खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं स्थानीय बाजार मूल्य के बीच कम अंतर के कारण गेहूं की अधिप्राप्ति कम हुई। प्रदेश में गेहूं की अधिप्राप्ति इस वर्ष एक अप्रैल से 30 जून तक प्रभावी रही। राज्य सरकार ने दो लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति ¨क्वटल निर्धारित है। कुल 554 निबंधित किसानों से 3143.37 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है।मंत्री बुधवार को बिहार विधान परिषद में राजद के राधाचरण साह और जदयू के सतीश कुमार के ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 1619 क्रय केंद्र प्राथमिक कृषि साख समितियां (पैक्स) और व्यापार मंडलों में गेहूं खरीद के लिए स्थापित हैं। गेहूं अधिप्राप्ति के लिए राज्य में कुल 9110 किसानों ने ऑनलाइन निबंधन आवेदन किये जिनमें से मात्र 7435 किसानों के आवेदन पूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि अब तक राज्य के 31 जिलों में कुल 554 निबंधित किसानों से 3143.37 मिट्रिक टन गेहूं की अधिप्राप्ति की गई है। प्रदेशके सात जिलों में गेहूं का क्रय नहीं हो पाया है। इनमें औरंगाबाद, जमुई, कटिहार, रोहतास, सारण, शेखपुरा और वैशाली शामिल हैं। जिन जिलों में गेहूं का क्रय नहीं हो पाया है वहां भी दिशा-निर्देश के आधार पर ससमय क्रय केंद्र स्थापित करते हुए कैश क्रेडिट ऋण स्वीकृत कराया गया है। गेहूं की अधिप्राप्ति नहीं होने के संबंध में जिलों से मिली रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं के एमएसपी एवं स्थानीय बाजार मूल्य के बीच कम अंतर होने के कारण निबंधित किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बिक्री में रूचि नहीं ली। गेहूं क्रय केंद्रों के संचालित होने वाली समितियों को कैश क्रेडिट ऋण उपलब्ध कराने, एमएसपी के संबंध में बैनर तथा पोस्टर के माध्यम से किसानों के बीच प्रचारित भी किया गया है। भाजपा के रजनीश कुमार, जदयू के सतीश कुमार सहित कई सदस्य जब लगातार पूरक सवाल करने लगे तो उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं स्थानीय बाजार मूल्य के बीच कम अंतर होने के कारण किसान क्रय केंद्र के बजाए घर पर ही गेहूं बेच लेते हैं। इस कारण पिछले चार-पांच वर्षो से कम गेहूं की खरीद हुई है।
सहकारिता मंत्री राणा रणधीर ने कहा कि प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) अध्यक्ष का पद एकल है। साथ ही पैक्स सहकारी संस्था है। इलिए पैक्स अध्यक्ष का पद आरक्षित नहीं किया जायेगा। पैक्स अध्यक्ष पद के लिए कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। हालांकि 13 सदस्यीय पैक्स प्रबंध कार्यकारिणी में अध्यक्ष को छोड़कर बाकी 13 पदों पर आरक्षण लागू है।मंत्री बुधवार को बिहार विधान परिषद में भाजपा के संजय पासवान के तारांकित का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पैक्स प्रबंध कार्यकारिणी में दो पद अनुसूचित जाति एवं जन जाति, दो पद विछड़ा वर्ग और दो पद अतिपिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित है। प्रबंध कार्यकारिणी की आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गयी हैं। आरक्षित दो सीटों में से एक सीट उसी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। सहकारिता मंत्री श्री सिंह ने राजद के राधाचरण साह के तारांकित प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि कोई भी व्यस्क व्यक्ति पैक्स का सदस्य हो सकता है। राज्य में प्राथमिक कृषि साख सहयोग समिति (पैक्स) के 1.16 करोड़ सदस्य हैं। पैक्स के लिए ऑनलाइन सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। 26 जून तक पैक्स सदस्य के लिए मैनुअल 79682 और ऑन लाइन 95772 आवेदन मिले हैं।