भाजपा व जदयू की दोस्ती के बीच अनबन का सिलसिला पीछा नहीं छोड़ रहा है। डेढ़ महीने पहले ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सांकेतिक हिस्सेदारी मसले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐतराज जताया था। अब ताजा हालात में आरएसएस समेत उसके सभी अनुषंगी सगंठनों के पदाधिकारियों के नाम, पता, व्यवसाय की जांच कराने संबंधी पत्र के खुलासे के बाद फिर रिश्ते को लेकर नया विवाद पैदा हो गया है। भाजपा व आरएसएस को अपनों के बायोडाटा की जांच पच नहीं रही है।भाजपा व आरएसएस सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आरएसएस समेत उससे जुड़े संगठनों की जांच ही कराना था तो मौखिक तौर पर आदेश देकर पता लगाया जा सकता था। आखिर पत्र जारी कर बिहार पुलिस के स्पेशल ब्रांच (आईबी) से आरएसएस की गतिविधियों के बारे में पता करने की क्या जरूरत पड़ गई। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पत्र जारी कर पता करना बिलकुल गलत है। आरएसएस के प्रदेश स्तर के नेता का भी ऐसा ही मानना है। बिहार में विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक ने सभी जिले में विशेष शाखा के पुलिस उपाधीक्षक एवं पदाधिकारियों को इस वर्ष 28 मई को लिखे पत्र में आरएसएस, विश्व ¨हदू परिषद्, बजरंग दल, ¨हदू जागरण समिति, धर्म जागरण समन्वय समिति, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, ¨हदू राष्ट्र सेना, राष्ट्रीय सेविका समिति, शिक्षा भारती, दुर्गावाहिनी, स्वदेशी जागरण मंच, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, भारतीय रेलवे संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी संघ, अखिल भारतीय शिक्षक महासंघ, ¨हदू महासभा, ¨हदू युवा वाहिनी और ¨हदू पुत्र संगठन के पदधारकों के नाम, पता, पद और व्यवसाय के बारे में रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट को एक सप्ताह के अंदर भेजने का निर्देश दिया गया है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि आरएसएस की 48 अनुषंगी संस्थाएं व संगठन हैं। सरकार को 19 के बारे में ही जानकारी है। आरएसएस खुली किताब है। कोई भी पता कर सकता है। विधान पार्षद डॉ. संजय मयूख व विधायक नितिन नवीन ने आरएसएस के बारे में रिपोर्ट तैयार करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि आरएसएस खुली किताब है। ज्ञात हो कि 23 मई को लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद 30 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मंत्रियों की शपथ के ठीक पहले नीतीश कुमार की मंत्रिमंडल में जदयू की सांकेतिक भागीदारी को ठुकराने की घोषणा के बाद से ही सियासी तापमान काफी बढ़ गया था। इस सियासी गर्मी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 02 जून को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तब उसके सहयोगी भाजपा और लोजपा इसमें शामिल नहीं हुए। उसी दिन भाजपा और जदयू की ओर से दी गयी इफ्तार की अलग-अलग दावत में दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता शामिल नहीं हुए लेकिन जदयू की दावत में हम के नेता और पूर्व मुख्यमत्री जीतन राम मांझी आये। वहीं, 03 मई को लोजपा की ओर से दी गयी इफ्तार पार्टी में श्री कुमार और भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी समेत राजग के कई नेता शामिल हुए। ताजा राजनीतिक परिस्थितियों से विपक्ष को आक्सीजन मिलने लगी थी। इसी बीच केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के विवादित ट्वीट ने जदयू को परेशानी में डाला। भाजपा के फायर ब्रांड नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पिछले दिनों सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर इफ्तार पार्टी की चार तस्वीरें ट्वीट कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी थी। सभी तस्वीरों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अन्य नेताओं के साथ नजर आए। उन्होंने इन तस्वीरों को पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘‘कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पर फलाहार का आयोजन करते और सुंदर सुंदर फ़ोटो आते ? अपने कर्म धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते और दिखावा में आगे रहते हैं? इस ट्वीट पर सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के नेताओं के साथ एनडीए नेताओं ने ऐतराज व्यक्त किया। चूकिं मामला भाजपा के केन्द्रीय मंत्री का था इसलिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए अपने नेता को ऐसे ट्वीट पर हिदायत दे डाली।