कश्मीर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे को सिरे से खारिज करते हुए भारत ने मंगलवार को स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी उनसे मध्यस्थता करने को नहीं कहा. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में अपनी ओर से दिए गए एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी. हालांकि विदेश मंत्री के बयान पर असंतोष जताते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री से सदन में आकर स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि पीएम मोदी देश को बताएं कि ट्रंप के साथ बैठक में क्या बातचीत हुई. राहुल ने ट्वीट किया, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को कहा था. अगर यह सच है तो पीएम मोदी ने 1972 के शिमला समझौते और भारत के हितों के साथ धोखा किया है. प्रधानमंत्री को राष्ट्र को बताना चाहिए कि ट्रंप और उनके बीच क्या बातचीत हुई थी.’
कांग्रेस के अन्य नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘हम अपने पीएम का भरोसा करने को तैयार हैं, बशर्ते वे सदन में आकर कहें ट्रंप का बयान झूठा है. पीएम के विदेशी दौरों के बाद सदन में बयान देने की परंपरा रही है पर पीएम मोदी ने 6 साल में इसे तोड़ दिया. अगर वे इसे निभाते को ये नौबत नहीं आती. ट्रंप के बयान की काट पीएम के बयान से ही हो सकती है.’
इनके अलावा मनीष तिवारी ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदगी में कल (सोमवार को) दिया गया बयान कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा था, भारत की एकता पर चोट जैसा है…”
शून्यकाल में बैठक शुरू होने पर कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया था. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से वाशिंगटन में व्हाइट हाउस में मंगलवार को मुलाकात के दौरान कथित तौर पर कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का आग्रह किया था.
बयान में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम सदन को पूरी तरह आश्वस्त करना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है.”उन्होंने कहा ‘‘पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी.”
विदेश मंत्री ने यह भी कहा ‘‘हम अपना रूख फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा.’ विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ सोमवार को हुई बातचीत में कहा कि अगर अनुरोध किया जाए तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं. जयशंकर ने कहा ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया गया है.’
उनके बयान से विपक्षी सदस्य संतुष्ट नहीं हुए और प्रधानमंत्री से सदन में आ कर स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए हंगामा करने लगे. सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और शून्यकाल चलने देने को कहा लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर 15 मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी. इससे पहले बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत उन्हें कांग्रेस के आनंद शर्मा और भाकपा के डी राजा की ओर से सदन में पूर्व निर्धारित कामकाज स्थगित करने के लिए नोटिस मिले हैं. इन नोटिसों में कश्मीर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की गई है.
सभापति ने कहा कि नोटिस मिलने के बाद विपक्ष के नेता ने भी उनसे इस मुद्दे पर मुलाकात की थी. नायडू ने कहा कि उन्होंने हालांकि ये नोटिस स्वीकार नहीं किये हैं लेकिन यह मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का है इसलिए वह सदस्यों को इस पर अपनी बात रखने का अवसर देंगे. नायडू ने आनंद शर्मा को बोलने की अनुमति दी.