विगत सात–आठ दिन से खबर चैनलों में आतकंवादी संगठन ‘हमास’ के इस्राइल पर बर्बर हमले और प्रतिक्रिया में इस्राइल के ‘हमास’ के ठिकानों पर हमले की खबरें और बहसें छाई हुई हैं। ‘हमास’ के हिमायती ‘हमास’ को इस्राइल का ‘विक्टिम’ बताते हैं। ‘हमास’ के आतंकी हमले के लिए इस्राइल को ही जिम्मेदार ठहराते हैं जबकि इस्राइल के हिमायती इस्राइल पर ‘हमास’ के वहशी हमले को ‘बिना किसी उकसावे का आतंकवादी हमला’ बताते हैं और इस्राइल के हमले को प्रतिक्रिया में किया जाता हमला बताते हैं।
हमास’ की बमबारी और जमीनी हमले की बर्बरता को दिखाने वाले बहुत से वीडियोज भी चैनलों ने दिखाए हैं जिनमें कहीं वे माता–पिता के सामने उनके बच्चों के गले काटते‚ बच्चों के आगे माता पिता को गोली मारते‚ कहीं औरतों को नंगा घुमाते‚ रेप करते‚ जली बॉडीज का शो करते दिखते हैं‚ कहीं किसी औरत के गर्भ में पल रहे बच्चे के सिर पर चाकू भौंकते मारते दिखते हैं। बहुत से फिलिस्तीनी भी इस बर्बरता का जश्न भी मनाते दिखते हैं। और‚ बहुत से वीडियोज ‘हमास’ को नेस्तनाबूद करने के लिए गाजा पट्टी में इस्राइल की भीषण बमबारी और टैंकों की बटालियनों के कूच और बहुत सी इमारतों को खंडहर में बदलते भी दिखाते हैं। लेकिन इस टिप्पणी में हम उन बातों पर नहीं जाएंगे जो अब तक चैनलों ने घर– घर पहुंचा दी हैं जैसे कि हमास की बर्बरता और क्रूरता की वहशी कहानियां। हम उन चैनल चरचाओं को भी नहीं दुहराएंगे जिनमें कुछ वक्ता/प्रवक्ता ‘हमास’ को आतंकी मानने की जगह उसे ‘उग्रवादी’ (मिलिटेंट) संगठन मानते हैं और इस हमले के लिए इस्राइल को ही जिम्मेदार मानते हैं। हम उनके तर्कों को भी नहीं दुहराएंगे जो इस्राइल के पक्षधर देते हैं कि ‘हमास’ आतंकवादी संगठन है‚ उसने उसके हजारों निरीह नागरिकों की क्रूरता से हत्या की है‚ वह आतंक का सेलीब्रेशन करता है‚ और इस्राइल को अपनी आत्मरक्षा का हर हक है.।
इधर से ‘हमास’ के ठिकानों पर इस्राइली हमला अब भी जारी है। उधर से ‘हमास’ व उसके पक्षधरों का जवाबी हमला भी जारी है। इसलिए हम न ‘बर्बरता’ के विवरणों में जाएंगे‚ न सात दिन से जारी ‘युद्ध’ के विवरणों‚ बल्कि हमले और युद्ध के कारण में मीडिया में मीडिया को लेकर उठे कुछ सवालों की चरचा करेंगे और उनका जवाब खोजना चाहेंगे। चलती बहसों में एक सवाल बार–बार उठाया जाता है कि हमारा मीडिया‚ हमारे खबर चैनल ‘हमास’ व ‘फिलिस्तीन’ के पक्ष को सही–सही न बताकर इस्राइल को ‘हमास’ के ‘विक्टिम’ की तरह दिखाते हैं।
इससे पहले कि हम अपने मीडिया की ‘तटस्थता’ पर विचार करें‚ उक्त सवाल के जवाब में हमारा यही कहना है कि ‘हमास’ की बर्बरता के जितने वीडियो दिखे हैं‚ वे सब सोशल मीडिया पर ‘हमास’ ने ही डाले हैं‚ कई तो लाइव स्ट्रीम किए हैं‚ और इसलिए लाइव स्ट्रीम किए हैं ताकि सोशल मीडिया व टीवी दर्शकों के दिल उसकी क्रूरता व बर्बरता का खौफ नीचे तक उतर जाए और लोग उनसे डर–डर के जिएं। ये वीडियो ‘इस्राइल’ के बनाए नहीं हैं जैसा कि कुछ ‘हमास’ वाले वीडियोज में खुद कहते दिखते हैं कि जब तक यहूदियों को पूरी तरह खत्म नहीं कर दिया जाता तब तक ‘डे ऑफ जजमेंट’ नहीं आने का.कहने की जरूरत नहीं कि हिंसा का ऐसा सेलीब्रेशन आतकंवाद की पुरानी कल्चर है‚ जिसे हमास ने यहां भी प्रदर्शित किया है। तो ‘हमास’ को जिम्मेदार न ठहराया जाए तो किसे ठहराया जाए। अपना मीडिया यही तो कहता है।
जाहिर है अपने मीडिया ने वही किया है‚ जो कोई मीडिया करता लेकिन अपने मीडिया ने ‘हमास’ के पक्षधरों को भी पर्याप्त ‘स्पेस’ दिया है। अब आएं इस्राइल के हमले की कवरेज पर‚ तो वो खुद ही कहता है कि हमले के बाद इस्राइल को हर हक है कि बदले में ‘हमास’ को निशाना बनाए और चूंकि ‘हमास’ बंधकों व फिलिस्तीनियों को ‘ढाल’ बना रहा है‚ तो ऐसे में कुछ निरीह भी टारगेट बन सकते हैं। इसी को देख एक चर्चक ने कहा भी कि आप मारोगे तो दूसरा भी आपको मारेगा। ऐसे ‘विभक्त’ समय में मीडिया क्या करेॽ उसकी ‘तटस्थता के मिथ’ का हम क्या करेंॽ हमारा मानना है कि मीडिया की ‘तटस्थता’ मोहक सिद्धांत कथन मात्र है। ‘मिथ’ मात्र है। सच तो यह है कि कोई भी मीडिया न पूरी तरह तटस्थ होता है‚ और न हो सकता है। कारण यह कि हर मीडिया ‘राज्यसत्ता की ‘चौथी टांग’ होता है यानी सत्ता जिधर मीडिया उधर। इस ‘मिथ’ से बाहर आकर ही मीडिया के बारे में कोई सार्थक बात की जा सकती है।