झीलों की नगरी उदयपुर में आज 13 मई, शुक्रवार से कांग्रेस का तीन दिवसीय ‘नव संकल्प चिंतन शिविर’ शुरू हो चुका है। आज दुसरा दिन है , देश का सबसे पुराना दल अपनी कमजोरियां व भावी चुनौतियों पर विचार करेगा। कांग्रेस के सामने चुनौती ये है कि दो माह पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे पार्टी के लिए निराशाजनक रहे थे। ऐसे में कांग्रेस के चिंतन शिविर के इतिहास पर एक नजर डालना भी जरूरी है। कांग्रेस में चिंतन शिविर मुख्य रूप से सोनिया गांधी के पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सत्ता संभालने के बाद शुरू हुए हैं। 14 मार्च 1998 में पहली बार कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद कांग्रेस का पहला चिंतन शिविर पचमढ़ी में सितंबर 1998 में हुआ था। इस समय तक कांग्रेस केंद्र की सत्ता से बेदखल हो चुकी थी और अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के नेतृत्व में बनी गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने जो 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक रहे। जबकि कांग्रेस का दूसरा चिंतन शिविर आम चुनाव से ठीक पहले पांच साल बाद 2003 में शिमला में आयोजित हुआ था। जबकि तीसरा चिंतन शिविर 2013 में जयपुर में आयोजित हुआ था और अब नौ साल बाद राजस्थान के उदयपुर में चौथा शिविर हो रहा है।
उदयपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में पार्टी नेता सामप्रदायिक ध्रुवीकरण और किसनों के मुद्दे पर चर्चा करेंगे. साथ ही आने वाले चुनावों के बाबत पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए, इस विषय पर भी मंथन हो रहा है .
उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर(नव संकल्प शिविर) की वेलकम स्पीच में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा- पार्टी ने हमें बहुत कुछ दिया है, अब कर्ज उतारने का समय है। सोनिया ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को त्याग करके पार्टी हित में काम करने की नसीहत दी है। कांग्रेस कार्यसमिति में कही गई बात को आज खुले में दोहराई है। कहा- ऐसा समय आया है कि हमें संगठन हितों के अधीन काम करना होगा। सबसे आग्रह है कि खुलकर अपने विचार रखें, मगर बाहर एक ही संदेश जाना चाहिए संगठन की मजूबती, मजबूत निश्चय और एकता का ।
सोनिया ने कहा- हमें मिली विफलताओं से हम बेखबर नहीं हैं। न हम बेखबर हैं संघर्ष और कठिनाइयों से जो हमें आगे करना है। लोगों की उम्मीदों से हम अनजान नहीं है। हमें यह प्रण लेने इकट्ठा हुए हैं, हम देश की राजनीति में अपनी पार्टी को उसी भूमिका में लाएंगे जो सदैव निभाई है, जिस भूमिका की उम्मीद इस बिगड़ते समय में देश की जनता करती है। हम आत्मनिरीक्षण कर रहे हैं। यह तय करें कि यहां से निकलें तो एक नए आत्मविश्वास और कमिटमेंट से प्रेरित होकर निकलेंगे।
असाधारण हालात का मुकाबला असाधारण तरीके से ही करें
सोनिया ने कहा- आज पार्टी के सामने असाधारण परिस्थितियां हैं। असाधारण परिस्थितियों का मुकाबला असाधारण तरीके से ही किया जा सकता है। हर संगठन को जीवित रहने बढ़ने के लिए भी अपने अंदर पैनापन लाना होता है। हमें सुधारों की सख्त जरूरत है। हमें रणनीतिक बदलाव, ढांचागत सुधार और रोजाना काम करने के तरीके में बदलाव सबसे बुनियादी जरूरी मुद्दा है। हमारा उत्थान सामूहिक प्रयासों से ही हो पाएगा। ये प्रयास आगे टाले नहीं जा सकते। न आगे जा सकते हैं, न टाले जा सकते हैं यह प्रभावशाली कदम होगा।
बीजेपी देश में डर-असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही
उन्होंने BJP और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कहा- बीजेपी-केंद्र सरकार देश में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही है। अल्पसंख्यकों को डराया जा रहा है। धर्म के नाम पर पॉलराइजेशन किया जा रहा है। अल्पसंख्यक हमारे देश में बराबर के नागरिक हैं। यह हमारी पुरानी बहुलवादी कल्चर का परिचायक है। विविधता में एकता में हमारी पहचान रही है।
सोनिया ने कहा- आज राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश की जा रही है, जिसमें पंडित नेहरू के योगदान और देश के लिए त्याग को योजनाबद्ध तरीके से कम करके दिखाने का प्रयास हो रहा है। ये लोग महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन कर रहे हैं और गांधी के सिद्धांतों को मिटा रहे हैं। उन्होंने कहा- देश के पुराने मूल्यों को खत्म किया जा रहा है। दलित आदिवासी और महिलाओं में असुरक्षा का माहौल है। देश में डर का माहौल बनाया जा रहा है। देश में लोगों को लड़ाने का बीजेपी लगातार प्रयास कर रही है।
धर्म के नाम पर देश पर काबिज हो गए
इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय में लोग क्या कहेंगे इसका ध्यान रखा जाता था। आज ये लोग धर्म के नाम पर देश पर काबिज हो गए हैं। धर्म जाति ऐसी चीज है कि आप दंगे भड़का सकते हो। अब राजस्थान तो टारगेट में नंबर वन है। दंगाई का, सीबीआई, ईडी का छापा शुरू हो जाता हे। इनके लोग दूध के धुले हैं, इन पर कोई छापा नहीं पड़ता।
हमारी कमजोरी है कि हम काम करते हैं, मार्केटिंग नहीं
गहलोत ने कहा- देश 70 साल में कहां से कहां पहुंच गया। कांग्रेस के सिद्धांत, नीतियां देश के डीएनए की तरह हैं। ये बेशर्मी से कहते हैं कि कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया? हमारी कमजोरी है कि हम काम करते हैं, लेकिन मार्केटिंग नहीं करते। ये झूठे फरेबी लोग हैं, काम कम करते हैं, मार्केटिंग ज्यादा करते हैं। कभी गुजरात मॉडल की बात करते हैं।
चिंतन शिविर को नाम दिया नव संकल्प शिविर
कांग्रेस ने इस चिंतन शिविर को नव संकल्प शिविर नाम दिया है। अब तक कांग्रेस ऐसे शिविर का नाम चिंतन शिविर ही रखती आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार कई बड़े फैसले कांग्रेस करने वाली है। इसी वजह से इसका नाम नव संकल्प शिविर रखा गया है।
लेकसिटी के ताज अरावली में हो रहे इस शिविर में कांग्रेस की ओल्ड गार्ड से लेकर युवा चेहरे तक नजर आ रहे हैं। यहां पहुंचे पार्टी के नेताओं का कहना है यह शिविर किसी आम इवेंट जैसा नहीं होगा। इसमें लिए गए निर्णय नई कांग्रेस की नींव रखेंगे। चाहे वह लीडरशिप चेंज को लेकर हों या परिवारवाद को खत्म करने से सबंधित हों।
नए मॉडल लागू होंगे
कांग्रेस में बदलाव के साथ सभी नए मॉडल भी लागू किए जाएंगे। टिकट डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर पद पर लंबे समय तक पद पर बने रहने वाले फॉर्मूला को बदलने की भी बात की जा रही है। इसके अलावा पार्टी में लगातार किसी को 5 साल के बाद पद नहीं दिया जाए, कम से कम 3 साल का कूलिंग पीरियड रहे। तीन साल के गैप के बाद ही आगे कोई पद दिया जाए।
शुक्रवार सुबह ट्रेन से पहुंचे राहुल गांधी
शुक्रवार सुबह ट्रेन से पहुंचे राहुल गांधी का राजस्थानी अंदाज में उनका स्टेशन पर स्वागत हुआ। राहुल गांधी के साथ दिल्ली से कई बड़े नेता भी ट्रेन से ही आए हैं। प्रियंका गांधी भी होटल पहुंचीं।
तीन दिन चलने वाले इस शिविर में देश की सबसे पुरानी पार्टी का भविष्य तय होगा। कांग्रेस से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि यह शिविर अब तक हुए आम शिविरों की तरह नहीं है। शिविर की शुरुआत दोपहर तीन बजे से ग्रुप डिस्कशन के साथ होगी।
कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में अपने प्रदर्शन को देखते हुए यह तय किया है कि अगर अब भी पार्टी को मजबूत नहीं किया गया तो देर हो जाएगी। ऐसे में इस शिविर में कई बड़े अहम, कड़े और चौंकाने वाले निर्णय हो सकते हैं। इसमें संगठन से लेकर नेतृत्व और नीति तक सब कुछ शामिल है। माना जा रहा है कि नव संकल्प नाम की ही तर्ज पर इस शिविर के बाद एक नई कांग्रेस देखने को मिल सकती है। शिविर में कुछ इस तरह के कड़े निर्णय भी लिए जा सकते हैं, जिससे शायद कांग्रेस में सभी खुश न हों।
इन मसलों पर होगा मंथन, निकलेगा हल
नेतृत्व
इस वक्त कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द नेतृत्व है। कांग्रेस में लगातार नेतृत्व को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कई वरिष्ठ नेता पार्टी की जिम्मेदारी गैर-गांधी को देने की वकालत कर चुके हैं। वहीं कईयों का मानना है कि नेता गांधी परिवार से ही होना चाहिए। गांधी परिवार में भी सोनिया और राहुल को लेकर भी कांग्रेस बंटी नजर आती है। ऐसे में इस शिविर में नेतृत्व को लेकर सैद्धांतिक सहमतियां हो सकती हैं।
संगठन
कांग्रेस संगठन पिछले कुछ समय में काफी कमजोर हुआ है। लगातार नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना, अंदरूनी गुटबाजी, अविश्वास सहित कई खामियां हैं। ऐसे में इन खामियों को दूर करने को लेकर महत्वपूर्ण और कड़े निर्णय कांग्रेस ले सकती है। शिविर के बाद कांग्रेस संगठन का अंदरूनी ढांचा पूरी तरह बदल सकता है।
नीतियां
अपनी नीतियों को लेकर भी कांग्रेस पिछले कुछ समय में अस्पष्ट नजर आई है। ऐसे में चर्चा है कि कांग्रेस लोगों के बीच खुद को स्थापित करने के लिए अपनी मूल विचारधारा और एजेंडे पर लौट सकती है। ऐसे में आने वाले चुनावों में अपनी नीतियों को लेकर भी कांग्रेस इस शिविर में अहम निर्णय ले सकती है।
जनता में विश्वास
देश के आर्थिक, सामाजिक हालातों पर कांग्रेस लगातार BJP को तो घेरती है, मगर उसका रिजल्ट चुनावों में वोट के रूप में कांग्रेस को नहीं मिलता है। ऐसे में देश के वर्तमान माहौल को देखते हुए कैसे जनता के बीच विश्वास बनाया जा सकता है। उसे लेकर अहम निर्णय होंगे। खासतौर से महिला, युवा, किसान, दलित और आदिवासी वोटर्स को लेकर अहम निर्णय पारित हो सकते हैं।
ताज अरावली में होगा मंथन
शिविर को लेकर तमाम बैठकें ताज अरावली में होंगी। शिविर में तीन अहम ग्रुप डिस्कशन, 6 स्पेशल कमेटियों की बैठक और CWC की अहम बैठक होगी। कांग्रेस के 400 से ज्यादा नेता इसमें शमिल होंगे। इनमें दाे मुख्यमंत्री सहित CWC के तमाम सदस्य, AICC के सदस्य सहित तमाम बड़े नेता शामिल होंगे।
4 होटल्स में स्टे, राहुल-प्रियंका के साथ पायलट भी ताज में
चिंतन शिविर के लिए 4 होटल्स ताज अरावली, अनंता रिसोर्ट, ऑरिका लेमन ट्री और रेडिसन ब्लू में नेताओं को रुकवाया गया है। राहुल, सोनिया और प्रियंका गांधी सहित तमाम वरिष्ठ नेता ताज अरावली में रुके हैं। सचिन पायलट भी ताज में ही रुके हैं। नेताओं के लिए एयरपोर्ट पर खास वैलकम किया जा रहा है। वहीं होटल्स में 9 राज्यों से शैफ बुलवाकर खास तरह की डिशेज नेताओं के लिए तैयार करवाई जा रही हैं।
उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर में इस बार लगाए गए पोस्टर्स कुछ खास हैं। आमतौर पर कांग्रेस के शिविरों, अधिवेशनों या सम्मेलनों के पोस्टरों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू के साथ गांधी परिवार को तवज्जो दी जाती है या फिर संबंधित प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष को।
इस बार सड़क के दोनों ओर लगे पोस्टर में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, मनमोहन सिंह के साथ स्वतंत्रता सेनानियों को भी बराबर महत्व दिया गया है। पोस्टर में कांग्रेस का इनोवेशन चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। हालांकि, भाजपा इसे नेहरू-गांधी परिवार की छाया से बाहर निकलने की विफल कोशिश बता रही है।
वंशवाद के आरोप से छुटकारा पाने के उपाय
आमतौर पर कांग्रेस के कार्यक्रमों में पोस्टर में गांधी परिवार या मुख्यमंत्री-प्रदेशाध्यक्ष के ही चेहरे नजर आते हैं। जिसे लेकर कांग्रेस पर कई बार परिवारवाद के आरोप भी लग चुके हैं। भाजपा ने कई बार आरोप लगाए हैं कि कांग्रेस पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी को याद करती है, लेकिन पीवी नरसिम्हा राव, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय जैसे नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को योगदान भूल गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस ने इन पोस्टर के जरिए परिवारवाद के आरोपों का मौन जवाब देने की कोशिश की है। उदयपुर एयरपोर्ट से से लेकर शहर में कई जगह ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं।
पोस्टर में किसके साथ कौन
1 – मनमोहन सिंह के साथ पीवी नरसिम्हा राव
2 – मौलाना अबुल कलाम आजाद के साथ बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर
3 – डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ लाल बहादुर शास्त्री
4 – गोपाल कृष्ण गोखले के साथ भगत सिंह
5 – पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल
6 – लाला लाजपत राय के साथ महात्मा गांधी
7 – रवींद्र नाथ टैगोर के साथ सुभाष चंत्र बोस
8 – सरोजनी नायडू भी हैं पोस्टर में मौजूद
पोस्टर इनोवेशन को लेकर किसका क्या है कहना
पार्टी ने इन बड़े और पुराने नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को हमेशा याद रखा है। भाजपा और RSS वाले आजादी की लड़ाई में दूर-दूर तक नहीं दिखाई दिए। अब बातें करते हैं और आरोप लगाते रहते हैं।
अजय माकन, प्रदेश प्रभारी
भाजपा राष्ट्रवाद का दिखावा करती है। हमारे नेताओं ने आजादी के लिए कुर्बानी दी। तब संघवाले और भाजपा के कौन से नेता शामिल हुए? हमारे नेताओं को हमेशा याद रखा जाएगा।
मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता कांग्रेस
ये कांग्रेस की नेहरू-गांधी खानदान की छाया से बाहर निकलने की विफल कोशिश है। कांग्रेस ने सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से रोका गया। नरसिम्हा राव जिस सम्मान के हकदार थे, उन्हें कभी नहीं दिया गया। महापुरुषों के पोस्टर अपने नेताओं के साथ लगाना महज कांग्रेस का दिखावा है। अंदर नीयत वंशवाद को ही पोषित करने की है।
सतीश पूनिया, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा