बिहार में एईएस (चमकी बुखार) बीमारी से अब तक 103 बच्चे दम तोड़ चुके हैं. इस बीच, सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हालात की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए. बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ इस बात की समीक्षा की कि मुजफ्फरपुर में एईएस के मामले कम हो रहे हैं कि नहीं.
दीपक कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री ने एईएस से बीमार बच्चों को ले जाने वाले एंबुलेंस के भाड़े के भुगतान, प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती बच्चों का इलाज सरकारी खर्च पर कराने और बच्चे की मौत होने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष से अभिभावक को चार लाख रुपये दिए जाने का फैसला किया. जिसे लागू किया जाना शुरू हो चुका है.
मुख्य सचिव ने बताया कि पिछले साल से अधिक बच्चों के इस बीमारी से ग्रसित होने और उनकी मौत के कारणों के बारे पता लगाया जा रहा है, पर मानसून के पूर्व बारिश नहीं होना इसका एक कारण हो सकता है. उन्होंने बताया कि पिछले साल इस रोग से ग्रसित अस्पतालों में भर्ती बच्चों में से मृत बच्चों की तुलना में इस वर्ष 26 प्रतिशत कम बच्चों की मौत हुई है लेकिन पूरे तंत्र के मुस्तैद होने के बाद भी 100 से अधिक बच्चों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है.
दीपक कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह भी फैसला लिया कि जिन बच्चों की इस रोग से मौत हुई है, उनके सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि की जानकारी हासिल करने के लिए उनके घरों में कल से सरकारी महकमे की एक टीम जाएगी. ये टीम यह पता लगाएगी कि बच्चे की मौत कहीं कुपोषण या किसी दूसरी वजहों से तो नहीं हुई.
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद ने बताया कि सोमवार की देर शाम मस्तिष्क ज्वर सहित अन्य अज्ञात बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 103 हो गयी जबकि जनवरी से अब तक कुल 440 बच्चे इस बीमारी की चपेट में आए हैं.