भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ उसके घर में 15 साल बाद टेस्ट सीरीज जीते का मौका गंवा दिया। सही मायनों में भारतीय टीम ने अपनी गलतियों से यह मौका गंवाया है। भारत के सात विकेट से यह टेस्ट हारने से सीरीज 2-2 से बराबर हो गई। अब सवाल यह है कि राहुल द्रविड़ को विराट कोहली और रवि शास्त्री की कप्तान और कोच की जोड़ी ने विजेता टीम सौंपी थी पर वह टीम का वह स्थान बरकरार रखने में कामयाब नहीं हो सके हैं।
द्रविड़ के कोच बनने के बाद टीम इंडिया विदेशी भूमि पर लगातार तीसरा टेस्ट हारी है। वैसे देखा जाए तो इसमें द्रविड़ का भी दोष नहीं है क्योंकि उन्हें पूरी ताकत वाली टीम कभी मिली ही नहीं। इस टीम की प्रमुख समस्या तो टीम के प्रमुख बल्लेबाज विराट कोहली, शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर और हनुमा विहारी बिल्कुल भी नहीं चल सके।
लगता है कि भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी की सही रणनीति बनाने में असफल रही। इस पारी के दौरान उसे लंबा खींचने की सोच ही नहीं दिखी। टीम प्रबंधन इस बात को अच्छे से जानता था कि उसे सीरीज जीतने के लिए सिर्फ ड्रा की जरूरत थी। इसलिए दूसरी पारी में हमारे बल्लेबाजों ने विकेट पर टिककर दिन निकालने का प्रयास ही नहीं किया। असल में ऐसा लगता है कि पहली पारी में बढ़त लेने के बाद उन्हें लग रहा था कि 350 से ऊपर की बढ़त मिलने पर मैच जीता जा सकता है।
अगर हमारे बल्लेबाजों ने विकेट पर टिककर चौथा दिन निकाल दिया होता, तो इंग्लैंड पर दवाब होता और इस दवाब का फायदा उठाकर मैच का रुख अपने पक्ष में किया जा सकता था। लेकिन भारत ने इंग्लैंड की दूसरी पारी में तीन विकेट जल्दी निकाल लेने के बाद रूट और बेयरेस्टो के लिए रक्षात्मक फील्ड सजाकर उन्हें एक-दो रन बनाकर दवाब से निकलने का मौका दे दिया।
यही नहीं भारतीय गेंदबाजों ने भी औसत गेंदबाजी करके इंग्लैंड को जीत की राह पर बढ़ने का मौका दे दिया। वहीं बेयरेस्टो के दो कैच छोड़ने ने हार कर इबारत लिखने में मदद की। इस हार के बाद टीम प्रबंधन को शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर के बारे में सोचने की जरूरत है कि अब आगे उन्हें खिलाया जाए या नहीं।