खुफिया विभाग द्वारा आरएसएस नेताओं की जानकारी जुटाने सम्बन्धी खबरों से बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि नीतीश सरकार को बेहिचक रुटीन कार्य करना चाहिए। आरएसएस इस देश का कोई अविवादित संगठन नहीं है। स्थापना काल से अब तक उससे जुड़े लोगों की अनेक संदिग्ध आचरण सामने आते रहे हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या भी इसी संगठन से जुड़े व्यक्तियों ने की थी।श्री सिंह ने कहा कि जो संगठन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कायरे से जुड़े हैं, उसे बंद किताब नहीं होना चाहिए। उसे खुली किताब के रूप में होना चाहिए। अगर किसी संगठन से जुड़े लोगों की जांच की आवश्यकता सरकार महसूस करती है कि तो इसमें हर्ज ही क्या है आरएसएस और बीजेपी को इस मुद्दे पर इतना हाय तौबा नहीं मचाना चाहिए। उसे खुफिया जानकारी जुटाने में नीतीश सरकार को मदद करनी चाहिए।श्री सिंह ने कहा कि जांच से भय उसे होता जिसकी गतिविधियां संदिग्ध हों। अगर बीजेपी और आरएसएस इस दायरे से बाहर हैं तो फिर उसके विरोध का कोई औचित्य नहीं है। अपने निर्णय को लागू करने में मुख्यमंत्री जी को किसी भी परिस्थिति के लिए घबराना नहीं चाहिये।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने इसे स्वागतयोग्य कदम बताया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस व उससे जुड़े संगठनों की जांच व समुचित कार्रवाई से समाज में समरसता व अपराधों पर नियंतण्रस्थापित किया जा सकता है। वर्ष 2019 के शुरुआती तीन महीनों जनवरी से मार्च तक का सरकारी आंकड़ा ही देखें तो 2200 से अधिक दंगे बिहार में हुए। यदि उनका अनुसंधान भी ईमानदारी से किया जाये तो आरएसएस की पोल खुल जाएगी। अन्य बढ़ते अपराधों में भी आरएसएस का हाथ निश्चित रूप से महसूस होता है। मुख्यमंत्री देर से समझे हैं पर सही समझे हैं। समाज को उग्रता से बचाना है तो ऐसी कार्रवाइयों का होना जरूरी बन जाता है। बीजेपी के नेता बढ़ बढ़ के अग्रिम व झूठे बेतुकी बयानबाजियों से जनता का ध्यान भटकाने व गुमराह करने की कोशिश कर अपने मूल कृत्यों को छुपाने के प्रयास में लगे रहते हैं। सरकार में रहते हुए बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस अपराधों को बढ़ाना चाहता है ताकि गृहमंत्री की जिम्मेदारी देख रहे मुख्यमंत्री को विपरीत परिस्थितियों में घेरा जा सके। जैसा की कांग्रेस हमेशा कहती रही की ये डबल इंजन की सरकार एक साथ चलने के बजाय दो विपरीत दिशाओं में चल रही है और खामियाजा बिहार की जनता भुगत रही है। बिहार में पुलिस पदाधिकारियों का चयन भी आरएसएस की सुविधा अनुरूप ही हुआ, जिसका असर जंगलराज की तरह बढ़े बेलगाम अपराध के रूप में जनता महसूस कर रही है। ऐसा लगता है कि नीतीश सरकार बीजेपी गठबंधन के साथ असहज महसूस कर रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सह महासचिव मीडिया सरोज तिवारी ने कहा कि आरएसएस व इनके संगठन के सदस्यों में दंगे प्रायोजित करने से लेकर तमाम तरह के अपराध कर गायब हो जाने का विशेष प्रशिक्षण हासिल होता है।