राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि गोपालगंज सहित तीन जिलों में जहरीली शराब से ३० से ज्यादा लोगों के मरने की अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद प्रशासन को दोषियों की पहचान कर तुरंत कडी कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे मामले में स्पीडी ट्रायल के जरिये मौत के सौदागरों को फांसी की सजा दिलायी जानी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि २०१६ में गोपालगंज के खजूरबन्ना में जहरीली शराब से १९ लोगों की मृत्यु के बाद दोषी पाए गए नौ लोगों को फांसी और चार महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनायी गई थी। ऐसी घटना में मृतक के परिवार का कोई दोष नहीं होता‚ इसलिए सरकार ने उस समय हर आश्रित परिवार को ४–४ लाख रुपये का मुआवजा दिया था। इस बार भी सरकार को पीडित आश्रितों को ४ – ४ लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का विचार करना चाहिए। जहरीली शराब से मौत की घटनाएं उन राज्यों में भी हुइ‚ जहां मद्यनिषेध लागू नहीं है‚ इसलिए ऐसी दुखद घटनाओं के बहाने शराबबंदी हटाने की दलील नहीं दी जानी चाहिए। बिहार की जनता और विशेष कर आधी आबादी ने शराबबंदी को सहर्ष स्वीकार कर लिया है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र भाई मोदी ने मद्यनिषेध लागू रखा और बिहार में नीतीश कुमार ने पाडित महिलाओं की एक आवाज पर इसे सख्ती से लागू किया। शराबबंदी लागू होने से घरेलू हिंसा और स्कूल–कालेज जाने वाली लडकियों पर भद्ी छींटाकशी की घटनाएं काफी कम हुईं। राज्य सरकार को शराबबंदी के फैसले पर दृढ़ रहना चाहिए।
बिहार सरकार से अपील है कि जहरीली शराब से मौत के गुनहगारों को पूर्व की भांति फाँसी की सजा मिले व मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करें। भाजपा पूर्ण शराबबंदी की पक्षधर है। pic.twitter.com/DTTtRlO7yG
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) November 7, 2021