कार्सिनोमा ,सारकोमा ,ल्युकेमिया, लिंफोमा ,हिपैटोमा, माएलोमा जैसे सैकड़ो ऐसे नाम सामने आते है जिनके बारे में आम इंसान न जाना है न सूना है उसे तो बस सीधा सा एक नाम पता है वह है केंसर । मध्यमवर्गीय भारतीय समाज में जैसे ही केंसर जैसे नाम किसी व्यक्ति विशेष से जुड़ता है मानो उसके उपर भगवान का श्राप लग गया , प्रकृति ने उसकी किस्मत के सारे दरवाजे बंद कर दिए , पूर्व जन्मो के कर्म तक जोड़ दिया जाता है . यह भ्रामक और अन्धविश्वासी हालातो के वजह से पीड़िता के लिए इससे अधिक पीड़ादायक और कुछ हो नहीं सकता है।

केंसर रोग का एक वर्ग है। यह नाम ऐसे रोगों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिसमें असामान्य कोशिकाएं बिना किसी नियंत्रण के विभाजित होती हैं और वे अन्य ऊतकों पर आक्रमण करने में सक्षम होती हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति की कोशिकाओं में कई तरह के बदलाव आते हैं। पुरानी कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं और नई कोशिकाएं यानि सेल्स जन्म लेते हैं। हमारे शरीर में रेड और व्हाइट दो तरह के सेल्स होते हैं जो शरीर को सुचारू रूप से चलाने का काम करते है। मगर कैंसर होने की स्थिति में यह सेल्स जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगते हैं। इससे ही शरीर में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी जन्म लेती है। इसके मुख्य कारको में 70% मानव जीवनशैली है। कैंसर उत्पन करने वाले कारक दो प्रकार के होते है ( भौतिक कारक एवं रासायनिक कारक) जिन्हें कैसरजन कार्सिनोजन कहते है ।
कैंसर के 100 से अधिक प्रकार हैं। कैंसर के प्रकार का नाम आमतौर पर उन अंगों या ऊतकों के लिए नाम दिया जाता है जहां कैंसर शुरू होता हैं, उन्हें उन कोशिकाओं के प्रकार के नाम से भी जाना जाता है जिनसे वो बनते है। आम बोलचाल की भाषा में ब्लैडर कैंसर, स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, किडनी कैंसर (रेनल सेल), यकृत कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, अग्नाशय का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, त्वचा कैंसर, गलग्रंथि का कैंसर, गर्भाशय का कैंसर इत्यादि ।

पूरी दुनिया इस रोग से ग्रसित है इसके उपचार और इसके फैलाव को नियंत्रित करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाये जाते है। तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। इसी कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस की तरह मनाने का निर्णय लिया ताकि लोगों को इस भयानक बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में आम लोगो को बताया जा सकें और अधिक से अधिक जागरूक किया जा सकें। 2008 में कैंसर के कारण 12.4 मिलियन मामले और 7.6 मिलियन मौतें हुईं। 2020 तक, विकसित देशों में कैंसर के कुल मामलों की संख्या 29% और विकासशील देशों में 73% तक बढ़ने की उम्मीद है। समग्र मृत्यु दर में 104% की वृद्धि होगी, और वृद्धि विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में पांच गुना अधिक होगी। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मरने से और विश्व स्तर पर इस बीमारी के फैलने से सब चिंतित हैं। इसके लिए हर जागरूक व्यक्ति , संस्था या सरकारे बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम चला रही है ।
भारत में भी कई संस्थाने है जो इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है। इसमें कैंसर केयर इंडिया (CACI)एक गैर-लाभकारी संस्था है, जो देश में स्वैच्छिक कैंसर सहायता समूहों के संचालन के साथ कैंसर देखभाल गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 26 नवंबर 2000 कार्यरत है । इसके राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह महावीर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के पूर्व निदेशक रह चुके है। इनको भारत सरकार द्वारा 2012 में पद्म श्री सम्मानित किया गया था।

बिहार दौरे पर आये श्री सिंह मिथिला दुग्ध संघ लिमिटेड ( सुधा डेयरी ) समस्तीपुर के प्रांगण में कैंसर जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया । अपने सम्बोधन में डा. सिंह ने बताया कि कैंसर की जानकारी एवं सावधानियों से समाज को कैंसर मुक्त किया जा सकता है। आज जिस रफ्तार से यह बढ़ रहा है आने वाले दिनों में स्वास्थ सेवा में देश के सामने सबसे प्रमुख केंसर होगा । अभी 15 लाख रोगी आ रहे है आने वाले समय में इसमें आठ से दस लोगो में एक केंसर का रोगी होगा । समय आ गया है इसको रोकथाम के लिए प्रयास किया जाना चाहिए । सबसे बड़ी बात दिख रही की विकसित देशो में इसका आकड़ा घट रहा है और विकासशील देशो में बढ़ रहा है । इसमें स्वयं में बचाव जरुरी है । गला, मुंह, सांस नली और फेफड़े के कैंसर से बचना है, तो तंबाकू और इसके उत्पादों का सेवन हर हाल में बंद करना होगा। तंबाकू में उत्तेजना वाला एक घटक निकोटिन होता है। यह खतरनाक होता है। तंबाकू सेवन से कैंसर के साथ ही दिल की बीमारियां भी होती हैं। बीपी की बीमारी लग जाती है। अम्लपित व पेट का अल्सर हो सकता है। अनिद्रा की आशंका बढ़ जाती है। डॉ. सिंह ने कहा कि तंबाकू सेवन से विश्व में करीब 60 लाख लोगों की हर साल मौत हो जाती है। भारत में हर साल 25 लाख लोगों की मौत हो रही है। भारत में धूम्रपान करने वाले पुरुषों की संख्या करीब 11 करोड़ व महिलाओं की संख्या 1.2 करोड़ है।

डा. सिंह ने संघ के प्रबंध निदेशक की तारीफ करते हुए कहा की श्री श्रीवास्तव जैसे लोगो को समाज की बहुत जरूरत है , इनके जैसा प्रतिभाशाली और सामाजिक चिंतक के वजह से समाज में फैली ऐसी कुरीतियों और विक्रित्यो को आसानी से मिटाया जा सकता है। आज यह कार्यक्रम समस्तीपुर शहर मे आयोजित है लेकिन भविष्य में यह कार्यक्रम गांव स्तर पर भी आयोजित की जाएगी और वह श्री श्रीवास्तव के बिना संभव नहीं हो सकता है।
मिथिला दुग्ध संघ लिमिटेड परिसर में आयोजित कैंसर जागरुकता कार्यक्रम को संवोधित करते हुए संघ के प्रबंध निदेशक धर्मेंन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी संस्था और इसके सभी अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक ऐसे कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर भाग लेते है। यह एक सामूहिक प्रयास है संघ के द्वारा जिसके माध्यम से हम सब लोगो के जीवन के सार्थकता को समझा सके । हमारी यह संस्था ऐसे सामाजिक कार्यक्रमों को बहुत प्रमुखता से बढ़ावा देते है । अपने दुग्ध संघ से जुड़े लगभग 2 लाख दुग्ध उत्पादकों का आर्थिक संवर्द्धन के साथ-साथ उनके सामाजिक विकास के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजन किया जाता है । समाज में आम आदमी प्रति दिन कई बीमारियों से घिरता जा रहा है, कैंसर और हृदय रोग से सैंकड़ो लोग पीड़ित हो रहे हैं । ऐसी बीमारियों को रोकने के लिए रासायनिक मुक्त भोजन की बहुत आवश्यकता है । रासायन मुक्त भोजन प्राप्त करने के लिए, विलायती उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना गाय आधारित प्राकृतिक खेती करते किसानों को अब हमारे परिवार का किसान बनाने की आवश्यकता है । गाय आधारित प्राकृतिक खेती करने वाले किसान को पारिवारिक किसान बनाएं ताकि हमारे घर में रासायन मुफ्त भोजन उपलब्ध हो सके और हमारा परिवार स्वस्थ हो जाए । कभी भी केंसर जैसी घातक बीमारियों का समावेश न हो।

कैंसर केयर इंडिया के राष्ट्रिय अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार सिंह का स्वागत करते हुए श्री श्रीवास्तव ने कहा की यह हमारे लिए गौरव की बात है आप हमारे संघ में आ कर अपना कीमती समय दिया इसके लिए हम सभी आपके आभारी है । आपके द्वारा आज जो जानकारी और मार्गदर्शन किया गया उसका लाभ निश्चित तौर पर हमारे सम्मानित किसान बंधुओ को होगा ।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन डीआरएम अशोक माहेश्वरी, पद्मश्री डा. जेके सिंह, मिथिला संघ के अध्यक्ष उमेश राय एवं प्रबन्ध निदेशक डीके श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से किया । कार्यक्रम को श्याम शंकर प्रसाद ठाकुर, डा. कुमार सुधानन्द, डा. किरण बाला सिंह आदि ने संबोधित किया. संचालन रत्नेश्वर झा ने किया. कार्यक्रम में दुग्ध संघ के कर्मचारी, पदाधिकारी एवं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आये महिला एवं पुरुष दुग्ध उत्पादक किसानों भाग लिये। मौके पर मुफ्त जांच शिविर लगाकर महिलाओं का पैप स्मीयर जांच करायी गयी ।