भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3 मिशन अब अपने समाप्ति की ओर बढ़ चुका है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फिर रात होने वाली है. लेकिन अभी तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से किसी भी तरह का संपर्क नहीं हो पाया है. ऐसे में इस मिशन के खत्म होने की संभावना जताई जा रही है. तीन-चार दिन के भीतर शिव शक्ति प्वाइंट पर अंधेरा छा जाएगा. विक्रम और प्रज्ञान के नींद से जगने की सभी उम्मीदें खत्म हो जाएंगी. हालांकि चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल से इसरो की आस बनी रहेगी.
प्रोपल्शन मॉड्यूल लगातार 58 दिन से चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. उसने अभी तक बहुत सारा डेटा इसरो को भेजा है. बता दें कि प्रोपल्शन मॉड्यूल में इसरो द्वारा SHAPE नाम का एक यंत्र लगाया गया है. जिसका काम अंतरिक्ष में छोटे ग्रहों के साथ-साथ एक्सोप्लैनेट्स की खोज में लगा हुआ है. चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम शुरुआत में केवल विक्रम लैंडर को चांद की नजदीकी कक्षा में डालना था. 30 सितंबर को शिव शक्ति पॉइंट पर सूरज की रोशनी कम होने लगी.
चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम शुरुआत में केवल विक्रम लैंडर को चांद की नजदीकी कक्षा में डालना था. उससे अलग होकर चांद का चक्कर लगाना था. प्रोपल्शन मॉड्यूल ने यह काम बेहद अच्छे से किया और अब इसरो प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे शेप का पूरा फायदा उठा रहा है. यह अभी कम से कम चार से पांच महीने तक काम करेगा. नासा के मुताबिक अब तक 5 हजार से ज्यादा एक्सोप्लैनेट्स खोजे जा चुके हैं.
यानी कि ब्रह्मांड में अरबों-खरबों की संख्या में आकाशगंगाएं हैं और सभी एक-दूसरे से अलग हैं. लैंडर-रोवर जोड़ी दोनों ने मिशन पूरा कर लिया था और स्लीप मोड में चले गए थे. कोउरू और इस्ट्रैक, बेंगलुरु में यूरोपीय स्टेशन पिंग कर रहे थे लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लॉन्च किए गए चंद्रयान -3 मिशन ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास सफलतापूर्वक उतरकर इतिहास रच दिया. इसने भारत को ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले देश के रूप में चिह्नित किया.