जम्मू-कश्मीर पर नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले से पाकिस्तान में मची खलबली के बीच पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा बुलाए गए संसद के संयुक्त सत्र से देश के प्रधानमंत्री इमरान खान नदारद रहे जिसके बाद विपक्ष ने संसद में हंगामा शुरु कर दिया। अध्यक्ष के अपने कक्ष के में जाने के बाद सत्र की कार्यवाही शुरु होने से पहले ही रोक दी गई। बता दें कि संसद का यह संयुक्त सत्र आज सुबह 11 बजे (स्थानीय समयानुसार) आयोजित होना था जिसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जम्मू कश्मीर की तनावपूर्ण स्थिति की समीक्षा की जानी थी।
मोदी सरकार ने सोमवार को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव रखा। इस घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान विदेश कार्यालय (एफओ) ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित क्षेत्र माना गया है। एफओ ने कहा, ‘‘भारत सरकार द्वारा उठाये गये किसी भी एकतरफा कदम से इस क्षेत्र का दर्जा नहीं बदल सकता है, जैसा कि यूएनएससी के प्रस्तावों में निहित है।’’
विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र, इस्लामिक सहयोग संगठन, मित्र देशों और मानवाधिकार संगठनों से अपील करेगा कि वे इस मुद्दे पर चुप नहीं रहें। कुरैशी ने कहा कि कश्मीर में स्थिति पहले से अधिक गंभीर है। उन्होंने कहा, ‘‘हम हमारे कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेंगे।’’ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और विपक्षी नेता शहबाज शरीफ समेत पाकिस्तान के कई राजनीतिज्ञों ने भी भारत के इस कदम की कड़ी निंदा की है।
इमरान खान के नए झूठ को UAE ने किया बेनकाब
जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छिनने के बाद पाकिस्तान भी खासा सदमे में है. खासकर जब कश्मीर मुद्दा वहां की हर सरकार और सेना के लिए ऑक्सीजन का काम करता रहा हो. ऐसे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर विवाद को अंतरराष्ट्रीय रूप देने के लिए एक बड़ा झूठ बोला कि भारत की मोदी सरकार ने जिस तरह कश्मीर में धारा 370 को खत्म किया, उसे गलत मानते हुए मुस्लिम देश उसके साथ आ गए हैं. हालांकि इस बयान के कुछ ही देर बाद संयुक्त अरब अमीरात ने इसका खंडन कर कश्मीर को भारत का अंदरूनी मामला बताया है.
अपने बयान में भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत डॉ अहमद अल बन्ना ने कहा कि कश्मीर के संदर्भ में धारा 370 के कुछ प्रावधानों को हटाना भारत सरकार का अपना अंदरूनी मामला है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि भारत के लिए किसी राज्य का पुनर्गठन कोई पहली बार नहीं किया गया है. इसके जरिए केंद्र सरकार राज्य में व्याप्त खामियों और विषमताओं को दूर करने में ही करता है. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल से जम्मू कश्मीर और लद्दाख में हालात बदलेंगे. इससे इन राज्यों में रह रहे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा.