भाकपा के विधान पार्षद केदार पांडेय ने कहा कि शिक्षा व स्वास्य के क्षेत्र में केन्द्र की कटौती के बाद राज्य सरकार की भरपाई करने की जरूरत ठीक नहीं है। स्वास्य व शिक्षा ऐसे दो इंडेक्स हैं जो सीधे बच्चों के भविष्य से जुड़ते हैं। भाकपा विधान पार्षद आज सदन में वित्तीय वर्ष 2019-20 के आय-व्ययक पर सामान्य वाद-विवाद पर अपनी बात रख रहे थे।उन्होंने कहा कि उच्च सदन में र्चचा मित्र भाव से करनी चाहिए। खूबियां कहें तो खामियों की भी र्चचा करें। वर्ष 2005 में 23885 करोड़ के बजट की र्चचा करते कहा कि यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019-20 के लिए 200501 करोड़ का वजट प्रस्तुत किया गया। यह लगभग नौ गुणा ज्यादा है। इस सरकार ने जरूर शिक्षा, सड़क, स्वास्य व ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया और बजठीय प्रबंध में ख्याल भी रखा। मगर आज भी शिक्षा पर जीडीपी दर के अनुसार खर्च नहीं हो रहा है। राज्य सरकार को प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लेकिन सच्चाई है कि वर्ष 2013-14 में शिक्षा पर बजट का 25 प्रतिशत खर्च होता था वह घट कर वर्ष 2019-20 में 21 प्रतिशत रह गया है। जदयू के विधान पार्षद डॉ. रणवीर नंदन ने कहा कि बिहार बेहतर विकासात्मक व्यय का चेहरा बन गया है। 15 साल पहले जिस बिहार का बजट 23885 करोड़ का हुआ करता था वह आज 9 गुनी बढ़त के साथ 200501 करोड़ पहुंच गया है। शिक्षा पर 34798 करोड़ खर्च कर आज अनुकरणीय बन गया है बिहार। उन्होंने सीआरआईएसआईएल रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बिहार में बेहतर वित्तीय प्रबंधन द्वारा अर्थव्यवस्था के सभी मानकों पर देश के अनेक राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है। यह विकास दर की बात हो या राजकोषीय घाटे का। ऋण प्रबंधन की बात हो या राज्य व्यय और ब्याज व्यय के अनुपात का। बिहार ने अपना लोहा मनवाया। सीआरआईएसआईएल की रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि वर्ष 2017-18 में 11.3 फीसद विकास दर के साथ देश के सभी राज्यों में बिहार प्रथम हुआ है। रिपोर्ट में यह भी माना है कि निर्माण, मौन्युफैक्चरिंग, व्यापार, होटल, ट्रान्सपोर्ट एवं कॉम्यूनिकेशन में सर्वाधिक रोजगार पैदा करने वाले राज्यों में गुजरात और हरियाणा के आगे काफी मजबूती से बिहार खड़ा है। 2008-09 से बिहार लगातार रेवेन्यू सरप्लस राज्य बना हुआ है। यह 2011-12 में जहां 5101 करोड़ था वह 2018-19 में 21311.74 करोड़ जा पहुंचा। आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा, केरल, पश्चिम बंगाल, तामिलनाडु, राजस्थान और पंजाब रेवेन्यू डेफेसिट राज्य है। इन्हें वेतन और पेंशन के लिए भी कर्ज लेना पड़ता है। अंत में उन्होंने कहा कि-सपनों से ही नहीं बनता उत्तम संसार, खड़ी करनी पड़ती है मेहनत की दीवार। जुबानी जंग जीतने के तो आदि हैं कई, दिखे जमीन पर विकास, है एनडीए सरकार।कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि बड़ी र्चचा हो रही है बजट के आकार को लेकर। मगर मेरा सवाल है कि बढ़ते आकार के अनुकूल विकास हुआ। पैसा आता जरूर है पर अक्सर र्चचा होती है कि पैसा लौट गया। यह सरकार के मैकेनिज्म पर सवाल है। कहीं बजट का आकार भ्रष्टाचार का शिकार तो नहीं ! कोई भी राज्य विकासशील तभी माना जाएगा जब विकास निरन्तरता में दिखे। आज बिहार की स्थिति सिर्फ खरीददार की हो गई है। विकास तब मानें जब बिहार उत्पादन की श्रेणी में आ जाए। लेकिन उद्योग लगे नहीं, निवेश हुए नहीं। बिजली भी बाहर से महंगे दाम पर खरीदते हैं। पार्षद रीना देवी ने कहा कि यह बजट पिछले बजट से पांच गुणा है। आज विकास की समझदारी में केन्द्र व राज्य के बीच समन्वय बेहतर हुआ है। निरन्तर विकास के लिए सीएम केवल योजनाएं ही नहीं बनाते बल्कि उनकी मॉनिटरिंग के दौरान कमियों पर भी नजर रखते हैं। उन्होंने विपक्षी सदस्यों के नकारात्मक दृष्टिकोण पर कहा कि-उम्र जाया करते हैं लोग औरों में नुक्स निकालने में, इतना खुद को तराशते तो फरिश्ता बन जाते।
जाति जनगणना पर शीघ्र शुरू होगा कामः नीतीश
राज्य में जाति आधारित जनगणना पर काम शुरू होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। यह बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने...