गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाए जाने का प्रस्ताव सोमवार को राज्य सभा में रख दिया, जिसका समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने समर्थन किया है। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने बीजेपी-पीडीपी के अलग होने का जिक्र करते हुए कहा कि ‘केर-बेर का साथ कब तक चल सकता है जैसै हमारा नहीं चला (सपा-बसपा गठबंधन)। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। सपा के अलावा तृणमूल कांग्रेस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।
वहीं, इसके अलावा अमित शाह ने जम्मू कश्मीर राज्य के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक को भी राज्यसभा में पेश कर दिया है। बता दें कि पिछले हफ्ते लोक सभा ने इस दोनो विधेयकों को को ध्वनिमत से पास कर दिया है। सोमवार को शाह ने विधेयक को पेश करते हुए बताया कि आरक्षण संशोधन विधेयक पास होने से जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले 435 गांवों के युवाओं को फायदा मिलेगा।
अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग ने राज्य में सभी हिस्सेदारों से बात करने, धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और सुरक्षा की स्थिति का जायजा लेने के बाद कहा है कि राज्य में साल के अंत तक चुनाव संभव हो सकेंगे। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार के पास राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता। अमित शाह ने कहा कि मैं प्रस्ताव लेकर आया हूं कि जम्मू-कश्मीर के अंदर राष्ट्रपति शासन की अवधि कल समाप्त हो रही है उसको और 6 माह के लिए बढ़ाया जाए।
इसके अलावा गृह मंत्री ने जम्मू कश्मीर राज्य के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक को भी राज्य सभा में पेश कर दिया है, गृह मंत्री ने बताया कि एक अध्याधेश लाकर सुधार किया गया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वालों को भी 3 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाए। इस बिल से कठुआ जिले के 70 गांव, सांभा जिले के 133 और जम्मू जिले के 232 गांव के बच्चों को इसकी सुविधा का लाभ मिलेगा।
कुल मिलाकर 435 गांवों की करीब 3 लाख 50 हजार की आबादी को इसका फायदा होगा। इसके अंदर अनुसूचित जातियां 8%, जनजातियां 10%, पिछड़े इलाके में रहने वाले लोगों को 20%, कमजोर और निर्धन लोगों को 2% और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के लिए 3% आरक्षण का प्रावधान है।