उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि मैं पटना विविद्यालय (पीयू) को केंद्रीय विविद्यालय (सीयू) का दर्जा दिलाने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री और अधिकारियों से बात करूंगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और यहां के छात्र भी चाहते हैं कि पटना विविद्यालय को केंद्रीय विविद्यालय का दर्जा मिले। पटना विविद्यालय का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। नायडू ने यहां पटना विविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करने के बाद कहा कि देश के सातवें पुराने पटना विविद्यालय को केंद्रीय विविद्यालय का दर्जा दिलाने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन सभी को मालूम है कि वह अभी संवैधानिक पद पर हैं और यह मामला सीधे उनके दायरे में नहीं आता। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वह केंद्र सरकार के अधिकारियों को बुलाकर बातचीत करेंगे कि कैसे पटना विविद्यालय को और सुविधाएं दी जा सकती हैं ताकि यह पहले से बेहतर संस्थान के रूप में विकसित हो सके। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही वह अधिकारियों से पटना विविद्यालय को केंद्रीय विविद्यालय का दर्जा दिये जाने की संभावनाओं पर भी बातचीत करेंगे और इस मामले में उनका पूरा सहयोग होगा।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही बिहार दुनिया में अपनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जाना जाता है। यहां के नालंदा विविद्यालय ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, न्यायशास्त्र, शिक्षा एवं सामाजिक आंदोलन समेत कई क्षेत्रों में राष्ट्र को उल्लेखनीय योगदान दिया है। नायडू ने कहा कि पटना विविद्यालय अपने स्थापना के समय से ही न केवल बिहार बल्कि देश और दुनिया के शिक्षाविदों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक के मध्य में इसी विविद्यालय से छात्र आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री बिधानचंद्र राय, समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण, अनुग्रह नारायण सिन्हा, बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तथा केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद इसी विविद्यालय की देन हैं। उप राष्ट्रपति ने कहा कि जिस समय पटना विविद्यालय में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन हो रहा था। उस वक्त मैं भी आंध्र विविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष था और छात्र आंदोलन में जेल गया था। जिसका ही परिणाम है कि मैं आज यहां खड़ा हूं। विविद्यालय 102 वर्षो का हो गया है तो पुस्तकालय का आज शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। देश में एक करोड़ पांडुलिपियां हैं। पटना विविद्यालय पुस्तकालय में भी 1500 पांडुलिपियां हैं। इसके संरक्षण की जरूरत है। बिहार सरकार इसके लिए संरक्षण के लिए प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजे। मैं मदद करूंगा। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान का मंदिर है। यह हमें विनम्र बना देता है। व्यक्ति को बोलने से पहले सोचना चाहिये और सोचने से पहले पढ़ना चाहिये।
उन्होंने कहा कि बिहार और देश के विकास में पटना विवि पुस्तकालय का महत्वपूर्ण योगदान है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व गुरु कहलाता है। इसमें प्राचीन विविद्यालयों का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि विद्या को चोर भी चोरी नहीं कर सकता है। विद्या बांटने से और विस्तार होता है। विज्ञान के साथ-साथ हमें पुस्तकों को भी कायम रखना है। उन्होंने इंटरनेट की ओर इशारा करते हुए कहा कि गूगल आदि के आ जाने के बाद भी किताब गुरु है। उन्होंने कहा कि सभी को मां, जन्म भूमि, मातृभाषा और भातृभूमि का ध्यान रखना चाहिये। उन्होंने मातृभाषा को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाषा भावना को बढ़ावा देता है। हम सभी भारतवासी एक हैं। हालांकि देश के कई हिस्सों में आज भी भेदभाव किया जाता है। इसे पूरी तरह समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से मातृभाषा को अधिक से अधिक प्रयोग करने और अपने घर में मातृभाषा में ही बातचीत करने की अपील की। नायडू ने कहा कि लोगों को अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने से पहले काफी सावधानी बरतनी चाहिए। अच्छे प्रतिनिधि का चुना जाना लोकतंत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘लोगों को मतदान करने से पूर्व चार पैमाने चरित्र, योग्यता, आचरण और क्षमता के आधार पर सही उम्मीदवार का आकलन करना चाहिए। संवैधानिक पद धारण करने के बाद मैं सक्रिय राजनीति से अलग हो गया हूं। सक्रिय राजनीति से अवकाश ग्रहण करने के बावजदू मैं लोगों को सलाह देना चाहता हूं कि वह बुद्धिमानी से अपने प्रतिनिधि का चुनाव करें।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने सक्रिय राजनीति से अवकाश ग्रहण किया सार्वजनिक जीवन से नहीं। उप राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार ज्ञान की भूमि है। इसका सदुपयोग कर आगे बढ़ना चाहिये। सभी लोगों को पढ़ने में रुचि लेनी चाहिये। उन्होंने कहा कि आज बड़ी संख्या में लड़कियां भी विद्यालय-महाविद्यालय जा रही हैं। विविद्यालयों द्वारा जो गोल्ड मेडल दिए जाते हैं। उसमें 65-70 फीसद गोल्ड मेडल लड़कियों को मिलता है। उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिकता हो गयी है कि सभी कार्य सरकार ही कर दे। जरूरत है समाज के लोगों को आगे आने की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और स्वच्छता अभियान की शुरुआत की है। इसमें आम लोगों की भागीदारी नहीं होगी तो योजनाएं सफल नहीं होंगी। जरूरत है सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का जन आंदोलन का रूप देने की। उप राष्ट्रपति ने लोगों को समय के अनुकूल अच्छा खाना खाने की र्चचा की। उन्होंने अपने पिछले बिहार दौरे को याद करते हुए कहा कि बिहार में अच्छा खाना मिलता और अच्छी मछली भी मिलती है। उन्होंने लोगों से योग और मॉरनिंग वॉक करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है। विश्व की अर्थव्यवस्था को भी भारतीय लोग ही मजबूती दे रहे हैं। विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रमुख पदों पर भारतीय ही बैठे हैं। उन्होंने लोगों से स्वच्छ और स्वस्य भारत बनाने की अपील की।
इस मौके पर उप राष्ट्रपति ने पटना विविद्यालय की स्मारिका सहित कई पुस्तिकाओं का लोकापर्ण भी किया। शताब्दी समारोह को राज्यपाल फागु चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी संबोधित किया। इस मौके पर शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा भी मंचासीन थे। पटना विविद्यालय के कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह ने स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रविंद्र कुमार और मंच संचालन डॉ.अतुल आदित्य पांडेय ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में शिक्षक, छात्र और विविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी मौजूद थे।