बिहार में एक और बालिका गृह में रह रही लड़कियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है, जिसके बाद बालिका गृह की प्रभारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। गायघाट बालिका गृह की अधीक्षक को शनिवार को गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने कहा, ‘शारीरिक शोषण की शिकायतों को देखने के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है। तीन लड़कियों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए बयान में यौन शोषण की शिकायत की। कुछ ने कहा कि उन्हें अक्सर अधीक्षक की ओर से पीटा जाता था।
बिहार की राजधानी पटना के गायघाट महिला रिमांड होम में रहने वाली लड़कियों और युवतियों के यौन शोषण (Patna Girls Shelter Home Case) मामले में बालिका गृह की प्रभारी (अधीक्षक) वंदना गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है. रविवार को पटना (Patna) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने इसकी जानकारी दी. छह महीने से अधिक समय तक चली जांच के बाद पटना पुलिस (Patna Police) ने शनिवार को वंदना गुप्ता को गिरफ्तार किया. उन्हें शनिवार को पूछताछ के लिए महिला थाना बुलाया गया था. पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और फिर अदालत में पेश किया गया. जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
एसएसपी ने कहा कि शारीरिक शोषण की शिकायतों को देखने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. तीन लड़कियों ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराये गए बयान में यौन शोषण की शिकायत की. कुछ एक लड़कियों ने कहा कि उन्हें अक्सर अधीक्षक के द्वारा पीटा जाता था. हालांकि, उन्होंने कहा कि अधिकांश कैदियों ने ऐसे बयान दिए जो ‘बहुत अस्पष्ट थे और किसी अन्य लोगों की संलिप्तता का बहुत कम संकेत देते हैं.’
उन्होंने कहा कि फिर भी, हमारे पास जो भी जानकारी है उसकी मदद से हम गहराई से जांच करने की कोशिश कर रहे हैं.
मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम में यौन शोषण का हुआ था खुलासा
बता दें कि बिहार के ही मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों ने यौन शोषण की शिकायत की थी जिसके बाद यह मामला प्रदेश और देश भर में काफी चर्चित रहा था. यह मामला मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के द्वारा किये गए एक सामाजिक ऑडिट में सामने आया था. उसके बाद राज्य की नीतीश कुमार सरकार को सीबीआई जांच के आदेश देने पड़े थे. इस मामले में नाम सामने आने के बाद तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं, तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तब संसद में इस संबंध में बयान दिया था.
इस मामले की सुनवाई अंततः दिल्ली ट्रांसफर कर दी गई थी जिसमें अदालत ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.