केंद्र की मोदी सरकार आज आम बजट पेश करने वाली है. देशभर की निगाहें टिकी हुई है कि मोदी सरकार के पिटारे में आम लोगों के लिए बजट में क्या-क्या है. कुछ इसी तरह बिहार की नीतीश सरकार की भी मोदी सरकार 3.0 के इस बार के बजट आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है. दरअसल नीतीश कुमार की सरकार पिछले 18 सालों से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करती आ रही है. लेकिन, बजट के ठीक पहले केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि मौजूदा प्रावधान के तहत बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है.
केंद्र सरकार के इस घोषणा के बाद बिहार में सियासी हलचल तब और तेज हो गई जब लालू यादव ने कहा केंद्र को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना ही होगा. लेकिन, वहीं दूसरी तरफ जदयू ने इस फ़ैसले पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए जो मांग उठाई वो बेहद महत्वपूर्ण है. पूर्व में वित्त मंत्री रह चुके जदयू के वरिष्ठ नेता और संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि केंद्र की सरकार से हमारी मांग है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए. लेकिन, अगर मौजूदा प्रावधान के तहत ये संभव नहीं है तो बिहार को विशेष पैकेज दिया जाए या विशेष मदद की जाए. बिहार अपने संसाधन से विकास कर ही रहा है लेकिन तेज गति से विकास के लिए बिहार को विशेष मदद की ज़रूरत है और हमे उम्मीद है केंद्र की सरकार बिहार के लिए विशेष पैकेज जरूर देगी.
‘ऐतिहासिक भूल सुधारने में गलतियां कर रहे हैं नेता’
वहीं बिहार के जाने-माने उद्योग पति और बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट रह चुके सत्यजीत सिंह कहते हैं कि आज वे सभी राजनीतिक दल जिन्होंने बिहार के विभाजन का समर्थन करके ऐतिहासिक गलतियां की थीं. आज फिर उस ऐतिहासिक भूल को सुधारने में गलतियां कर रहे हैं. राजनीतिक दलों को नये मानदंडों के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करनी चाहिए. सत्यजीत सिंह यही नहीं रुकते है वो उन बिंदुओं को उठाते हुए जो बाते कह रहे है वो बेहद महत्वपूर्ण है.
1. नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के बाद विशेष दर्जे की मांग पर विचार करने के लिए 8 दिसंबर 2011 को अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया. आईएमजी ने मांग को खारिज कर दिया लेकिन स्वीकार किया कि बिहार में विकास की भारी कमी है.
4. समिति ने 10 साल बाद फॉर्मूलों और मानदंडों की दोबारा जांच करने की भी सिफारिश की.
अब सितंबर 2023 में 10 साल पूरे हो गए हैं और यदि राजनीतिक दल गंभीर हैं और उनमें राजनीतिक इच्छाशक्ति है तो उन्हें डबल इंजन सरकार के तहत नए तार्किक और व्यावहारिक मानदंडों के साथ एक नई समिति की मांग करनी चाहिए और सभी योग्य राज्यों को विशेष दर्जा देने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए और न्याय करना चाहिए.