बिहार आज मंगलवार को फिर नई इबारत लिखेगा। बिहार विधान मंड़ल की धरती पर पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के कारण यह इतिहास लिखा जायेगा। मौका होगा बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के समापन का। पीएम मोदी के स्वागत के लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है। प्रधानमंत्री मंगलवार की शाम में पांच बजे पहुंचेंगे और उसी दिन सात बजे दिल्ली के लिए रवाना हो जायेंगे। यह बात सही है कि दुनिया के प्रथम गणराज्य वैशाली से लेकर आज की बिहार विधानसभा तक की एक लंबी यात्रा रही है‚ लेकिन प्रधानमंत्री विधानमंड़ल के कार्यक्रम में पहली बार कदम रखेंगे। विधानसभा का मुख्य भवन १०० साल पहले बना था‚ जो भव्य वास्तुकला का उदाहरण है। यह भवन आज अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। प्रधानमंत्री के पटना आगमन में अब महज कुछ ही घंटे शेष रह गये हैं।
२०२१ में ही १०० वर्ष पूरे होने पर विधानसभा भवन का शताब्दी वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया था। शताब्दी वर्ष मनाने के पीछे यह तर्क दिया गया कि सिर्फ एक आयोजन नहीं‚ बल्कि १०० साल की यात्राओं को स्मरण करने और उसकी प्रेरक बातों का अनुकरण करने का प्रयास होगा। शताब्दी समारोह का शुभारंभ राष्ट्रपति ने बिहार विधानसभा की इस ऐतिहासिक यात्रा में आने की सहमति देकर किया। यह हम सब जानते हैं कि आज बिहार देश का एक राज्य है‚ लेकिन कभी कंधार से लेकर कन्याकुमारी तक का स्वामित्व बिहार के जिम्मे था। उस समय यह बिहार नहीं‚ बल्कि मगध साम्राज्य था । बिहार भले ही १९१२ में स्थापित हुआ‚ परंतु १९२० में बिहार और उडीसा प्रांत को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ७ फरवरी‚ १९२१ को विधानसभा के नवनिर्मित भवन में बैठक प्रारंभ हुई। पुरानी से नई विधायी व्यवस्था तक पहुंचने की बिहार की व्यवस्था लंबी है। बिहार हमेशा से सभ्यता और शक्ति का केन्द्र रहा है। इस राज्य ने अपनी समृद्ध राजनीतिक‚ ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपरा से पूरे विश्व को आलोकित किया है। प्राचीन काल में कभी मगध‚ अंग‚ विदेह‚ वज्जीसंघ‚ अंगुत्तराप‚ कौशकी आदि के रूप में चि्ह्निनत भौगोलिक क्षेत्र को ही आज बिहार के रूप में जाना जाता है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में मगध साम्राज्य के तहत इस भू–भाग को राजनैतिक एकता प्राप्त हुई। गंगा और सोन नदी के तट पर अवस्थित पाटलिपुत्र मगध साम्राज्य का केन्द्र बिन्दु बना। कालखंड बदलता गया‚ परंतु बिहार की अस्मिता अक्षुण्ण रही। १८वीं शताब्दी के मध्य में अंग्रेजी शासन के दौरान बिहार का भू–भाग बंगाल प्रेसीडेंसी का अंग बना‚ परंतु बिहारवासी अपनी सक्रियता एवं कर्मठता के बल पर अलग पहचान बनाये रखने में सफल रहे। बिहार को बंगाल से अलग करने की मांग लगातार उठती रही। सबसे महत्वपूर्ण दिन १२ दिसम्बर‚ १९११ था जब जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में बिहार एवं उडीसा को मिलाकर बंगाल से पृथक राज्य बनाने की घोषणा की एवं इसका मुख्यालय पटना निर्धारित किया।
विधानमंड़ल में पहली बार पड़ेंगे प्रधानमंत्री के कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को एक दिवसीय दौरे पर आयेंगे। यह पहला ऐसा मौका होगा‚ जब कोई प्रधानमंत्री बिहार विधानसभा परिसर में आ रहे हैं। आज तक कोई प्रधानमंत्री विधानसभा में नहीं आये हैं। दरअसल‚ प्रधानमंत्री मोदी को शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने विशेष तौर पर निमंत्रित किया है। उन्होंने पिछले दिनों दिल्ली में पीएम से मुलाकात कर उनसे पटना आने का आग्रह किया था।