असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार होने की प्रक्रिया पूरी हो गई है. शनिवार (31 अगस्त) को एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की जाएगी. इसके बाद असम में रह रहे 41 लाख लोगों के भाग्य का फैसला हो जाएगा. एनआरसी को लेकर तनाव के माहौल को देखते हुए पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी किया गया है. हालांकि, केंद्र की मोदी सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है फाइनल लिस्ट में जिनका नाम नहीं होगा, उन्हें डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा जाएगा. ऐसे में उन लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम शामिल होंगे, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे हैं.
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को असम की पुलिस ने प्रदेश में अफवाह और भ्रम की स्थिति पैदा करने वालों से निपटने के लिए कमर कस ली है. राज्य की पुलिस ने लोगों से भ्रम पैदा करने की कोशिश में जुटे तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों में नहीं आने अपील की है.
इसके अलावा प्रशासन ने राज्य के संवेदनशील हिस्सों में धारा 144 लगा दी है. चेक पोस्ट भी बनाए गए हैं. लोगों से एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी होने के दौरान संयम बरतने और शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की गई है.
लोगों में डर
NRC की फाइनल लिस्ट आने से पहले कई लोगों में डर का माहौल है. 58 साल के दुलाल दास अपने बचपन को याद करते हुए कहते हैं कि 1968 में उस वक्त के पूर्वी पाकिस्तान में दंगा भड़क गया था. इसके बाद वो सात साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ भाग कर असम आ गए थे. उन्होंने कहा, ”हमारे घर को आग लगा दिया गया था. हम सब जान बचाकर भारत आ गए. लेकिन यहां 50 साल रहने के बाद भी हमें डर है कि कि हमारा नाम NRC की फाइनल लिस्ट में नहीं भी हो सकता है.”
सिर्फ दास ही नहीं, बल्कि उन दिनों पूर्वी पाकिस्तान से भाग कर आए 274 हिन्दू शरणार्थियों परिवार को भी NRC की फाइनल लिस्ट में नाम न आने का डर सता रहा है. ये सारे परिवार राजधानी गुवाहाटी से 60 किलोमीटर दूर कामरुप ज़िले के चौधरीपाड़ा इलाके में रहते हैं. ये सारे लोग यहां 1964-1968 के बीच आकर बसे थे. जबकि NRC की कट ऑफ इयर 1971 है.
दास ने कहा, ”पिछले साल जो NRC की ड्राफ्ट जारी की गई थी उसमें उनका नाम नहीं था. उनकी पत्नी और बच्चे का भी इसमें नाम नहीं था. नाम न आने के बाद हमने अपना शरणार्थी सर्टिफिकेट जमा किया था. हमने इसके अलावा अपने ज़मीन के कागज भी सौंप दिए है. लेकिन इसके बावजूद हमें यकीन नहीं है कि हमारे नाम को इसमें शामिल किया जाएगा.
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शरणार्थी सर्टिफिकेट में लिखा है कि ये लोग धार्मिक अत्याचार के चलते बिना किसी पहचान पत्र के 1964 से 1968 के बीच भारत आए. शरणार्थी कैंप में कुछ साल रहने के बाद सरकार ने इन्हें ज़मीन के टुकड़े देने शुरू कर दिए. अब यहां करीब 50 साल तक रहने के बाद ये खुद को बाहरी नहीं मानते.
यहां के एक राहत शिविर में जन्मे 45 साल के सुशील दास ने कहा, ”सरकार ने ये जबकि साफ-साफ कह दिया है कि यहां जो परिवार रह रहे हैं वो सब 1971 से पहले पूर्वी पाकिस्तान से आए थे. लेकिन इसके बावजूद हमारे परिवार का नाम इस लिस्ट से गायब था.”
31 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ था एनआरसी का ड्राफ्ट
इससे पहले अंतिम ड्राफ्ट 31 जुलाई, 2018 को पूरे राज्य में सभी NRC सेवा केंद्र (NSK) में प्रकाशित किया गया था. अंतिम ड्राफ्ट में NRC 3.29 करोड़ लोगो में से 40.37 लाख आवेदक शामिल नहीं थे, जिनमें से 36.2 लाख ने शामिल होने का दावा किया है. 26 जून को NRC प्राधिकरण ने अतिरिक्त ड्राफ्ट निष्कासन की सूची प्रकाशित की, जिसमें 1.02 लाख लोगों के नाम थे.
आप अपने NRC एप्लिकेशन का स्टेटस जानने के लिए यह प्रक्रिया अपना सकते हैं, अगर आप
• अंतिम ड्राफ्ट सूची (30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित) में शामिल नहीं होने पर दावा प्रस्तुत किया.
• 26 जून, 2019 को प्रकाशित अतिरिक्त ड्राफ्ट निष्कारसन सूची में शामिल नहीं किए गए थे.
• आपके शामिल किए जाने के खिलाफ कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई थी.
• 5 जुलाई, 2019 से आयोजित सुनवाई के लिए बुलाया गया था.
यदि आप अंतिम NRC में शामिल हैं और आप अप्लिकेशन स्टेटस नहीं चेक कर पा रहे हैं, अगर आप
• अंतिम ड्राफ्ट सूची में शामिल है.
• अतिरिक्त ड्राफ्ट निष्कासन सूची में शामिल नहीं हैं.
• 5 जुलाई, 2019 से आयोजित सुनवाई के लिए नहीं बुलाया गया.
यह चेक करने के लिए कि आपका नाम अंतिम NRC में है या नहीं क्या करना होगा?
ऑफ़लाइन / दफ्तर (NSK) जाकर कर सकते हैं चेक
आप अपने संबंधित एनआरसी सेवा केंद्र (NSK) / उपायुक्त के सर्कल अधिकारी / अधिकारी के कार्यालय का दौरा कर सकते हैं और सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सभी कार्य दिवसों में पूरक निष्कर्ष सूची में अपना नाम देख सकते हैं.