कोविड़–१९ के कारण अस्पताल में भर्ती कराए गए लोगों में से करीब आधे में कम से कम एक लक्षण संक्रमण के एक साल बाद भी बना रहता है। शोध पत्रिका ‘लांसेट’ में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन में यह कहा गया है। चीन के वुहान में १‚२७६ मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि तीन लोगों में से एक को १२ महीने बाद भी सांस लेने में दिक्कतें बनी हुई थी जबकि गंभीर रूप से बीमार कुछ मरीजों में फेफड़़े से जुड़़ी समस्याएं भी मिली। कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुए लोगों की तुलना में संक्रमित लोगों को कम तंदुरुस्त पाया गया। स्वास्थ्य से जुड़़ी दिक्कतें मिली बरकरारः चीन–जापान फ्रेंड़शिप हास्पिटल के प्रोफेसर बिन काओ ने कहा‚ हमारा अध्ययन अस्पतालों में भर्ती हुए संक्रमित लोगों के‚ १२ महीने बाद बीमार होने के संबंध में उपलब्ध कराए गए आंकड़़ों पर आधारित है। ज्यादातर मरीज पूरी तरह ठीक हो गए लेकिन गंभीर रूप से बीमार हुए कुछ मरीजों में स्वास्थ्य से जुड़़ी दिक्कतें बरकरार थी। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कुछ मरीजों के ठीक होने में एक वर्ष से अधिक समय लगेगा और महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति की योजना बनाते समय इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। अध्ययन के दौरान उन मरीजों के आंकड़़ों का विश्लेषण किया गया जिन्हें सात जनवरी से २९ मई २०२० के दौरान अस्पतालों से छुट्टी दी गई थी। इन मरीजों ने अस्पताल से छुट्टी के करीब छह और १२ महीने बाद स्वास्थ्य संबंधी विस्तृत जांच कराई। साथ ही इन लोगों से कई तरह के सवाल भी पूछे गए तथा अलग–अलग तरह की जांच की गई। अध्ययन में शामिल मरीजों की औसत उम्र ५७ साल थी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के आरंभिक दिनों में मरीजों में जो जो लक्षण थे वो धीरे–धीरे खत्म हो गए। हालांकि कुछ मरीजों में कम से कम एक लक्षण मौजूद था। अध्ययन से सामने आया कि थकावट या मांसपेशी की कमजोरी‚ सबसे सामान्य लक्षण था। संक्रमण के छह महीने बाद भी लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़़ा वही एक साल बाद पांच में से एक मरीज में इस तरह का लक्षण मौजूद था। करीब एक तिहाई मरीजों ने १२ महीने बाद सांस लेने में दिक्कतों की शिकायत की। ये ऐसे मरीजे थे जो गंभीर रूप से बीमार हुए थे और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़़ी थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि छह महीने की तुलना में एक साल बाद कुछ मरीजों में बेचैनी और घबराहट की समस्या पहले से ज्यादा बढ़़ गई।