जम्मू और कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को राज्यसभा में बड़ा ऐलान किया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया. साथ ही राज्य से धारा 370 हटाने का संकल्प पेश किया. नए कानून के तहत धारा 370 के सभी खंड राज्य में लागू नहीं होंगे.
जम्मू और कश्मीर में पिछले कई दिनों से चल रहे तनाव को देखते हुए प्रशासन ने जम्मू और श्रीनगर में धारा 144 लगा दी गई है. साथ ही जम्मू के 8 जिलों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 40 कंपनियां तैनात की गई हैं. कश्मीर में सुरक्षाबलों की 100 कंपनियां पहले से ही तैनात हैं. वहीं पीएम आवास पर सुबह सीसीएस की बैठक के बाद कैबिनेट की बैठक हुई है.
लोकसभा और राज्यसभा में बीजेपी ने 5 अगस्त से 7 अगस्त तक के लिए व्हिप जारी किया है. इस दौरान अपने सभी सांसदों को संसद की कार्यवाही में शामिल रहने को कहा गया है. जम्मू और श्रीनगर में सभी शिक्षण संस्थानों को भी अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है. कश्मीर प्रशासन में ज्यादातर महत्वपूर्ण अधिकारियों को सैटेलाइट फोन दिए गए हैं, ताकि उनके संवाद और समन्वय करने में कोई तकलीफ नहीं हो. जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों की तैनाती के बारे में बताया है.
जम्मू-कश्मीर में हालात लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं. खबर है कि रविवार आधी रात को पुलिस ने यहां पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस चेयरमैन सज्जाद लोन को उनके घर पर नज़रबंद कर दिया. श्रीनगर सहित कश्मीर घाटी के कई इलाकों में धारा 144 लगाई गई है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर आज सुबह 9.30 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है. ऐसा कहा जा रहा है कि इस कैबिनेट बैठक में कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है.
सूत्र ये भी बताते हैं कि इस बैठक के बाद गृह मंत्रालय कश्मीर के हालात पर संसद में बयान भी दे सकती है. सूत्रों की मानें तो सरकार संसद का सत्र दो दिन बढ़ा सकती है, जिससे कि वर्तमान हालात पर चर्चा हो सके. वहीं, गृहमंत्री अमित शाह के अगले हफ्ते कश्मीर दौरे की भी तैयारी है.
कश्मीर में जारी तनाव के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव के साथ खुफिया एजेंसियों के प्रमुख भी शामिल रहे. इस पूरी स्थिति की पीएम मोदी को जानकारी दी गई, जिसके बाद सोमवार को कैबिनेट की ये बैठक हो रही है.
उधर, श्रीनगर में कश्मीरी दलों ने साझा बैठक में ऐलान किया कि राज्य के विशेष दर्जे से छेड़छाड़ की किसी भी कोशिश का विरोध करेंगे. नज़रबंद नेताओं ने लोगों से अपील की है कि वो सब्र रखें और ऐसा कोई कदम न उठाएं, जिससे घाटी के अमन-चैन में खलल पड़े.
आर्टिकल 35 पर फिर से बहस शुरू
कश्मीर में तनाव की एक वजह आर्टिकल 35A माना जा रहा है. इसके तहत जम्मू-कश्मीर सरकार के पास राज्य के स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार होता है. स्थायी नागरकि को मिलनेवाले अधिकार और विशेष सुविधाओं की परिभाषा भी आर्टिकल 35A के ही तहत तय की जा सकती है. यह कानून 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के तहत शामिल किया गया था. इसे संसद में संविधान संशोधन के जरिए आर्टिकल 368 के तहत नहीं जोड़ा गया है. केंद्र सरकार इस कानून में बदलाव पर विचार कर रही है.
महबूबा ने कहा था-35A से छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने जैसा
महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि उनके पूर्व सहयोगी दल राज्य में आर्टिकल 35A के खिलाफ काम कर रहे हैं. उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि 35A के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने जैसा होगा. इसके लिए जो हाथ उठेगा वो हाथ नहीं पूरा जिस्म जलकर राख हो जाएगा.