कुमार को ६६७‚ संजय कुमार सिंह को ६४८‚ राहुल कुमार सौरव को ६२३ और राजेश कुमार सिंह को ५४६ वोट मिले थे।