कोरोना की लहर जैसे–जैसे आगे बढ़ रही है‚ भारत के गांव संकट में आ रहे हैं। गांव में सबसे बड़ी चुनौती है मरीजों को समय पर मर्ज की पहचान हो जाए और उन्हें मौसमी सर्दी‚ जुकाम या वायरल बुखार तथा कोरोना बीमारी में अंतर पता चल सके। शुरू में ही इसको साध लिया जाए तो संक्रमण के बाद जो विस्फोटक हालात हो रहे हैं‚ उन्हें बिल्कुल खत्म किया जा सकता है।
प्रवासी उत्तर प्रदेश निवासियों के लिए काम करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश डवलपमेंट फोरम के प्रमुख सलाहकार (स्वास्थ्य) स्वीडन निवासी ड़ॉ. राम उपाध्याय‚ जो विश्वविख्यात दवा वैज्ञानिक के साथ–साथ संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ भी हैं‚ के अनुसार ग्रामीण नागरिकों के पास थर्मामीटर और ऑक्सिमीटर की व्यवस्था पहुंचा दी जाए और टेलीमेडिसिन से इन्हें लिंक कर दिया जाए तो ग्रामीण संक्रमण के बाद उपजी अफरातफरी और मौत के आंकड़ों को शून्य किया जा सकता है। कोरोना से मिलने–जुलने वाले अन्य मर्ज के लक्षण होने के कारण ग्रामीण भ्रम बना रहे हैं कि उन्हें कोरोना नहीं है और ऐसा कर तत्काल में तो अपने मन को दिलासा दे रहे हैं‚ लेकिन अंत में जाकर जंग हार रहे हैं।
कोरोना में प्रथम सप्ताह ही महत्वपूर्ण होता है‚ यह समझिए कि पहला हफ्ता कोरोना वायरस की पहली सीमा रेखा है जहां आप कोरोना को मामूली हथियारों और मामूली दवाओं से ही मार सकते हैं‚ और वह इन हथियारों से खत्म भी हो सकता है‚ लेकिन यदि उसने यह सीमा रेखा पार की तो उसकी ताकत काफी बढ़ जाएगी और वह शरीर में कई धमाल कर आगे बढेगा। ऐसे में ग्रामीणों के पास बेसिक मेडिकल डिवाइस थर्मामीटर‚ ऑक्सिमीटर हैं और स्थानीय स्तर पर उन्हें निगरानी तंत्र में डाल दिया जाए तो दूसरी लहर क्या तीसरी लहर से भी आसानी से मुकाबला कर कोरोना को हराया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि प्रभावी माइक्रो लेवल की योजना बनाई जाए।
कोरोना की समस्या का हल निकाला है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। जैसे–जैसे कोरोना लहर बढती जा रही थी‚ संक्रमण की आहट गांवों की तरफ सुनाई दे रही थी‚ कोरोना की लंबी लड़ाई में जब आधारभूत ढांचे पर दबाब बढ़ता जा रहा था और माइक्रो लेवल पर घर–घर निगरानी की जरूरत महसूस हुई तो मार्च‚ २०२० में ही योगी आदित्यनाथ की पहल पर उत्तर प्रदेश में बनीं निगरानी समितियां अब इस लहर में कारगर साबित हो रही हैं। जब कई विशेषज्ञों ने मई में कोरोना विस्फोट की चेतावनी प्रदेश में दी थी वहां अब आंकड़े प्रति दिन कम हो रहे हैं। कोरोना की लड़ाई शत–प्रतिशत जीती जा सकती है‚ मृत्यु दर शून्य की जा सकती है यदि कोरोना की पहचान और इलाज पहले हफ्ते में ही कर लिया जाए।
योगी सरकार की योजना है कि कोरोना को संक्रमण होने के पहले ही हफ्ते में पकड़ इसे खत्म कर दिया जाए। पहला तो यह कि शुरुआती चरण में यह वायरस कमजोर होता है। सामान्य दवाइयों‚ कोविड प्रोटोकॉल के पालन और कुछ अनुशासित दिनचर्या से ही इसको खत्म किया जा सकता है‚ दूसरा मरीज और मरीज के परिवार वाले हैरान और परेशान नहीं होते और उनका घर पर ही इलाज हो जाता है‚ तीसरा विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण को घर पर फर्स्ट स्टेज पर ही रोक दिया तो ना तो ऑक्सीजन की जरूरत के स्तर पर बीमारी पहुंचती और ना ही अस्पताल जाने की जरूरत पड़ेगी जिससे ऑक्सीजन आधिक्य की स्थिति के साथ–साथ क्रिटिकल मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड उपलब्ध रह सकेगा। भारत खासकर के यूपी में जहां ग्रामीण और कस्बाई आबादी की बड़ी संख्या है‚ उसके लिए निगरानी समिति का कॉन्सेप्ट काफी कारगर और यूनिक है। कोरोना के केसों का अध्ययन किया जाए तो पता चलेगा कि गांवों और कस्बों में एकदम से बेसिक चीज थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर की उपलब्धता करा दिए जाएं तो गंभीर अवस्था और मौतों को रोका जा सकता है क्योंकि मरीज और मरीज के परिवार वालों को पता चल सकेगा कि हॉस्पिटल जाने का अलार्म कब बज रहा है। इससे मरीज के पास भी रिस्पॉन्स करने और हॉस्पिटल समय से पहुंचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा। निगरानी समिति मॉडल में स्थानीय लेखपाल‚ रोजगार सेवक‚ एनजीओ‚ एसएचजी‚ कोटेदार से लेकर सफाई कर्मचारी तक को शामिल किया गया है। इसके सदस्यों को थर्मामीटर और ऑक्सिमीटर से लैस किया गया है ताकि ग्रामीण कोरोना संभावित होते हैं‚ या उन्हें सर्दी‚ जुकाम‚ बुखार जैसे मौसमी लक्षण दिखते हैं‚ तो उन्हें मॉनिटर किया जा सके।
यह सच्चाई है कि गांव में अभी भी सबके घर में थर्मामीटर नहीं है‚ और ऑक्सिमीटर तो सिर्फ ड़ाक्टर के पास है जबकि ये दोनों मेडिकल डिवाइस ही इस दुश्मन से लड़ने के प्रारंभिक और कारगर हथियार हैं। ये कोरोना की बीमारी को प्रथम सप्ताह में सिर्फ पकड़ ही नहीं लेंगे‚ बल्कि निगरानी समिति के लोग उसका टेलीमेडिसिन द्वारा इलाज भी करवा उसे प्रथम सप्ताह में ही खत्म करने में सहायक होंगे। राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में ६०५८९ निगरानी समितियों के चार लाख से अधिक लोग कोरोना के आगे दीवार बन कर खड़े हैं। निगरानी समितियों द्वारा प्रदेश के ९७ हजार राजस्व गांवों में घर–घर स्क्रीनिंग और टेस्टिंग का महाभियान शुरू किया गया है। स्क्रीनिंग में लक्षणयुक्त पाए गए ६९‚४७४ लोगों का एंटीजन टेस्ट किया गया तो इनमें से ३५५१ कोरोना संक्रमित मिले। इन्हें मेडिकल किट के साथ कोरोना से बचने की जानकारी देकर होम आइसोलेट किया गया। रोजाना टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से डॉक्टर इनकी स्वास्थ्य की जानकारी हासिल कर रहे हैं। सरकार के निर्देश पर दिक्कत होने पर इनको हायर मेडिकल फैसिलिटी भी उपलब्ध कराई जा रही है।
इस प्रकार माइक्रो मैनेजमेंट के सूत्र ट्रेस‚ टेस्ट‚ ट्रीट के आधार पर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के मामले रोकने व कोरोना की चेन तोड़ने में निगरानी समितियां कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिए अहम भूमिका निभा रही हैं। निगरानी समितियां गांवों में बाहर जिलों से आए लोगों की जानकारी हासिल कर उनकी टेस्टिंग करने का काम भी कर रही हैं। कोरोना रोकने का योगी माइक्रो मॉडल देश में लागू किया जाए तो यह किसी भी तरह के संक्रामक रोगों का प्रसार रोकने का मानक मॉडल हो सकता है‚ जो किसी भी लहर को रोकने में सक्षम होगा।