असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens) की लिस्ट जारी कर दी गई है. इस लिस्ट में 19 लाख से अधिक लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं है. दरअसल, असम में 1951 के बाद पहली बार नागरिकता की पहचान की जा रही है. एनआरसी के स्टेट कोआर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया, कुल 3,11,21,004 व्यक्तियों को NRC के लिए योग्य पाया गया है. 19,06,657 व्यक्ति इसमें अयोग्य पाए गए हैं. इनलोगों ने अपने दावे पेश नहीं किए थे. अब इनलोगों के सामने विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील दायर करने का विकल्प होगा.
बताया जा रहा है कि एनआरसी के लिए जारी फाइनल लिस्ट में भी कुछ खामियां हैं. कुछ लोगों के नाम गलत अंकित हो गए हैं तो कुद की पहचान ही बदल गई है. कुछ पुरुषों को रजिस्टर में महिला तो कुछ पुरुषों को महिला बता दिया गया है. फिलहाल एनआरसी की फाइनल लिस्ट सेवा केंद्रों पर पहुंच गई है. लोग ऑनलाइन भी अपना नाम देख सकते हैं, ऐसी सुविधा की गई है.
NRC एप्लीकेशन फॉर्म की प्राप्ति की प्रक्रिया मई 2015 में शुरू हुई और 31 अगस्त 2015 को समाप्त हुई. कुल 3,30,27,661 सदस्यों ने 68,37,660 अनुप्रयोगों के माध्यम से आवेदन किया. NRC में उनके शामिल होने की पात्रता तय करने के लिए आवेदकों द्वारा जमा किए गए विवरणों की जांच की गई. NRC अपडेट की प्रक्रिया में लगभग 52,000 राज्य सरकार के अधिकारी लंबे समय तक काम करते हैं.
कुल 3,11,21,004 व्यक्तियों को अंतिम NRC में शामिल करने के योग्य पाया गया, जिसमें 19,06,657 लोग बाहर हैं, जिन्होंने अपने दावे प्रस्तुत नहीं किए थे. इसके परिणाम से संतुष्ट नहीं होने पर विदेशी ट्रिब्यूनल, प्रेटीज हजेला, असम समन्वयक, NRC के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं.
एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके), उपायुक्त के कार्यालयों और सर्कल ऑफिसर के कार्यालयों में पूरक सूची की हार्ड कॉपी उपलब्ध करा दी गई है. ऑनलाइन, इन्क्लूजन और निष्कासन दोनों की स्थिति NRC की वेबसाइट में ऑनलाइन देखी जा सकती है. लोग आवेदन रसीद संख्या (ARN) का उपयोग करके ऑनलाइन अपना नाम देख सकते हैं.
नहीं लिया जा सकता हिरासत में
अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह राजनीति) कुमार संजय कृष्णा ने कहा, ‘ये ट्रिब्यूनल याचिका दायर करने और सुनवाई को बिना किसी व्यवधान के सुनिश्चित करने के लिए सुविधाजनक स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘एनआरसी की अंतिम सूची से निकाले गए लोगों को तब तक हिरासत में नहीं लिया जा सकता, जब तक फॉरनर्स ट्रिब्यूनल अपना फैसला नहीं सुना देते.
जा सकते हैं हाई कोर्ट
ये लोग पहले फॉरनर्स ट्रिब्यूनल (एफटी) जा सकते हैं, और एफटी के आदेश से संतुष्ट नहीं होने पर उच्च अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी एनआरसी सूची से निकाले गए लोगों को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए सभी जरूरी बंदोबस्त करेगी.
हिंसा की कोई घटना नहीं
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट की घोषणा के बाद स्थिति शांतिपूर्ण है. गृह मंत्रालय राज्य के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी से लगातार संपर्क में है. अब तक हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई है. एनआरसी की सूची आने के बाद गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक असम में कानून व्यवस्था कायम करने के लिए सारे बंदोबस्त किए जा चुके हैं. साथ ही ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं, जिन लोगों का नाम नहीं आया है वह इसमें आवेदन कर सकते हैं.
ओवैसी बोले- बीजेपी को सीखना चाहिए सबक
एनआरसी लिस्ट जारी होने के बाद एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, बीजेपी को सबक सीखना चाहिए. उन्हें हिंदू और मुस्लिम के आधार पर देशभर में एनआरसी की मांग को बंद कर देना चाहिए. उन्हें सीखना चाहिए कि असम में क्या हुआ. अवैध घुसपैठियों का भ्रम टूट गया है. उन्होंने कहा, ये मेरा अपना संदेह है कि बीजेपी नागरिकता संशोधन बिल के जरिए बीजेपी ऐसा बिल ला सकती है, जिससे सभी गैर मुस्लिमों को नागरिकता दे सकती है, जो समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा.
मोहम्मद सनाउल्लाह बोले- नहीं थी लिस्ट में नाम होने की उम्मीद
इस मामले में सेना से रिटायर हुए अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह ने कहा, मुझे अपना नाम लिस्ट में होने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि मेरा मामला अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है, मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मुझे विश्वास है कि न्याय जरूर मिलेगा.