राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं होना चाहिए। किसी भी संस्थान के लिए पुस्तकालय महत्वपूर्ण अंग होता है। उन्होंने ये बातें पटना विविद्यालय, केंद्रीय पुस्तकालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पटना विविद्यालय 102 वर्षो से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और समाज निर्माण अग्रणी भूमिका निभा रहा है। बदलते परिवेश में विविद्यालय ने कभी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। विविद्यालय की तुलना कभी आक्सफोर्ड विविद्यालय से की जाती थी। राज्यपाल ने पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकों की र्चचा करते हुए कहा कि इन पुस्तकों को संजोय रखने की जिम्मेदारी पुस्तकालय और विविद्यालय दोनों की है। पुस्तकों का महत्व कभी कम नहीं होनी चाहिए। शोध कार्य पर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि कुलाधिपित के रूप में पुस्तकालय को जो सहयोग पड़ेगा उसको पूरा करने का प्रयास करेंगे। पुस्तकालय ज्ञान का केंद्र होता है। पुस्तकालय नरक को स्वर्ग में परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। यहां कैफिटेरिया पुस्तकालय बनाने की योजना है । इसके निर्माण में संवैधानिक दायित्व के तहत सहयोग करेंगे।
पुस्तकालय की चमक सात समुंदर पार दिखेगी : कुलपति
पटना विविद्यालय के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पटना विविद्यालय शताब्दी वर्ष मना रहा है। जिसका शुभारंभ इसी जगह पर दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। मंच पर आसीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी यहां के छात्र रह चुके हैं। इन्होंने पुस्तकालय में भी अध्ययन किया है। यह पुस्तकालय देश का तीसरा पुराना पुस्तकालय हैं। यहां दुलर्भ पुस्तकें और पांडूलिपियां मौजूद है। पुस्तकालय में छात्रों को पढ़ने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गयी है। पुस्तकालय को डिजिटल पण्राली से जोड़ दिया गया है। यहां रखी पुस्तकों को देश -विदेश के छात्र अध्ययन कर सकते हैं। हम ऐसी व्यवस्था करने जो रहे हैं कि इस पुस्तकाल की चमक सात समुंदर पार भी दिखेगी। कुलपति ने कहा कि शोध कार्य का बढ़ावा दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में पुस्तकालय के बगल में ही कैफिटेरिया पुस्तकालय का निर्माण किया जायेगा। इसकी योजना तैयार कर ली गयी है। केंद्रीय पुस्तकालय के शताब्दी वर्ष के मौके पर स्मारिका, जर्नल और डाक विभाग द्वारा विविद्यालय का ऐलबम जारी किया। कार्यक्रम में शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा, प्रो. इंचार्ज प्रो रविंद्र कुमार, सिंडिकेट सदस्य डॉ सुधकार प्रसाद सिंह मंच पर आसीन थे। मंच संचालन डॉ. अतुल आदित्य पांडेय ने किया।