मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कायरे के लिए बेहतर तकनीक के इस्तेमाल पर बल दिया है। मुख्यमंत्री ने यहां सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में ‘‘मेजर ब्रिजेज इन बिहार, इनोवेशन एंड चैलेंजेज’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में कहा कि मेरी सरकार गंगा समेत अन्य नदियों पर पुलों का निर्माण बेहतर तकनीक के आधार पर करा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य रहा है, जिसकी मुख्य वजह नेपाल में भारी वष्ा का होना है। वर्ष 2017 में ‘‘फ्लैश फ्लड’ की स्थिति उत्पन्न हुई थी, जिसके कारण राज्य की सड़कों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पुल एवं सड़क भी क्षतिग्रस्त हुए थे। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कायरें में कैसे बेहतर तकनीक का प्रयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुलों का निर्माण ऐसा होना चाहिये कि नदियों के प्रवाह में अवरोध न हो। कोसी, गंडक, सोन, गंगा एवं अन्य नदियों पर पुलों का निर्माण बेहतर तकनीक के आधार पर कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा नदी पर जेपी सेतु के समानान्तर और गांधी सेतु के समानांतर केंद्र के द्वारा पुलों का निर्माण कराया जा रहा है। गांधी सेतु के पूर्वी तरफ राज्य सरकार के द्वारा गंगा नदी पर एक और पुल का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने गंगा नदी पर बने राजेंद्र सेतु का उद्घाटन किया था। बचपन में मुझे पहली बार इसे करीब से देखने का मौका मिला था। केंद्र सरकार द्वारा इसके समानान्तर भी एक पुल का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा आरा-छपरा को जोड़ने वाले वीर कुंवर सिंह पुल का निर्माण पूर्ण हो गया है। सुल्तानगंज के पास भी गंगा नदी पर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। राज्य में एक्सट्रा केबल ब्रिज का भी निर्माण कराया जा रहा है।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए, निर्माण कार्य समय पर होना चाहिए और उसका रखरखाव भी होना चाहिए। हमलोगों ने सड़कों के निर्माण के लिए मेंटेनेंस पॉलिसी बनायी है। राज्य की सभी सड़कें स्टेट हाईवे, डिस्ट्रिक्ट मेजर रोड एवं ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य बेहतर ढंग से हो रहा है। साथ ही उसका रखरखाव भी बेहतर होना चाहिए, इसके लिए इस पॉलिसी को लाया गया है।’ उन्होंने कहा कि आउटपुट एंड परफॉम्रेंस बेस्ड रोड एसेट्स मेंटेनेंस कॉन्ट्रेक्ट (ओपीआरएमसी) को पांच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष किया गया है। मुख्यमंत्री ने लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून की र्चचा करते हुए कहा कि इस कानून के तहत एक निश्चित समय अवधि के तहत लोगों की समस्याओं की सुनवाई और समाधान होता है। रोड मेंटेनेंस को भी लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दायरे में लाया गया है। अब यह जनता को अधिकार होगा कि सड़कों की गुणवता की शिकायत कर सकते हैं और उनकी शिकायतों का एक निश्चित समय अवधि में निराकरण होगा। उन्होंने कहा कि राज्य का क्षेत्रफल लगभग 94 हजार वर्ग किलोमीटर है और 12 करोड़ की आबादी है। यहां जमीन अधिग्रहण में काफी दिक्कतें आती हैं। इस कारण सड़कों के ऊपर भी एलिवेटेड सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। नेहरु पथ पर पौने तीन किलोमीटर एलिवेटेड सड़क का निर्माण कराया गया है। दानापुर से बिहटा तक 17-18 किलोमीटर एलिवेटेड सड़क का निर्माण कराया जाना है। छपरा में देश के सबसे बड़े डबल डेकर फ्लाई ओवर का निर्माण कराया जा रहा है। दीघा से सोनपुर पुल (जेपी सेतु) का एप्रोच रोड एलिवेटेड बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सड़कों की तरह ही पुलों का भी रखरखाव जरूरी है। इसके लिए ब्रिज मेंटेंनेंस पॉलिसी बनायी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ब्रिज मेंटेनेंस सिस्टम को विकसित करने की जरूरत है। जितने पुल हैं, उनका सेफ्टी ऑडिट कराया जाना जरूरी है। पुलों का मेंटेनेंस प्रोटोकॉल बनाना होगा। पुल प्रबंधन पण्राली को विकसित कर उसमें रुटीन इंस्पेक्शन का प्रावधान हो। सभी पुलों का हेल्थ रिकॉर्ड रखना होगा, पुलों का हेल्थ कार्ड बनाना होगा। नदियों पर बने बड़े पुलों का अंडर वाटर इंस्पेक्शन भी बेहद जरूरी है। इन सभी चीजों को देखने के लिए एक डेडिकेट ¨वग का निर्माण कराया जाए।’
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