नया साल, नए कीर्तिमान, नई उम्मीदें और नई सौगातें। 2024 भारत को कई बड़ी उपलब्धियों से नवाजेगा। भारत पहली बार इंसान को अंतरिक्ष में भेजेगा। चांद के बाद मंगल और शुक्र पर कामयाबी की इबारत लिखेगा। भारत का NISAR पूरे ग्लोब को 12 दिनों में माप देगा। इस साल अयोध्या में 496 साल पुराने धार्मिक-राजनीतिक विवाद के बाद नए राम मंदिर में रामलला विराजेंगे। भारत के लिए 2024 की झोली में और भी बहुत कुछ है।
हर बार नए साल से लोगों को नई उम्मीदें भी होती हैं। वैसे तो नया साल कोई पर्व नहीं है लेकिन फिर भी लोग महीनों पहले से इसके इंतेजार में रहते हैं। ये इंतेजार नई उम्मीदों की होती है। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक रूप से विकास की नई राहें खुलने की उम्मीद होती है।
आने वाले साल से भारत के लोगों को विकास के लिहाज से काफी उम्मीदें हैं। साल 2023 की बात करें तो भारत के हिस्से में कई ऐतिहासिक पल आए। G20 की मेजबानी हो या चंद्रयान-3 की सफलता या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स यानी मोटे अनाज को मिली पहचान की बात हो, भारत पूरे 2023 में चमकता दिखा चारों और भारत की चर्चाएं हुईं। 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का श्रेय भारत के 140 करोड़ लोगों के प्रयासों को दिया था। वहीं भारत 2023 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भी 5वीं पर रहा।
नए साल में चुनाव होने वाले हैं और अगर मौजूदा सरकार फिरसे सत्ता में आती है तो ये देखना दिलचस्प होगा कि देश के लिए उनके पिटारे में क्या-क्या निकलने वाला है। वहीं, दूसरी तरफ अगर विपक्ष को एक बार फिर जनता ताज पहनाती है तो वह किस तरह अपने वोटरों की उम्मीदों पर खड़ी उतरेगी।
आइए जानते हैं साल 2024 में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र में क्या हैं उम्मीदें:-
साल 2024 से क्या है आर्थिक उम्मीद-
मौजूदा सरकार ने भारत की आजादी को 75 साल पूरे होने पर चलाए जा रहे ‘अमृत काल’ अभियान को लेकर बार-बार यह कहते नजर आए कि देश 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने की दिशा में काम कर रहा है। सरकार ने यह भी भरोसा जताया कि हर बाधा को पार करते हुए सफलतापूर्वक देश अपने लक्ष्यों तक पहुंचेंगा। भारत की आर्थिक स्थिति की बात की जाए तो भारत में बढ़ता मध्यम वर्ग और घटती गरीबी एक महत्वपूर्ण आर्थिक चक्र की नींव बन रही है। जो लोग गरीबी से उभर रहे हैं वो सभी नए-मध्यम वर्ग का हिस्सा बन रहे हैं। वे अब देश की उपभोग वृद्धि (consumption growth) को चलाने वाली एक बड़ी ताकत हैं। भारत वर्तमान में एक सकारात्मक चक्र से गुजर रहा है जहां गरीबी कम होने से मध्यम वर्ग को लाभ हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि घरेलू मांग मजबूत रहने से कैलेंडर वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में होगा। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऊंची ब्याज दरों और कमजोर बाहरी मांग से इस साल देश का निवेश और निर्यात प्रभावित होगा। यह रिपोर्ट कहती है कि भारत की आर्थिक वृद्धि ‘मजबूत’ बनी रहेगी। हालांकि, अन्य दक्षिण एशियाई देशों के लिए संभावनाएं ‘अधिक चुनौतीपूर्ण’ होगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर सरकार का रहेगा फोकस
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की बात करें तो नए साल में रेलवे सेक्टर को और भी सुदृढ़ करने पर सरकार का फोकस रहने वाला है। सरकार का ध्यान रेलवे एसेट्स के सुधार और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर रह सकता है। नई वंदे भारत ट्रेनों की शुरूआत, रेलवे स्टेशनों का रीडेवलपमेंट और नई रेलवे पटरियां बिछाने से न केवल विकास को गति मिली। वंदे भारत के साथ एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ने को लेकर सरकार पहले से ही कार्य कर रही है। इस साल देश में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी बढ़ावा दिया गया।
रेल यात्रियों के सुरक्षा को लेकर भी कई कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे पर स्टेशनों के रेनोवेशन के लिए ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ भी शुरू की। अमृत भारत स्टेशन स्कीम को फरवरी, 2023 में लांच किया गया था। सरकार द्वारा आधुनिकीकरण के लिए अब तक लगभग 1300 रेलवे स्टेशनों की पहचान की गई है। इसमें स्टेशन पहुंच, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, शौचालय, आवश्यकतानुसार लिफ्ट/एस्केलेटर, स्वच्छता, मुफ्त वाई-फाई, स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क जैसी सुविधाओं में सुधार के लिए मास्टर प्लान तैयार करना और चरणों में उनका कार्यान्वयन शामिल है।
विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर बढ़ेगा भरोसा
नया साल विदेशी निवेश के लिए भी अच्छी सौगात लेकर आएगा। पिछले कुछ सालों से विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार पर भरोसा लगातार बढ़ रहा है। अगले साल यानी 2024 में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) बढ़ने की भी संभावना है।
साल 2024 से क्या है सामाजिक उम्मीद-
सामाजिक स्थिति की बात करें तो आगामी साल में होने वाले चुनाव में किस पार्टी की जीत होगी इसपर भी काफी हद तक यह निर्भर करता है। अगर मौजूदा पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो इस साल किए गए कार्यों को सुचारु रूप देगी। युवाओं को कुशल बनाने से लेकर महिलाओं के सशक्तिकरण पर इस साल सरकार का फोकस बना रहा। महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना तो देश की बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना और किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना ये सभी योजनाओं की चर्चा इस साल भी रही। सभी के स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान भारत योजना को भी सरकार ने महत्वपूर्ण बनाने की कोशिश इस साल भी की। साल 2024 में भी क्या ये योजनाएं उतनी ही महत्वपूर्ण साबित होंगी या फिर योजनाओं के लिस्ट में कई और योजना भी शामिल हो सकती है।
साल 2024 से क्या है राजनीतक उम्मीद-
इस साल नए संसद भवन में राजनीति की एक नई शुरुआत की बात कही गई थी। पीएम मोदी ने साल 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। यह भवन इस साल तीन साल से भी कम समय में बनकर तैयार हो गया। संसद के नए भवन (New Parliament) में काम-काज शुरू हो चुका है। यह भवन कई महत्वपूर्ण बातों विचारों का गवाह भी इस शीतकालीन सत्र के दौरान रहा। अगर हम बात मौजूदा सरकार यानी बीजेपी की करें तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जीत को सेमीफाइनल की विक्ट्री बताई जा रही है। यानी कि बीजेपी 2024 के फाइनल जीतने की रणनीति लिखनी शुरू कर दी है। बीजेपी की सरकार अगर इस साल भी जीत अपने नाम करती है तो लगातार सरकार के नाम यह तीसरी जीत होगी। जीत के साथ-साथ ही सरकार अपने वादों पर कितनी खड़ी उतरती है यह देखना भी दिलचस्प होगा।
आने वाले साल में इन 10 फैक्ट्स से भारत दुनिया के मानचित्र पर दिखाएगा अपना दम-
G20 इस वर्ष की कूटनीतिक उपलब्धि के रूप में सामने आया। अपनी G20 अध्यक्षता के माध्यम से, भारत दुनिया के सबसे प्रभावशाली, शक्तिशाली और परिणामी देशों की मेजबानी की और देश-दुनिया से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा किया गया।
भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा और ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवें स्थान पर पहुंच गया। भारत की नजर अब इस स्थान से ऊपर जाने की जरूर होगी।
तकनीकी उन्नति और नवाचार के क्षेत्र में भी भारत ने इसबार कई बुलंदियां छूईं। भारत सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) में वैश्विक लीडर बनने के लिए तैयार है।
MyGovIndia के आंकड़ों के अनुसार, देश डिजिटल भुगतान के मामले में शीर्ष पर रहा और 89.5 मिलियन लेनदेन दर्ज किए गए।
वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष) 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया।
सरकार की लगातार नीतिगत पहलों और रक्षा उद्योग के उत्कृष्ट योगदान के परिणामस्वरूप, रक्षा निर्यात लगभग 15 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2022-23 का बजट 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 3,000 करोड़ अधिक है।
भारतीय वायुसेना ने अग्निपथ योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है और अग्निवीरवायु से संबंधित डेटा के डिजिटलीकरण में सबसे आगे रही है।
बाजरा (बाजरा/ज्वार/रागी) को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में शामिल किया गया। भारत के प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया गया।
भारत ने जुलाई में संयुक्त अरब अमीरात के साथ रुपये के निपटान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसके तुरंत बाद इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) से दस लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय रुपये में भुगतान किया। रूसी तेल आयात का कुछ हिस्सा भी रुपये में तय किया गया है।
साल 2023 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए कई उपलब्धियां देकर गया। दुनियाभर के देशों ने भारत की ताकत देखी। ISRO की उपलब्धियों में सबसे पहला नाम चंद्रयान-3 का है। चंद्रयान के बाद इसरो के लिए दूसरी बड़ी सफलता आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग रही।
भारत के लिए क्या होंगे अवसर?
भारत के लिए 2024 बेहद खास है. इस साल देश में चुनाव हैं. चुनाव के नतीजों से भारत की वैश्विक स्थिति में बदलाव आएगी. भारत की स्थिति दुनिया भर में काफी अहम हो गई है. पिछले साल जी20 में सभी देशों को आपसी सहमति के राजी करवाने के बाद भारत का लोहा दुनिया मानती है. रूस के राष्ट्रपति भी बार-बार भारत की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, लेकिन कनाडा और अमेरिका से हुए हालिया तनाव से भारत कैसे निपटती है ये भी काफी मायनों में अहम है. इससे भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक ताकत का आभास दुनिया को होगा.
चीन की जद्दोजहद
चीन के लिए 2024 कई चुनौतियों से भरा हुआ है. एक ओर देश में बेरोजगारी की बढ़ती दर और दूसरी ओर खुद की वैश्विक पकड़ को बनाए रखना होगा. हालांकि चीन ने अमेरिका के साथ तनावों को कम करने के साथ ही अपनी पकड़ को साधने की कोशिश की है, हालांकि उसके लिए ये भी है एक चुनौती है कि अमेरिका और रूस के साथ रिश्तों में संतुलन साधना मुश्किल होगा. दूसरी ओर साउथ चाइना सी में ताइवान और फिलीपींस के साथ बढ़ते तनाव भी चीन को मुश्किल में डाल सकती हैं. अगर चीन ताइवान पर हमला करता है या फिर कोई कार्रवाई करता है तो पश्चिमी देश चीन पर हावी हो जाएंगे.