दरभंगा पार्सल ब्लास्ट मामले में एनआईए की टीम ने शनिवार को यूपी के शामली से गिरफ्तार दो अभियुक्तों सलीम मलिक और कफिल मलिक को पटना एनआईए की कोर्ट में पेश किया। एनआईए अधिकारी शनिवार की सुबह इंडिगो फ्लाइट से दोनों आतंकियों को पटना लेकर पहुंचे। इसके बाद दोनों को कोरोना जांच के लिए सबसे पहले न्यू गार्डिनर हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन वहां जांच की सुविधा नहीं होने के कारण दोनों आतंकियों को फिर एनआईए की टीम आईजीआईएमएस ले गई जहां एंटीजन से दोनों की कोरोना जांच की गई। वही सलीम को मूत्र से संबंधित परेशानी होने के कारण आईजीएमएस में उसे कैथेटर लगाया गया। दोनों की रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद एनआईए कोर्ट में पेश किया गया। इस मौके पर सुरक्षा के कडे इंतजाम किए गए थे। काफी संख्या में पुलिस बलों सहित स्वाट दस्ते की तैनाती की गई थी। कोर्ट में पेशी के बाद एनआईए ने सलीम और कफिल को पूछताछ के लिए दस दिनों की रिमांड़ की मांग की‚ लेकिन कोर्ट ने सलीम की अस्वस्थता को देखते हुए उसे रिमांड़ पर नहीं देने की अनुमति दी। जबकि कफिल को ६ दिनों की रिमांड़ एनआईए को दे दिया गया। शनिवार को दोनों को बेउर जेल भेज दिया गया। संभवत रविवार को कफिल से पूछताछ के लिए एनआईए ६ दिनों की रिमांड़ पर बेऊर जेल से अपने साथ ले जाएगी। वहीं एनआईए के वकील छाया मिश्रा ने कहा कि पकड़े़ गए आतंकियों पर मनी लॉ्ड्रिरं़ग सहित ईड़ी के तहत भी मामला दर्ज किया जाएगा॥। ऐसे पकड में आया सलीम और कफिलः जिस पार्सल को सिकंदराबाद से दरभंगा के लिए बुक किया गया था । उस पर भेजने वाले और प्राप्त करने वाले दोनो में एक ही मोबाइल नंबर लिखा हुआ था। पुलिस और एनआईए ने उस नंबर की पडताल के दौरान शामली में टेलर का काम करने वाले कासिम उर्फ कफील को कब्जे में लिया। वह मोबाइल नंबर इसी का था। जो लगातार काम कर रहा था। कफील से पूछताछ में दूसरा नाम सलीम उर्फ टुइंया का सामने आया। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। सिकंदराबाद–दरभंगा स्पेशल ट्रेन मे ब्लास्ट के जरिए लोगों की जान लेने की साजिश रचने वाला सलीम उर्फ टुइंया है। इसमें इसका मददगार कफील और हैदाराबाद से गिरफ्तार दोनों आतंकी भाइयों नासीर और इमरान थे। सलीम का संबंध आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के चीफ हाफिज सईद और उसके गुग इकबाल काना से है। इकबाल भी भारत का ही रहने वाला है। पाकिस्तान में वह हाफिज सईद के लिए काम करता है॥। आतंकियों की एक चूक से बच गई हजारों जिंदगियांः आतंकियों की साजिश सिकंदराबाद दरभंगा पूरी ट्रेन को खाक करने की थी‚ लेकिन उनकी एक चूक से हजारों यात्रियों की जान बच गई। इसका खुलासा हैदराबाद से पकडे गए सगे भाइयों इमरान और नासिर ने पूछताछ के दौरान एनआईए को बताया। आतंकियों ने नाइट्रिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड की मदद से लिडि आईईडी बनाया था। योजना थी कि कपडे के बंडल में रखे गए आईईडी में विस्फोट हो और पूरी ट्रेन जल कर खाक हो जाए‚ लेकिन उनके यह मंसूबे पूरे नहीं हुए। आईईडी बनाते वक्त एक चूक हो गई। योजना के अनुसार हैदराबाद से १२० किलोमीटर दूर काजीपेट और रामागुंडम स्टेशन के बीच धमाका करना था। आतंकियों ने शीशी में नाइट्रिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड रखा था। दोनों एसिड के मिलने के बाद ही धमाका होता। नाइट्रिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड के बीच एक मोटी परत का कागज रखना था। जिससे की दोनों एसिड पेपर को जलाता और फिर दोनों एसिड के मिलने के बाद धमाका होता। फिर कपडों के बंडल में आग लगती और पूरी ट्रेन जल उठती। लेकिन आतंकियों से गलती यह हो गई की कागज की जगह दोनेां एसिड़ के बीच में हार्डबोर्ड रख दिया। इसके चलते दोनों केमिकल के मिलने में देर हुई और चलती ट्रेन में ब्लास्ट नहीं हो सका। जिससे उनकी योजना पर पानी फिर गया। सलीम को अस्वस्थ होने के कारण भेजा गया बेऊर जेल॥ पकड़े़ गए चारों अभियुक्तों इमरान‚ सलीम व कफिल पर मनी लांड्रिं़ग सहित ईड़ी के तहत भी होगी कार्रवाई
17 जून को दरभंगा स्टेशन पर हुए पार्सल ब्लास्ट मामले में एक मोबाइल नंबर जांच एजेंसियों के लिए बड़ा मददगार साबित हुआ। भास्कर ने आपको पहले भी बताया था कि सिकंदराबाद स्टेशन पर पार्सल की बुकिंग करने वाले और दरभंगा में रिसीवर के रूप में एक ही व्यक्ति का नाम लिखा हुआ था, जो मो. सुफियान था। इसी तरह से दोनों ही जगहों पर एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था। ब्लास्ट के बाद जब बिहार रेल पुलिस और तेलंगाना ATS की टीम ने अपनी जांच शुरू की थी तो उस मोबाइल नंबर को खंगाला था, जिस बीच उस नंबर का लोकेशन उत्तर प्रदेश मिला।
इसके बाद ही मामले की जांच में उत्तर प्रदेश ATS की मदद ली गई। फिर, टावर लोकेशन के आधार पर शामली में छापेमारी कर टेलर का काम करने वाले कासिम उर्फ कफील को कब्जे में लिया गया था। लगातार यूज हो रहा वह मोबाइल नंबर इसी का था। पार्सल की बुकिंग और रिसीवर में एक ही नंबर देकर आतंकियों ने बड़ी गलती कर दी थी। कफील के आधार पर ही दूसरा नाम सलीम उर्फ टुइंया का नाम सामने आया। तब जाकर इन दोनों को कस्टडी में ले लिया गया था।
इन दोनों से बिहार की रेल पुलिस ने भी पूछताछ की थी। जब देश के अंदर बड़ी साजिश रचने की बात सामने आई, उसके बाद ही आनन-फानन में इस मामले की जांच NIA को सौंप दी गई। 24 जून से NIA लगातार हरकत में है। कफील और सलीम ने ही हैदराबाद में रह रहे इमरान और नासीर के बारे में बताया था। तब जाकर उन दोनों भाइयों को गिरफ्तार किया जा सका।
तालमेल में कमी के कारण बड़ी लापरवाही, पटना में आतंकी को लेकर घूमती रही टीम
शनिवार को NIA की एक और टीम दिल्ली से पटना पहुंची। यह टीम गिरफ्तार सलीम और कफील को लेकर आई। दिल्ली से इंडिगो की फ्लाइट 6E5003 सुबह 10:24 बजे पटना एयरपोर्ट आई थी। इसी से दोनों आतंकियों को लाया गया। एयरपोर्ट पर पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे, लेकिन एक बड़ी लापरवाही भी सामने आ गई। सवाल मेडिकल व्यवस्था को लेकर उठा। कोर्ट में पेशी से पहले कफील और सलीम का कोरोना टेस्ट कराना था। इसके लिए एंटीजेन टेस्ट किया जाना था।
एयरपोर्ट से दोनों आतंकी को बिहार ATS के ऑफिस ले जाया गया, पर वहां एंटीजेन करने वाली मेडिकल टीम आई ही नहीं। वहां मेडिकल टीम को जबकि पहले से पहुंचना था। काफी देर के इंतजार के बाद वहां से फिर इनकम टैक्स गोलंबर के पास स्थित गार्डिनर रोड हॉस्पिटल लाया गया, मगर यहां भी टेस्ट नहीं हुआ। तब जाकर दोनों को IGIMS ले जाया गया। फिर, वहां एंटीजेन टेस्ट हुआ। इसके बाद NIA कोर्ट में पेश किया गया, क्योंकि सलीम की कुछ परेशानी हो गई है। उसे कैथिलेटर लगाया जा रहा है।
अब सवाल उठता है कि दो आतंकियों को लेकर पटना में इस कदर घूमना कितना सही था? मेडिकल टेस्ट को लेकर तालमेल में गड़बड़ी क्यों हुई? इनसे पहले शुक्रवार को NIA टीम ने गिरफ्तार इमरान और नासीर को पटना के स्पेशल कोर्ट में पेश किया था। वहां से उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया था। साथ ही इनकी 7 दिनों की रिमांड भी NIA को दे दी गई। अब तक की जांच में पता चला है कि सिकंदराबाद-दरभंगा स्पेशल ट्रेन में लिक्विड IED ब्लास्ट के जरिए हजारों लोगों की जान लेने की साजिश रचने वाला सलीम उर्फ टुइंया है। इसे अंजाम तक पहुंचाने में कफील और हैदाराबाद से गिरफ्तार दोनों भाइयों ने मदद की थी। सलीम का कनेक्शन पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद और भारत से भाग कर वहां रह रहे इकबाल काना से है। जांच के दौरान यह बात भी सामने आ चुकी है कि इन सभी का कनेक्शन लश्कर-ए-तैयबा से है।