आईएमए के आह्वान के बाद सूबे के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की हड़ताल का खासा असर पड़ा। आलम यह रहा कि आईजीआईएमएस, पीएमसीएच समेत अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के मरीजों का हाल बेहाल रहा। हड़ताल में सीनियर डॉक्टरों के साथ-साथ जूनियर डॉक्टर और रेजिडेंटों ने भी अहम भूमिका निभायी। आईएमए-मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क के बिहार प्रेसिडेंट डॉ. गौरव कुमार ने बताया कि सुबह दस बजे से लंच तक अस्पताल के ओपीडी, लैब, रजिस्ट्रेशन काउंटर और ऑपरेशन को बाधित रखा गया। बाद में ओपीडी, लैब, रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओटी में ऑपरेशन के लिए तैयार किए गए मरीजों को राहत दी गयी लेकिन जो मरीज ओपीडी में चिकित्सक से दिखाने, लैब में सैंपल देने, ओटी में ऑपरेशन का इंतजार कर रहे थे उन्हें वापस कर दिया गया।
डॉ. गौरव ने बताया कि आईजीआईएमएस, पावापुरी मेडिकल कॉलेज समेत अन्य अस्पतालों में विरोध स्वरूप चिकित्सकों ने अपना रक्तदान क र विरोध दर्ज कराया। वहीं आईजीआईएमएस मेडिकल कॉलेज के फ्स्र्ट इयर से फाइनल तक के स्टूडेंट्स ने क्लास का बहिष्कार किया। वहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने बताया कि पीएमसीएच का ओपीडी, आईपीडी, लैब एवं रूटीन सर्जरी को सुबह से शाम पांच बजे तक बाधित किया गया। उन्होंने बताया कि 17 जून को व्यापक पैमाने पर हड़ताल की जायेगी।
आईएमए, बिहार के अध्यक्ष डॉ. शालिग्राम विश्वकर्मा, पूर्व अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. बीके कारक, वरीय अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, अवैतनिक राज्य सचिव डॉ. ब्रजनंदन कुमार, डॉ. मंजू गीता मिश्रा, डॉ. बसंत सिंह, डॉ. रमण कुमार वर्मा, कैप्टन वीएस सिंह, डॉ. सचिदानंद कुमार और डॉ. हरिहर दीक्षित ने बताया कि एनआरएस मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में चिकित्सकों पर जानलेवा हमला एवं पूरे देश में चिकित्सकों एवं चिकित्सकीय संस्थानों ने पर लगातार हमलों के विरोध में सरकारी एवं प्राइवेट चिकित्सकों ने काला बिल्ला लगाकर धरना एवं प्रदर्शन कर अपना रोष प्रकट किया। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं स्थानीय जिला पदाधिकारियों को रोषपूर्ण ज्ञापन भेजा गया। चिकित्सकों पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए कई देशों ने कठोर कानून बनाए हैं और आम अपराधों से अलग चिकित्सकों पर हमले के लिए 14 वर्ष तक जेल का भी प्रावधान किया गया है।
देश के करीब 18 राज्यों में चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं लेकिन सजा कम होने एवं अनुपालन पदाधिकारियों के गंभीर नहीं होने के कारण इस कानून का कोई खास असर अपराधियों पर नहीं रहा है। इसी कारण आईएमए ने केन्द्र सरकार से पूरे देश के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की है। औद्योगिक सुरक्षा बल की तर्ज पर चिकित्सक एवं चिकित्सकीय संस्थान सुरक्षा बल गठन करने की मांग की गयी है। केन्द्र सरकार द्वारा चिकित्सकों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेने के कारण आज पूरे देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही है और देश की स्वास्य सेवा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आईएमए देश के आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों का सबसे बड़ा एवं पुराना संगठन है और देश के सभी लोगों को गुणवतापूर्ण स्वास्य सेवा सुलभ करने के लिए कृतसंकल्पित है।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में आज पांचवें दिन भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. हड़ताल के समर्थन में दिल्ली, मुंबई से लेकर राजस्थान, केरल, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में डॉक्टर अब एकजुट नजर आ रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के एम्स समेत 13 अस्पतालों के जूनियर डॉक्टरों ने भी आज हड़ताल का एलान किया है.
आईएमए ने कहा है कि शुक्रवार से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन आज और रविवार को भी जारी रहेगा. इसमें डॉक्टर काले रंग के बिल्ले लगाएंगे और धरना देने के अलावा शांति मार्च निकालेंगे. दिल्ली में आज डॉक्टरों ने काम नहीं करने का फैसला किया है. डॉक्टरों के हड़ताल और प्रदर्शनों की वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों में भी गुस्सा देखने को मिल रहा है.
डॉक्टरों का इस्तीफा
पश्चिम बंगाल में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हिंसा के खिलाफ जारी डॉक्टरों के आंदोलन के बीच पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के 100 से अधिक वरिष्ठ चिकित्सकों ने शुक्रवार को सेवा से इस्तीफा दे दिया. एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि कोलकाता, बर्द्धमान, दार्जिलिंग और उत्तर 24 परगना जिलों में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के विभागाध्यक्ष समेत डॉक्टरों ने राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशक को त्यागपत्र भेजा है.
ममता के प्रस्ताव को डॉक्टरों ने ठुकराया
इससे पहले शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों को राज्य सचिवालय में बैठक के लिये बुलाया जिसे डॉक्टरों ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह उनकी एकता को तोड़ने की एक चाल है. ममता ने सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सामान्य सेवाओं को बाधित करने वाले गतिरोध का हल खोजने के लिए बैठक बुलाई थी.
वरिष्ठ चिकित्सक सुकुमार मुखर्जी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को चिकित्सकों के नहीं आने पर उन्हें शनिवार शाम पांच बजे राज्य सचिवालय नाबन्ना में मिलने का समय दिया. मुखर्जी, आंदोलन में शामिल नहीं हुए अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ ममता से मिलने गए और इस समस्या का हल निकालने के लिए सचिवालय में मुख्यमंत्री के साथ दो घंटे तक बैठक की.
इसके बाद ममता ने मेडिकल एजुकेशन के निदेशक प्रदीप मित्रा तीन-चार जूनियर डॉक्टरों को बैठक के लिये सचिवालय में बुलाने के लिये कहा. जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह हमारी एकता और आंदोलन को तोड़ने की चाल है. हम राज्य सचिवालय में किसी बैठक में शिरकत नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री को यहां (एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल) आना होगा और कल एसएसकेएम अस्पताल के दौरे के दौरान उन्होंने हमें जिस तरह से संबोधित किया, उसके लिये बिना शर्त माफी मांगनी होगी.”
कांग्रेस ने डॉक्टरों पर हमले की निंदा की, हड़ताल खत्म करने की भी की अपील
ममता ने बृहस्पतिवार को एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करते वक्त कहा था कि बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में गतिरोध पैदा करने के लिये यहां घुस आए हैं और यह आंदोनल सीपीएण और बीजेपी का षडयंत्र है. जूनियर डॉक्टर एक रोगी के परिजन द्वारा चिकित्सक से मारपीट के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं.