इसे वतर्मान राजनीति की खूबसूरती कह लें या सत्ता के लिए गठबंधन के तैयार होते नये–नये समीकरण। सच्चाई यही है कि अंदरखाने कौन किस से मिलकर सत्ता की गणित को पुख्ता कर रहा है‚ यह कोई नहीं जानता। इस खास समय में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की मौजूदगी और राजद का 25वां स्थापना दिवस बिहार की राजनीति को क्या कोई नया मोड़़ दे जाएगा ॽ यह प्रश्न राजनीतिक गलियारों में समीचीन होता दिख रहा है। दरअसल‚ राजनीति का यह वह खास समय है‚ जहां नाराजगी सिर चढ़ कर बोल रही है। इस नाराजगी के तार ‘वीआईपी’ की नई चाल और ‘हम’ के नये तेवर के साथ दिख रहे हैं। एआईएमआईएम की राजनीति की नब्ज वैसे भी राजद सुप्रीमो के राजनीतिक समीकरण को काटती दिखती है। ऐसे में पदों की दौड़़ को कोई सियासी रास्ता मिल जाये‚ यह राजद सुप्रीमो की राजनीति का नया प्रयोजन बन सकता है। यही वजह भी है कि सत्ताधारी दल के कई शीर्ष नेता राजद सुप्रीमो के जेल से बाहर आने की राह बंद करने की गुहार लगाते दिख रहे थे। और तब कहीं–न–कहीं राजद सुप्रीमो की रणनीति को तेजप्रताप यादव रास्ता देते ‘हम’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी से मुलाकात भी कर रहे थे। वैसे भी देंखे तो ‘वीआईपी’ व ‘ हम’ को राजद की राजनीति को करीब से देखने का मौका मिला है। ‘हम’ व ‘वीआईपी’ की छटपटाहट खास कर जिस डि़प्टी सीएम के पद को ले कर है‚ उसका स्पेश क्या राजद निकाल सकता हैॽ उनकी यह मंशा एनड़ीए में पूरी तो नहीं हो पाई। साथ ही राजद उस स्पेश की भी राजनीति कर सकता है‚ जहां एनड़ीए के अगडे वोटरों को लगने लगा है कि एनड़ीए में उनकी मंशा को आकाश नहीं मिल पा रहा है। लेकिन राजद के सामने यह भी यक्ष प्रश्न है कि यह राजद की राजनीति ही है‚ जिसकी वजह से कांग्रेस के परंपरागत सवर्ण मत ने गत कई दशकों से एनड़ीए की राजनीति को आवाज दी है। ऐसे में क्या राजद अपनी राजनीति की धार को कोई नई दिशा दे सकता है ॽ खासकर उस अंदाज में कि अगड़े़ की पार्टी कही जाने वाली भाजपा के रणनीतिकारों ने पिछड़े़ की राजनीति को साध कर सत्ता की राजनीति को कई रूप देने में सफलता पाई है। उस राजनीति के बरक्स पिछड़़ों की पार्टी कहा जाने वाला राष्ट्रीय जनता दल अगड़़ों की राजनीति को साध कर सत्ता के नये समीकरण गढ़ पायेगा ॽ खास कर तब‚ जब ९० के दशक में पिछड़े़ की राजनीति करने वाले राजद सुप्रीमो को पता है कि उनकी राजनीति को धार देने वाले पिछड़ी जातियों के कई नामवर एनड़ीए की राजनीति के सिरमौर बने हुए हैं।
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