राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर जिले में इन्सेफ्लाइटिस से बच्चों की मौत की खबर पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्य मंत्रालय और बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। बिहार में एईएस से 100 बच्चों की मौत हो चुकी है। मानवाधिकार आयोग ने मुजफ्फरपुर में पिछले कुछ दिनों से एईएस से मरने वाले बच्चों की बढती संख्या का स्वत: संज्ञान लिया है।’ आयेग ने केंद्रीय स्वास्य एवं कल्याण मंत्रालय के सचिव और बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
मुजफ्फरपुर व आसपास के जिलों में महामारी का रूप ले चुके चमकी बुखार और एईएस से बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को भी इस बीमारी से पीड़ित 15 बच्चों ने दम तोड़ दिया। 12 बच्चों की मौत श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच), जबकि तीन की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई। इन दोनों अस्पतालों में सोमवार को भी 37 नये बीमार बच्चे इलाज के लिए भर्ती कराये गये। एसकेएमसीएच में 19 व केजरीवाल अस्पताल 18 नये मरीज भर्ती कराए गये। चमकी बुखार से अब तक 130 बच्चे की मौत हो चुकी है। इनमें समस्तीपुर के तीन, सीतामढ़ी के दो और वैशाली के पांच बच्चे भी शामिल हैं। केजरीवाल अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि वहां भी पिछले दिनों में 20 से अधिक बच्चों की मौत हुई और कई बच्चों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। अधिकारियों ने बताया कि पटना स्थित पीएमसीएच अस्पताल में भी पांच बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। पूर्वी चंपारण एवं वैशाली में भी करीब पांच बच्चों की मौत हुई है । स्वास्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में इस बीमारी के कारण 86 बच्चों की मौत हुई थी जबकि 2015 में 11, साल 2016 में 4, साल 2017 में 4 और साल 2018 में 11 बच्चों की मौत हुई थी ।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में इन्सेफ्लाइटिस से बच्चों की मौत की खबर पर सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार को नोटिस भेजा है. बिहार में एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से करीब 100 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
एक सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘‘मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पिछले कुछ दिनों से एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मरने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या का स्वत: संज्ञान लिया है.’’
मानवाधिकार आयोग ने बयान जारी कर बताया कि आयेाग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के सचिव और बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए जापानी इन्सेफ्लाइटिस वायरस, एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम पर नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को लागू करने की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी गई है.
बयान में कहा गया, ‘‘आयोग अस्पताल में भर्ती बच्चों को दी जाने वाली चिकित्सा और पीड़ित परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से दी जाने वाली राहत और पुनर्वास की स्थिति के बारे में भी जानना चाहता है.’’ आयोग ने चार हफ्ते के अंदर जवाब देने के लिए कहा है.