वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) का मतलब है‚ समाज के पिछडे और कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना तथा ये सेवाएं उन लोगों को ऐसे मूल्यों पर उपलब्ध होनी चाहिए‚ जिसे वे आसानी से वहन कर सकें‚ ताकि आम आदमी की भी पहुंच सरकारी वित्तीय सेवाओं तक संभव हो सके। वस्तुतः वित्तीय समावेशन के तहत यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि अंतिम छोर पर खडे व्यक्ति को भी आर्थिक विकास के लाभों से सम्बद्ध किया जा सके ताकि वह व्यक्ति आर्थिक सुधारों के फल से वंचित न रह जाए। इस प्रकार वित्तीय समावेशन को गरीबों तक पहुंचाने के अवसरों की उपलब्धता और समानता के बीच में परिभाषित किया गया है।
वित्तीय समावेशन मोटे तौर पर उचित लागत पर वित्तीय सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तक सार्वभौमिक पहुंच को संदर्भित करता है। वित्तीय समावेशन के नाम पर कांग्रेस की सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर वामपंथियों को तो खुश करने का काम कर दिया लेकिन वास्तव में बैंकों तक गरीबों की पहुंच संभव नहीं हो सकी। वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार देश के कुल २४.८४ करोड़़ परिवारों में १३.१९ करोड यानि ५३.०४ प्रतिशत परिवार ही बैंकिंग सुविधा से जुडे थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले २८ अगस्त २०१४ में एक महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ की शुरुआत की । सरकार ने इस योजना के तहत देश के प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सदस्य का बैंक में खाता खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया था ताकि गरीबों एवं जरूरतमंदों को आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा सीधे मुहैया करायी जा सके। इस योजना के अंतर्गत अब तक ४५.०६ करोड खाते खोले जा चुके हैं तथा लगभग १‚६६‚४६९ करोड रुपये इन खातों में जमा हैं। जबकि इस योजना के अंतर्गत आधे से अधिक बैंक खाते बिना पैसे के खोले गए हैं‚ क्योंकि इन खातों में न्यूनतम रखने की अर्हता नहीं है। सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ व मनरेगा की मजदूरी लाभार्थियों को उन खातों के माध्यम से बिना बिचौलियों के सीधे हस्तांतरित की जा रही है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के आंकडों के मुताबिक अब तक देश के लगभग १५ हजार परिवारों को छोडकर हर परिवार के पास अपना एक बैंक खाता हो गया है। प्रधानमंत्री ने संस्कृत के एक प्राचीन श्लोक‚ सुखस्य मूलम धर्मः‚ धर्मस्य मूलम्अर्थः‚ अर्थस्य मूलम् राज्यम् का संदर्भ देते हुए वित्तीय समावेशन यानि आर्थिक गतिविधियों में आम लोगों की सहभागिता की जिम्मेवारी राज्य की बतलाई है। वास्तव में प्रधानमंत्री जनधन योजना वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है जिसका उद्ेश्य बैंकिंग/बचत‚ जमा–खाता‚ प्रेषण‚ भुगतान‚ ऋण‚ बीमा‚ पेंशन इत्यादि वित्तीय सेवाओं को प्रभावी ढंग से सभी तक पहुंचाना है। कोरोना काल में गरीबों के लिए जनधन खाता काफी मददगार साबित हुआ है। लॉकडाउन के दौरान गरीबों को अपना घर चलाने में आर्थिक परेषानी न हो इसके लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत २०.५० करोड़़ महिलाओं के जनधन खाते में ५००–५०० रुपये की किस्तें भेजी थीं। इसके अलावा राष्ट्रीय समाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत २.८२ करोड वरिष्ठ नागरिकों‚ विधवाओं और दिव्यांगों को १४०५ करोड रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई थी। देश के ११३ करोड किसानों के बैंक खातों में १८२ लाख करोड रुपये सीधे ट्रांसफर किये जा चुके हैं। किसानों को ये लाभ पीएम किसान सम्मान निधि और कृषि से जुडी अन्य योजनाओं के तहत प्राप्त हुए हैं।भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह प्रबल धारणा रही है कि समावेशी विकास से ही देश का आर्थिक विकास संभव हो सकेगा। यही कारण है कि उन्होंने न केवल ‘सबका साथ–सबका विकास’ का नारा दिया बल्कि असंगठित क्षेत्र के गैर–कॉरपोरेट‚ कमजोर कारोबारियों यथा दुकानदार‚ फेरीवाले‚ रेहडी वाले‚ खोमचा वाले‚ हजाम‚ दर्जी‚ कुम्हार तथा अन्य छोटे–मोटे कामगारों को ‘मुद्रा बैंक’ के द्वारा १० लाख तक के ऋण उपलब्ध कराये जा रहे हैं। ८ अप्रैल २०१५ से शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत ७ साल के भीतर अब तक ३४.४२ लाख लोगों को १८.६० लाख करोड रूपये के कर्ज दिए गए हैं। इससे छोटे कारोबारियों को बडी मदद मिली है तथा जमीनी स्तर पर करोडों लोगों को रोजगार मिलना संभव हुआ है। इस योजना के तहत ६८ प्रतिशत ऋण महिलाओं को दिए गए हैं तथा २२ प्रतिशत ऐसे उद्यमियों को ऋण दिये गये हैं जिन्होंने इसके पूर्व कोई कर्ज नहीं लिया था।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने १५ अगस्त २०१५ को ६९वें स्वतंत्रता दिवस पर ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘स्टैण्डअप इंडिया’ नाम से दो नई योजनाओं की घोषणा की थी। घोषित योजनाओं को मूर्तरूप देते हुए १६ जनवरी २०१६ को दिल्ली के विज्ञान भवन से इस अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान का लक्ष्य स्टार्टअप उद्यमियों के लिए आवश्यक वित्तीय एवं अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराना है‚ ताकि युवाओं में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन मिल सके और वे नौकरी करने वाले नहीं‚ बल्कि नौकरी देने वाले नियोक्ता बन सकें। स्टार्टअप के अंतर्गत वे इकाइयां आती हैं जो भारत में पांच साल पहले से पंजीकृत नहीं हैं तथा जिनका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्र्ष में २५ करोड से अधिक का नहीं है। यह एक ऐसी इकाई है जो प्रोद्योगिकी या बौद्धिक संपदा से प्रेरित नए उत्पादों या सेवाओं के नवाचार विकास‚ प्रविस्तारण या व्यवसायीकरण की दिशा में काम करती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार देश में अभी तक ५४ नये स्टार्टअप खुल चुके हैं जिनमें लगभग ६ लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। नये स्टार्टअप में ७४ यूनिकॉर्न बन चुके हैं। यूनिकॉर्न का मतलब ऐसे स्टार्टअप से है जिनका बाजार मूल्य कम से कम १ बिलियन डॉलर यानि ७.५ करोड रुपये है। स्टार्टअप को प्रेरित करने के लिए सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके निगमन‚ पंजीकरण व हैंडलिंग आदि को आसानी से नियंत्रित किया जाता है। पोर्टल पर सरकार ने एक परेशानी मुक्त पंजीकरण प्रणाली स्थापित की है जिसमें कहीं से भी कहीं का पंजीकरण कराया जा सकता है। स्टार्टअप की स्थापना के बाद पहले तीन वषों के लिए कर छूट की व्यवस्था है। बेटियों के भविष्य को उज्जवल और सुरक्षित बनाने हेतु विभिन्न बचत योजनाएं अभी चल रहीं हैं। इन बचत योजनाओं पर इनकम टैक्स छूट और उच्चतम ब्याज दर प्रदान किया जाता है। मोदी सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के अंतर्गत १० वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के नाम से माता–पिता या उनके लीगल अभिभावक द्वारा यह खाता खोला जा सकता है। इसमें २५० रुपये से लेकर १.५ लाख तक प्रतिमाह १४ वर्र्ष तक जमा कराना होता है। इसका उद्ेश्य भविष्य में बच्ची की पढ़ाई या शादी आदि में होने वाले खर्च की पूर्ति के लिए किया जा सकता है।आजादी के ७५वें साल जब देश अमृत महोत्सव मना रहा है तब नये भारत के लिए वित्तीय समावेशन का महत्व और बढ़ जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली है तब से गरीबों‚ वंचितों‚ किसानों एवं अन्य जरूरतमंदों को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने के साथ ही उनके सशक्तीकरण का प्रयास शुरू किया इसके लिए उन्होंने वित्तीय समावेशन पर विशेष जोर दिया और कई योजनाओं की शुरुआत की। वहीं डिजिटल ढांचा मजबूत करने‚डिजिटल सुविधाएं बढ़ाने तथा ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ के तहत देश का आम आदमी भी अब डिजिटल दुनिया से जुड गया है। इसका नतीजा है कि भारत अब वित्तीय समावेशन के मामले में चीन‚ जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका से भी आगे निकल गया है।