केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करने जा रही हैं. बिहार को भी इस बजट से बहुत उम्मीदें हैं. विशेषकर तब जब प्रदेश के लोगों ने लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें एनडीए को दी दी हैं. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही डबल इंजन की सरकार के होने से ये अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं.
विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा काफी वर्षों से लंबित है. स्वास्थ्य, शिक्षा, रेल को लेकर भी कई उम्मीदें है. आइये हम कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर नजर डालते हैं जिसपर बिहार की नजर है.
विशेष राज्य का मुद्दा
विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की की मांग बीते डेढ़ दशक से उठती रही है. हालांकि आम बजट में इस मांग पर कोई घोषणा की संभावना तो कम है, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य को एक लाख 65 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी. ये उम्मीद जरूर की जा रही है कि बाकी बची योजनाएं जो अब भी लंबित हैं, उस पर जल्द काम शुरू होगा.
हाई-वे के लिए प्रतिपूर्ति
बिहार सरकार ने वर्ष 2006-7 से 2010-11 के दरम्यान प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत पर 997 करोड़ रुपये खर्च किए थे. यह राशि बिहार को अभी तक नहीं मिली है. बिहार सरकार की अपेक्षा है कि इस बार के बजट में केंद्र इस राशि की प्रतिपूर्ति की घोषणा कर दी जाएगी.
पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि यानी बीआरजीएफ के तहत स्पेशल प्लान के बचे हुए 912 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद भी की जा रही है.
चमकी बुखार पर एडवांस्ड रिसर्च सेंटर
चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में पिछले दिनों 180 से अधिक बच्चों की जिस तरह से मौत हुई है, उसके लिए करीब 100 करोड़ की लागत से एक एडवांस्ड रिसर्च सेंटर की स्थापना की राज्य से मांग हो रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन भी दिया है. उम्मीद की जा रही है कि इस बजट में ये पूरी हो सकती है.
हर घर नल का जल के लिए राशि
बिहार ने ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत पाइप से सभी घरों में जलापूर्ति पर मार्च, 2020 तक खर्च की जाने वाली 29,400 करोड़ की राशि भी केंद्र सरकार से मांगी है. यह योजना केंद्र की भी है इसलिए उम्मीद है यह भी बिहार को मिल सकता है.
शिक्षकों के वेतन मद में भुगतान
केंद्र सरकार ने वेतन मद में प्रति शिक्षक दिए जाने वाले 22,500 रुपये को घटा कर प्राथमिक शिक्षकों के लिए 15 हजार और अपर प्राथमिक शिक्षकों के लिए 20 हजार कर दिया है. इसके कारण बिहार को हर साल 7 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा. बिहार की मांग है कि केंद्र सरकार पूर्व की तरह प्रति शिक्षक वेतन मद में 22,500 रुपये का भुगतान करे.
यही नहीं राज्य सरकार चाहती है कि शिक्षकों के वेतन-भत्ते में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत केंद्र शत-प्रतिशत वित्तीय मदद करे.
मिड डे मील के लिए राशि की बढ़ोतरी
मध्याह्न भोजन योजना के तहत रसोइए को केंद्र सरकार द्वारा 600 और राज्य सरकार की ओर से 900 रुपये यानी कुल 1500 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है. राज्य सरकार की चाहती है कि केंद्र सरकार अपने अंशदान की 600 रुपये की राशि को बढ़ा कर कम से कम 2 हजार रुपये करे.
पेंशन योजनाओं की राशि बढ़ाने की मांग
वृद्धा, विधवा और दिव्यांग पेंशन की केंद्रीय राशि 200 और 300 रुपये में वर्ष 2012 के बाद कोई वृद्धि नहीं की गई है. बिहार सरकार चाहती है कि इसे बढ़ा कर 500 रुपये प्रतिमाह किया जाए.
बिहार सरकार अपने स्तर से इस साल से प्रदेश के 45 लाख वृद्धों को पेंशन दे रही है, जबकि केंद्र सरकार केवल 29.90 लाख वृद्धों के लिए ही अंशदान की राशि दे रही है. सरकार चाहती है कि केंद्र सभी 45 लाख वृद्धों के लिए पेंशन का अंशदान दे.
देश के 117 पिछड़े जिलों में शामिल बिहार के 13 जिलों में उद्योग लगाने पर आयकर और अन्य करों में राहत देने की केंद्र सरकार से मांग की है. इसके अलावा रेल, स्वास्थ्य, शिक्षा और पिछड़ेपन समेत तमाम मुद्दे हैं जो बिहार चाहता है कि उसकी मांग को इस बजट में तवज्जो दी जाए.