आज कल सोशल मीडिया पर एक वीडि़यो वायरल हो रहा है। इसमें शाहरुख खान सिमी ग्रेवाल को गर्व से कह रहे हैं कि उनका बेटा दो बरस की आयु से ही अगर ड्रग्स ले या सेक्स करे तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। अगर वीडि़यो सही है‚ तो मजाक में भी एक पिता का अपने बेटे के विषय में ऐसा सोचना बहुत चिंताजनक है। हाल में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को क्रूज की ‘रेव पार्टी’ से एनसीबी ने गिरफ्तार किया है‚ जिस पर टीवी एंकर कई दिनों से भरतनाट्यम कर रहे हैं जबकि देश की अन्य कई महत्वपूर्ण दुर्घटनाओं की तरफ उनका ध्यान भी नहीं है।
यह कोई अजूबा नहीं है। जिस देश में ड्रग्स का धंधा फल–फूल रहा है‚ उसे निश्चित तौर पर वहां की पुलिस और सरकार का परोक्ष संरक्षण प्राप्त होता है। वरना हर देश की सीमाओं पर कडी सुरक्षा और देश में आने वाले हवाई जहाजों‚ पानी के जहाजों और सडक वाहनों की कस्टम तलाशी के बावजूद ड्रग्स कैसे अंदर आ पाते हैंॽ ये उन देशों के नागरिकों के लिए बहुत ही चिंता का विषय है क्योंकि इस तरह पूरे देश की धमनियों में फैलने वाले ड्रग्स का प्रभाव न सिर्फ युवा पीढी को बर्बाद करता है‚ बल्कि लाखों औरतों को विधवा और करोडों बच्चों को अनाथ भी बना देता है।
आर्यन खान के मामले में या उससे पहले रिया चक्रवर्ती के मामले में हमारे मीडिया ने जितनी आंधी काटी उसका एक अंश ऊर्जा भी इस बात को जानने में खर्च नहीं की कि गरीब से अमीर तक के हाथ में‚ पूरे देश में ड्रग्स पहुंचती कैसे हैॽ अभी हाल ही में एनसीबी ने गुजरात में अडानी के प्रबंधन में चल रहे बंदरगाह से ३००० किलो ड्रग्स पकडी‚ जो अफगानिस्तान से ‘टेल्कम पाउडर’ बता कर आयात की गई थी। इस पकड के बाद एनसीबी ने जांच को किस तरह आगे बढाया‚ यह हर पत्रकार की रुचि का विषय होना चाहिए था। पर इस पूरे मामले पर चारण और भाट मीडिया ने चुप्पी साध ली। यह बहुत ही खौफनाक है। यह हमारे मीडिया के पतन की पराकाष्ठा का प्रमाण है।
इससे भी बडी घटना एक और हुई जिसे मीडिया ने बहुत बेशर्मी से नजरअन्दाज कर दिया। जबकि ड्रग्स के मामले में वो खबर भारत ही नहीं‚ बल्कि दुनिया के इतिहास की शायद सबसे बडी खबर होनी चाहिए थी। अभी दो हफ्ते पहले २० सितम्बर को हैदराबाद से छपने वाले अंग्रेजी अखबार ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ ने एक खोजी खबर छापी थी कि अडानी के ही बंदरगाह के रास्ते जून‚ २०२१ में देश में २५ टन ड्रग्स‚ उसे भी सेमीकट टेल्कम पाउडर बल्क बताया जा रहा है‚ भारत में आई। इसकी कीमत खुले बाजार में ७२ हजार करोड रुपये है। पहला प्रश्न तो यह है कि टीवी चैनलों पर उछल–कूद मचाने वाले मशहूर एंकरों ने इस खबर का संज्ञान क्यों नहीं लियाॽ दूसरी बात‚ भारत जैसे औद्योगिक रूप से काफी विकसित देश में अफगानिस्तान से ‘टेल्कम पाउडर’ आयात करने की क्या जरूरत आन पडीॽ
दुनिया जानती है कि अफगानिस्तान पूरी दुनिया में ड्रग्स बेचने का एक बडा केंद्र है‚ और ड्रग्स और ‘टेल्कम पाउडर’ दिखने में एक जैसे होते हैं। इसलिए अफगानिस्तान से अगर कोई ‘टेल्कम पाउडर’ का आयात कर रहा है‚ तो उसकी जांच–पडताल में तो कोई कोताही होनी ही नहीं चाहिए। ॥ संदेह की सुई इसलिए भी हैरान करने वाली है कि अडानी पोर्ट से राजस्थान की ट्रांसपोर्ट कंपनी के जिस ट्रक नम्बर आरजे ०१ जीबी ८३२८ में यह २५ टन माल रवाना किया गया‚ उसने अपने कथित गंतव्य तक पहंुचने के अपने रास्ते में एक भी टोल बैरियर पार नहीं किया। मतलब दस्तावेज में ट्रक का नाम और नम्बर फर्जी तरीके से लिखा गया। इस २५ टन के खेप का आयात करने वाला व्यक्ति माछेवरापु सुधाकर चेन्नई का रहने वाला है। इसने अपनी पत्नी वैशाली के नाम ‘आशि ट्रेडिंग कंपनी’ के बैनर तले यह माल आयात किया था। इस कंपनी को जीएसटी‚ विजयवाडा के एक रिहायशी पते के आधार पर दिया गया है‚ जिसे दस्तावेज में कंपनी का मुख्यालय बताया गया है। जब ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ के संवाददाता एन वंशी श्रीनिवास ने विजयवाडा के सत्यनारायणा पुरम जाकर तहकीकात की तो उन्हें पता चला कि वह पता वैशाली की मां के घर का है‚ जहां किसी भी कंपनी का कोई कार्यालय नहीं है। आगे तहकीकात करने पर पता चला कि पिछले वर्ष ही पंजीकृत हुई इस कंपनी का घोषित उद्देश्य काकीनाडा बंदरगाह से चावल का निर्यात करना था पर पिछले पूरे एक वर्ष में अडानी के बंदरगाह से जून‚ २०२१ में आयात किए गए इस २५ टन तथाकथित ‘टेल्कम पाउडर’ के सिवाय इस कंपनी ने कोई और कारोबार नहीं किया।
इतने स्पष्ट प्रमाणों और इतनी संदेहास्पद गतिविधियों पर भी देश का मीडिया कैसे खामोश बैठा हैॽ आर्यन खान ने जो किया उसकी सजा उसे कानून देगा। पर आर्यन जैसे देश के करोडों युवाओं के हाथों में ड्रग्स पहुंचने का काम कौन कर रहा है‚ क्या इसकी भी खोज–खबर लेना अपने देश के नामी मीडिया वालों की नैतिक जिम्मेदारी नहीं हैॽ