कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में इसी महीने एक और खुशखबरी मिल सकती है. इसी महीने स्वदेश निर्मित कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी वैक्सीन जायकोव-डी (ZyCov-D) बाजार में आ सकती है. जायकोव-डी को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से 20 अगस्त को मंजूरी मिल गई है. देश की पहली स्वदेश निर्मित कोरोना वायरस वैक्सीन भारत बायोटेक और आईसीएमआर की कोवॉक्सिन है. बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन की कीमत भी अन्य वैक्सीन के मुकाबले काफी कम होगी. जायडस कैडिला की कोशिश प्रति वर्ष वैक्सीन की 10 से 12 करोड़ डोज तैयार करने की है.
जायडस की एमडी डॉ शर्विल पटेल का कहना है कि इस वैक्सीन की कीमत को लेकर अभी सरकार के साथ बातचीत की जानी है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन की कीमत तकनीक, क्षमता और वाल्युम के आधार पर तय की जाएगी. हालांकि उन्होंने कहा कि कीमत मौजूदा स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि वैक्सीन की कीमत काफी कम होगी. जायकोव-डी की वैक्सीन अभी तीन डोज की वैक्सीन है, जिसे 0, 28 और 56 दिन की अवधि पर दिया जाएगा.
जायकोव-डी दुनिया की पहली प्लाज्मिड डीएनए आधारित कोरोना वायरस वैक्सीन है. यह एक मात्र वैक्सीन है, जिसे भारत ने 12 से 17 साल की उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए मंजूरी दी है. कंपनी ने वैक्सीन की 30 से 50 लाख डोज तैयार कर रखी हैं और एक बार क्वालिटी और सेफ्टी चेक में वैक्सीन के क्लियर होने के बाद इन्हें सप्लाई किया जाना शुरू हो जाएगा. पटेल ने कहा कि सितंबर के अंत तक वैक्सीन की पहली डोज की डिलिवरी हो सकती है. जायडस कैडिला की कोशिश प्रति वर्ष वैक्सीन की 10 से 12 करोड़ डोज तैयार करने की है.
दो डोज की वैक्सीन के लिए मंजूरी पाने की योजना
जायकोव-डी की वैक्सीन अभी तीन डोज की वैक्सीन है, जिसे 0, 28 और 56 दिन की अवधि पर दिया जाएगा. पटेल ने कहा कि कंपनी की कोशिश दो डोज की वैक्सीन के लिए मंजूरी पाने की है, हालांकि इसके लिए उन्हें कोई टाइमलाइन नहीं बताई.
उन्होंने कहा कि जायकोव-डी के ट्रायल के दौरान कंपनी ने दो डोज की वैक्सीन का भी परीक्षण किया, इसमें प्रत्येक खुराक 3 मिलिग्राम का डोज दिया गया और इसके नतीजे में इम्युन सिस्टम तीन डोज वाली वैक्सीन के बराबर ही देखा गया. कंपनी के मुताबिक तीन डोज वाली वैक्सीन कोरोना के लक्षण वाले मामलों में 66.6 फीसदी प्रभावी है.