जाति आधारित गणना से पहले विधान परिषद और राज्यसभा के लिए इस साल के चुनाव राजपूत, कुशवाहा और यादव जैसी जातियां पिछड़ गईं। अनुसूचित जाति को नई एंट्री मिली। सहनी की सीटें कम हुईं। अल्पसंख्यकों की संख्या बरकरार रही। दोनों सदनों के लिए 2016 के द्विवार्षिक चुनाव में परिषद के लिए सात और राज्यसभा के लिए पांच सदस्यों का निर्वाचन हुआ था। जदयू के शरद यादव दल बदल के कारण कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। राजद के राम जेठमलानी का निधन हो गया। उप चुनाव में भाजपा के सतीश चंद्र दुबे चुने गए। भाजपा ने उन्हें दूसरी बार भी राज्यसभा में भेज दिया है। दुबे को अवसर मिलने से राज्यसभा में ब्राह्म्ण का कोटा बरकरार रहा। राजद के अशोक पांडेय के उम्मीदवार बनने से परिषद में प्रतिनिधित्व बढ़ा। अधिक संख्या के बावजूद यादवों का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ा।
2016 में मीसा और शरद राज्यसभा गए थे। 2022 में सिर्फ मीसा जा पाईं। परिषद से जुलाई में अवकाश ग्रहण करने वाले सात सदस्यों में कोई यादव नहीं हैं। संभावित सदस्यों की सूची मेंं भी किसी यादव का नाम नहीं है। पिछड़ों में कुर्मी जाति की संख्या एक से दो गई। पिछली बार जदयू ने आरसीपी सिंह को राज्यसभा में भेजा था। उनकी जगह इसी बिरादरी के खीरू महतो ने ली। जदयू ने रवींद्र सिंह को विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बनाया है। अत्यंत पिछड़ों की दो की संख्या कायम रही। सिर्फ जाति बदल गई। पहले दोनों सहनी थे। इस बार एक हरि सहनी हैं। दूसरे हैं शंभू शरण पटेल। ये धानुक हैं।
2016 में कुल तीन सवर्ण थे
इन चुनावों में सवर्णों में राजपूत और पिछड़ों में कुशवाहा का खाता नहीं खुला। भाजपा ने गोपाल नारायण सिंह को अधिक उम्र के नाम पर रोक लिया। उधर, सीटों की कमी के कारण जदयू के रण विजय सिंह परिषद नहीं जा रहे हैं। हालांकि समग्रता में बात करें तो 2016 में कुल तीन सवर्ण थे। अब छह हो गए। राजद और जदयू ने जिन तीन मुसलमानों को उम्मीदवार बनाया, वे सवर्ण ही हैं। इधर के तीन में दो ब्राह्म्ण और एक भूमिहार हैं। सीपी सिंह कुशवाहा को जदयू ने दूसरा अवसर नहीं दिया। 2016 के द्विवार्षिक चुनाव में अनसूचित जाति के प्रतिनिधि नहीं थे। 2020 में राजद ने मुन्नी रजक उम्मीदवार बना कर यह कमी पूरी कर दी।
अल्पसंख्यक बरकरार
जदयू के कमर आलम, रोजिना नाजिश और गुलाम रसूल इस बार विधान परिषद नहीं जा रहे हैं। उनकी जगह इस बिरादरी के तीन दूसरे लोग सदन में जा रहे हैं। ये हैं-राजद के डा. फैयाज अहमद (राज्यसभा), कारी सोहैब (विधान परिषद) और आफाक अहमद खान (जदयू)।